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  • चीन भारत की सीमा में घुसकर गांव-हाइवे बना रहा है, BJP नेता बीजिंग एयरपोर्ट को अपना बता रहे हैं : रवीश कुमार

    चीन भारत की सीमा में घुसकर गांव-हाइवे बना रहा है, BJP नेता बीजिंग एयरपोर्ट को अपना बता रहे हैं : रवीश कुमार

    भाजपा के मंत्रियों ने बीजिंग एयरपोर्ट की तस्वीर को जेवर इंटरनेशनल का बताकर बिल्कुल सही किया। यह भारत की तस्वीर-अधिग्रहण नीति है। इन रणनीति के तहत ये मंत्री बीजिंग की हर तस्वीर को बुलंदशहर का बता देंगे।

    बुलंदशहर के लोग मान भी लेंगे कि बीजिंग पर कब्ज़ा हो गया है और बीजिंग को बुलंदशहर लाया जा चुका है। चीन ने अति कर दिया है।

    जब तक ख़बर आ जाती है कि भारत की सीमा में घुस गया है। भारत की सीमा से सटे इलाके में गांव बना रहा है। सैनिक अड्डा बना रहा है। हाईवे बना रहा है।

    हम कुछ नहीं कर रहा है। तो हम ये करेंगे। बीजिंग के एयरपोर्ट की तस्वीर को जेवर का बता कर ट्वीट करेंगे।

    जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के शिलान्यास के वक्त इनते सारे मंत्रियों को बीजिंग एयरपोर्ट की तस्वीर का मिलना, बता रहा है कि हमारा हर छोटा-बड़ा नेता चीन में दिलचस्पी ले रहा है।

    दिन रात इसी में लगा है कि चीन के किस एयरपोर्ट या हाईवे की तस्वीर को जेवर या गोरखपुर का बताया जा सके।

    इस तरह चुनाव आते आते चीन की हर दुकान यूपी में खुल सकती है। नोएडा वालों को बीजिंग का फोटो लगाकर बता सकते हैं कि ऐसी दुकान बलिया में खुल गई है।

    जिस भी एजेंसी ने बीजिंग एयरपोर्ट की तस्वीर की सप्लाई की है उसे पता है कि मंत्रियों को दे रहा है। उसकी जवाबदेही है।

    जानते हुए भी उसने दूसरे देश में बन चुके एयरपोर्ट की तस्वीर दी और सबने बिना चेक किए उसे जारी कर दिया।

    बीजिंग की सत्ता हिल गई होगी। बीजिंग वाले भारत की ज़मीन पर नज़र डाले हुए हैं और भारत वाले बीजिंग की तस्वीर पर।

    अगर बहुत बदनामी हो तो मंत्री इस फेक न्यूज़ का इस्तमाल इस रुप में कर सकते हैं, भाषण में चीन को ललकार सकते हैं देख लो फुलझड़ी बनाने वाले चीन, अभी तो तुम्हारे बीजिंग एयरपोर्ट की तस्वीर ही हमने कब्ज़े में ली है, एक दिन बीजिंग भी हमारा होगा। कल हमारा होगा।

  • न्यूज़ नेशन टीवी को NBDSA ने लगाई फटकार, कहा- धर्मांतरण जिहाद पर पक्षपाती दिखे एंकर पर कार्यवाई करो

    न्यूज़ नेशन टीवी को NBDSA ने लगाई फटकार, कहा- धर्मांतरण जिहाद पर पक्षपाती दिखे एंकर पर कार्यवाई करो

    खबर के नाम पर इस्लामोफोबिया परोसने वाले न्यूज नेशन को न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्डस अथॉरिटी ने जमकर फटकार लगाई है।

    दरअसल न्यूज नेशन के कन्सल्टिंग एडिटर दीपक चौरसिया ने 6, नवम्बर 2020 को एक शो किया था, जिसका मुद्दा था ”धर्मांतरण जिहाद बेलगाम”

    अपने शो से पहले दीपक ने अपने एक ट्वीट में लिखा था,

    ”आज न्यूज नेशन धर्मांतरण जिहाद पर एक और खुलासा होगा। हम बताएंगे की मेमचंद को किस तरह से इस्लाम धर्म कबूल करने पर मजबूर किया गया।

