रिपब्लिक TV ने मुल्ला याकूब की जगह लगाई बसपा नेता की तस्वीर, लोग बोले- ये गोदी मीडिया है, यहां कुछ भी संभव है

अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जे के बाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का बाज़ार गर्म है। बड़े बड़े राजनीतिकार और भौगोलिक राजनीति विशेषज्ञ इसपर अपनी अपनी राय दे रहे हैं।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी बाद तालिबान पूरी तरह से अफगानिस्तान पर हावी हो गया है। उसने सिर्फ देश पर ही कब्ज़ा नहीं किया बल्कि अमेरिकी सेना के हथियार भी कब्जे में लिए हैं।

जिसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि तालिबान की ताकत और अधिक बढ़ गयी है। इसी मुद्दे पर बहस कराने के लिए रिपब्लिक टीवी दर्शकों और सोशल मीडिया यूज़र्स के निशाने पर आ गया है।

दरअसल बात यह है कि डिबेट के दौरान रिपब्लिक टीवी ने तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकुब की जगह मायावती की पार्टी बीएसपी के नेता हाजी याकूब कुरैशी की फोटो लगा दी।

जिसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने रिपब्लिक टीवी को आड़े हाथों लिया है। लोग उस चित्र का स्क्रीनशॉट लेकर अलग अलग तरीके से रिपब्लिक टीवी को ट्रोल कर रहे हैं।

हारून खान नाम के एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा कि “तालिबान इतना शातिर है कि अपने लीडर मुल्ला उमर के बेटे याकूब को मेरठ बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ाया और बंदूक के बल पर विधायक फिर मंत्री भी बना दिया,देश की इंटेलिजेंस को इसकीं भनक भी नही लगी,लेकिन आज Republic Bharat ने सबसे बड़ा खुलासा कर दिया”|

वहीं एक फेसबुक यूजर लिखते हैं कि “भाई मुझे तो इस पर कोई आश्चर्य नहीं हो रहा है क्योंकि यह भारतीय मीडिया है, कुछ भी संभव है”।

एक ट्विटर यूजर लिखते हैं- “फ़ोटो है मेरठ से BSP MLA हाजी याक़ूव कुरैशी की और ख़बर है तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के लड़के मुल्ला याक़ूव की, ये मीडिया और इसकी रीसर्च, हाय| किन किन बातों पर लानत भेजें| अब तो खुद लानत जाने से इंकार करने लगी है|

समाज के मुस्लिम तबके के लिए इतने लापरवाह रवैये का जवाबदेह कौन

आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि अख़बार या किसी चैनल की खबर पर किसी गलत सख्श की फोटो लगा दी गयी हो।

भारतीय मीडिया के द्वारा ऐसी गलतियां आम है| पर इन सब के बीच गौर करने वाली बात यह है कि इन मामलो में ज्यादातर मुस्लिम फोटो का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है।

जैसे कभी किसी आतंकवादी की जगह किसी भारतीय मुस्लिम फोटो का इस्तेमाल, तो कभी किसी घटना से उनका नाम जोड़ा जाना| ऐसी बातें भारतीय मीडिया में बड़ी आम हैं | पर सवाल यह खड़ा होता है कि इन सब की जिम्मेदारी क्या बनती है|

यह समाज की किस मानसिकता को जन्म देता है और इनके प्रति कौन जवाब देह है। देश के एक तबके के साथ ऐसा दुर्व्यवहार क्यों? यदि मीडिया ऐसी गलतियां दोबारा करता है तो उसके लिए क्या प्रावधान है?

समाज के एक तबके के प्रति नफरत दर्शाता है यह वाकिया या फिर यह एक गलती मात्र है? वजह चाहे जो भी हो पर ऐसी गलतियां और ऐसी गतिविधियां हमारे समाज के एक अलग चरित्र को दर्शाती हैं।

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