    धर्मांतरण जिहाद का पार्ट-2 में आप जानेंगे किस तरह से मेमचंद और उसके परिवार पर जुल्म किया गया और धर्म परिवर्तन कराया।”

    आज न्यूज नेशन धर्मांतरण जिहाद पर एक और खुलासा होगा. हम बताएंगे की मेमचंद को किस तरह से इस्लाम धर्म कबूल करने पर मजबूर किया गया. धर्मांतरण जिहाद का पार्ट-2 में आप जानेंगे किस तरह से मेमचंद और उसके परिवार पर जुल्म किया गया और धर्म परिवर्तन कराया.

    #धर्मान्तरण_जिहाद

    — DEEPAK CHAURASIA (@DCHAURASIA2312) NOVEMBER 7, 2020

    दीपक के इस प्रोग्राम के खिलाफ शिकायत हुई थी, जिसपर अब न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्डस अथॉरिटी का आदेश आया है।

    NBDSA का कहना है कि ”ब्रॉडकास्टर को जांच पड़ताल करनी चाहिए थी, और उन एंकरों के खिलाफ सख्त एक्शन लेना चाहिए जिन्होंने इस मामले में निष्पक्ष कवरेज नहीं की।”

    NBDSA ने दीपक चौरसिया जैसे एंकरों को पत्रकारिता सीखने की सलाह देते हुए कहा है, ”एंकरों को कार्यक्रम आयोजित करने के तरीके के संबंध में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए”

    NBDSA ALSO OBSERVED THAT TRAINING MUST BE GIVEN TO THE ANCHORS REGARDING THE MANNER IN WHICH THEY CONDUCT THE PROGRAMS.

    – NBDSA ORDERS NEWS NATION TO TAKE DOWN THE VIDEO OF “CONVERSION JIHAD” SHOW@NEWSNATIONTV @DCHAURASIA2312

    — LIVE LAW (@LIVELAWINDIA) NOVEMBER 25, 2021

  • योगीजी कोलकाता ही क्यों क्योटो की भी तस्वीर लगा लो- कोई संपादक नहीं बोलेगा, जो बोलेगा IT का छापा झेलेगा: रवीश कुमार

    योगीजी कोलकाता ही क्यों क्योटो की भी तस्वीर लगा लो- कोई संपादक नहीं बोलेगा, जो बोलेगा IT का छापा झेलेगा: रवीश कुमार

    गोदी मीडिया की ख़बरों में झूठ चल सकता है तो विज्ञापन में सच क्यों चलना चाहिए

    जब ख़बर में झूठ चल सकता है तो विज्ञापन में झूठ क्यों नहीं चल सकता। जो समाज गोदी मीडिया के प्रोपेगैंडा को सच मान कर ख़बर देख रहा है उसे समाज विज्ञापन में झूठे प्रोपेगैंडा को सच मानना ही चाहिए। जो लोग यूपी सरकार के विज्ञापन की आलोचना कर रहे हैं उन्हें विज्ञापन की समझ नहीं है। बहुत बुरे दिन देखने के बाद भी लोगों का अच्छे दिन आएंगे पर यकीन बना हुआ है।यह विज्ञापन का जादू होता है।जिस एजेंसी ने यूपी के विज्ञापन में कोलकाता के फ्लाईओवर की तस्वीर का इस्तमाल किया है उसका पेमेंट बंद कर देना चाहिए लेकिन इसे मंज़ूरी देने वाले अफसर को प्रोन्नति दी जानी चाहिए। उसे विज्ञप्ति विभाग का प्रमुख बनाना चाहिए ताकि अख़बारों में छपने वाली विज्ञप्तियों में बदलाव आए। टेंडर के स्तर पर भी विकास का बवंडर रचा जा सके। विज्ञप्तियों को बड़ा करने से ख़बरों की जगह कम होगी और अख़बार वाले उसे ही ख़बर के रूप में पेश करेंगे कि टेंडर हो गया है। विकास भी हो जाएगा।

    योगी जी को ट्रोल की परवाह नहीं करनी चाहिए।अगर बहुत टेंशन हो रहा है तो ट्विटर से ब्रेक लेकर कुछ दिनों के लिए इंस्टा पर चले जाना चाहिए। सारे लोग सोशल मीडिया पर यही करते हैं। यहां घिर जाते हैं तो वहां चले जाते हैं। इंस्टा पर बहुत सारे नेता अपने वीडियो में बैकग्राउंड म्यूज़िक लगाकर हीरो को विस्थापित कर रहे हैं। विज्ञापन होता ही है आधा सच और आधा झूठ को सच में बदलने के लिए। इसमें कौन सी नई बात है। विज्ञापन ही तो था जिसने 2014 में ऐसे ऐसे सपने रचे जिनका पीछा आज तक लोग कर रहे हैं। ये जो थोड़े से लोग हैं जो आपके विज्ञापन में कोलकाता के फ्लाईओवर का फोटा निकाल कर मज़ाक उड़ा रहे हैं, उन्हें भारत और भारतीयता से कोई मतलब नहीं है।

    मैंने हाल ही में योगी जी का एक वीडियो देखा है, जिसमें वे अफसरों से कह रहे हैं कि लटियन मीडिया की परवाह नहीं करते हैं। लटियन मीडिया को भारत और भारतीयता की समझ नहीं है।जबकि गोदी मीडिया ही लटियन मीडिया है। योगी जी ने लटियन के गोदी मीडिया को जो विज्ञापन दिया है,उसका पेमेंट रोक देना चाहिए। उनकी भारतीयता का इम्तहान लेना चाहिए। गोदी मीडिया बिना पैसे का ही विज्ञापन छापेगा।जब पुलिस और प्रत्यर्पण निदेशालय ED है तब विज्ञापन के पैसे क्यों दिए जा रहे हैं। जो काम वे फ्री में कर सकते हैं उसके लिए पैसे नहीं देने चाहिए।

    इस प्रसंग से यह भी उजागर हुआ है कि गोदी मीडिया के संपादकों का स्तर कितना घटिया है। अख़बार के पहले पन्ने पर विज्ञापन छप रहा है, ज़रूर किसी की नज़र उसी वक्त गई होगी कि फ्लाईओवर तो कोलकाता की लगती है। इतने अख़बारों से कैसे चूक हो सकती है। मेरी कांसपिरेसी थ्योरी यह है कि गोदी मीडिया के संपादकों ने जानबूझ कर छपने दिया ताकि योगी जी बदनाम हो जाएं।हर अख़बार में छपने वाले विज्ञापन को कड़ी निगाह से परखा जाता है। पैसे का मामला होता है। कुछ गलत या कम छप गया तो पेमेंट नहीं मिलता है। अख़बार में ख़बर ग़लत छप जाती है, विज्ञापन ग़लत नहीं छपता है। योगी जी को अगर मुझ पर यकीन नहीं है तो किसी करीबी को बुला कर पूछ लेना चाहिए कि अख़बार में जब विज्ञापन छपता है तो उसे देखने की क्या व्यवस्था होती है। इसे व्यंग्य न समझें क्योंकि मैंने इन दिनों व्यंग्य लिखना कम कर दिया है।

  • इंफोसिस के खिलाफ लिखा तो RSS ने पांचजन्य को मुखपत्र मानने से किया इनकार, संघ अब गुजरात से चल रहा है?

    इंफोसिस के खिलाफ लिखा तो RSS ने पांचजन्य को मुखपत्र मानने से किया इनकार, संघ अब गुजरात से चल रहा है?

    आरएसएस (RSS) इन दो लोगों के दबाव में इस कदर आ गया है कि गलत को गलत ओर सही को सही भी नही कह पा रहा है। कल उसने इनके प्रेशर में आकर पांचजन्य को अपना मुख पत्र मानने से इनकार कर दिया, जबकि इसकी स्थापना दीन दयाल उपाध्याय द्वारा वर्ष 1948 में की गयी थी जो भाजपा के पितृ पुरूष और थिंकटैंक कहे जाते हैं, पांचजन्य के संपादकों में केआर मलकानी और अटल बिहारी बाजपेयी भी रह चुके हैं।

    दरअसल पांचजन्य ने अपने इस बार के अंक में IT सर्विस कंपनी इन्फोसिस पर 4 पेज की कवर स्टोरी छापी है। इसमें इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की फोटो लगा कर ‘साख और आघात’ लिखा है।

    आर्टिकल में लिखा गया कि इन्फोसिस की साख और कम बोली के आधार पर आयकर रिटर्न पोर्टल बनाने का दायित्व उसे दिया गया, लेकिन इस पोर्टल में इतनी खामियां हैं कि न सिर्फ रिटर्न भरने वाले लोगों को झटका लगा है बल्कि पूरी व्यवस्था को आघात लगा है।

    पांचजन्य ने इंफोसिस पर तीखा प्रहार करते हुए लिखा कि सरकार ने जानी-मानी सॉफ्टवेयर कंपनी को व्यवस्था सरल बनाने का ठेका दिया, लेकिन उसने मामले को उलझा दिया है।

    इसमें सवाल पूछा गया कि क्या इंफोसिस अपने विदेशी ग्राहकों के लिए इसी तरह की घटिया सेवा प्रदान करेगी।

    यह बात सही भी है दरअसल इंफोसिस को 2019 में आयकर विभाग की नई वेबसाइट तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट 4242 करोड़ रुपये में मिला लेकिन नए ई-फाइलिंग पोर्टल के लॉन्च के 3 महीने होने को आए हैं किंतु इतने दिनों बाद भी पोर्टल में गड़बड़ियों का समाधान नही हुआ है।

    और बात सिर्फ इसी पोर्टल की नही है। इंफोसिस ने जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के भुगतान की सुविधा के लिए जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) पोर्टल भी विकसित किया था।

    2017 में पोर्टल शुरू होने के बाद कई तकनीकी समस्या आई और 2018 में सरकार ने कंपनी को इसे दूर करने का निर्देश दिया। बावजूद इसके आज तक तक इंफोसिस जीएसटी पोर्टल में आई छोटी छोटी समस्याओ को खत्म नहीं कर पाई है

    सारा देश इन दोनों पोर्टल में आने वाली गड़बड़ियों से परेशान है, लोग अपना रिटर्न भी ठीक से दाखिल नही कर पा रहे हैं, सब कुछ उलझा हुआ पड़ा है।

    वैसे इस लेख में पांचजन्य ने इंफोसिस पर कई बार “नक्सलियों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गिरोह” की मदद करने का आरोप लगाया गया है।

    लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि पत्रिका के पास यह कहने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, यानी पांचजन्य खुद मान रहा है कि उसके पास इस बात को साबित करने के लिए कोई सुबूत नही है।

    इंफोसिस के पाप बस यही समाप्त नही होते हैं। पिछले साल इंफोसिस के तीन कर्मचारियों को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, आयकर विभाग और इंफोसिस के बीच एक अनुबंध था, जिसके तहत कंपनी के कर्मचारियों को करदाताओं की गुप्त जानकारियां दी जाती थीं, जब भी संबंधित जानकारियां प्राप्त होती थीं

  • रिपब्लिक TV ने मुल्ला याकूब की जगह लगाई बसपा नेता की तस्वीर, लोग बोले- ये गोदी मीडिया है, यहां कुछ भी संभव है

    रिपब्लिक TV ने मुल्ला याकूब की जगह लगाई बसपा नेता की तस्वीर, लोग बोले- ये गोदी मीडिया है, यहां कुछ भी संभव है

    अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जे के बाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का बाज़ार गर्म है। बड़े बड़े राजनीतिकार और भौगोलिक राजनीति विशेषज्ञ इसपर अपनी अपनी राय दे रहे हैं।

    गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी बाद तालिबान पूरी तरह से अफगानिस्तान पर हावी हो गया है। उसने सिर्फ देश पर ही कब्ज़ा नहीं किया बल्कि अमेरिकी सेना के हथियार भी कब्जे में लिए हैं।

    जिसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि तालिबान की ताकत और अधिक बढ़ गयी है। इसी मुद्दे पर बहस कराने के लिए रिपब्लिक टीवी दर्शकों और सोशल मीडिया यूज़र्स के निशाने पर आ गया है।

    दरअसल बात यह है कि डिबेट के दौरान रिपब्लिक टीवी ने तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकुब की जगह मायावती की पार्टी बीएसपी के नेता हाजी याकूब कुरैशी की फोटो लगा दी।

    जिसके बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने रिपब्लिक टीवी को आड़े हाथों लिया है। लोग उस चित्र का स्क्रीनशॉट लेकर अलग अलग तरीके से रिपब्लिक टीवी को ट्रोल कर रहे हैं।

    हारून खान नाम के एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा कि “तालिबान इतना शातिर है कि अपने लीडर मुल्ला उमर के बेटे याकूब को मेरठ बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ाया और बंदूक के बल पर विधायक फिर मंत्री भी बना दिया,देश की इंटेलिजेंस को इसकीं भनक भी नही लगी,लेकिन आज Republic Bharat ने सबसे बड़ा खुलासा कर दिया”|

    वहीं एक फेसबुक यूजर लिखते हैं कि “भाई मुझे तो इस पर कोई आश्चर्य नहीं हो रहा है क्योंकि यह भारतीय मीडिया है, कुछ भी संभव है”।

    एक ट्विटर यूजर लिखते हैं- “फ़ोटो है मेरठ से BSP MLA हाजी याक़ूव कुरैशी की और ख़बर है तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के लड़के मुल्ला याक़ूव की, ये मीडिया और इसकी रीसर्च, हाय| किन किन बातों पर लानत भेजें| अब तो खुद लानत जाने से इंकार करने लगी है|

    समाज के मुस्लिम तबके के लिए इतने लापरवाह रवैये का जवाबदेह कौन

    आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि अख़बार या किसी चैनल की खबर पर किसी गलत सख्श की फोटो लगा दी गयी हो।

    भारतीय मीडिया के द्वारा ऐसी गलतियां आम है| पर इन सब के बीच गौर करने वाली बात यह है कि इन मामलो में ज्यादातर मुस्लिम फोटो का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है।

    जैसे कभी किसी आतंकवादी की जगह किसी भारतीय मुस्लिम फोटो का इस्तेमाल, तो कभी किसी घटना से उनका नाम जोड़ा जाना| ऐसी बातें भारतीय मीडिया में बड़ी आम हैं | पर सवाल यह खड़ा होता है कि इन सब की जिम्मेदारी क्या बनती है|

    यह समाज की किस मानसिकता को जन्म देता है और इनके प्रति कौन जवाब देह है। देश के एक तबके के साथ ऐसा दुर्व्यवहार क्यों? यदि मीडिया ऐसी गलतियां दोबारा करता है तो उसके लिए क्या प्रावधान है?

    समाज के एक तबके के प्रति नफरत दर्शाता है यह वाकिया या फिर यह एक गलती मात्र है? वजह चाहे जो भी हो पर ऐसी गलतियां और ऐसी गतिविधियां हमारे समाज के एक अलग चरित्र को दर्शाती हैं।

  • जिस अंबानी को देश ने सबकुछ दिया वो ऐसे चैनल को क्यों फंड करता है जो देश में नफ़रत फैलाता है? : पत्रकार

    जिस अंबानी को देश ने सबकुछ दिया वो ऐसे चैनल को क्यों फंड करता है जो देश में नफ़रत फैलाता है? : पत्रकार

    इंदौर में चूड़ी बेचने वाले मुस्लिम लड़के की पिटाई का मामला सामने आने के बाद भले ही न्यायपसंद लोग इसकी जमकर आलोचना कर रहे हैं मगर एक बहुत बड़ा तबका बड़ी बेशर्मी से इसे सही ठहरा रहा है।

    खुद को कट्टर हिंदू कहने वाली ये आबादी ऐसे ही नहीं बनी है, इसे विधिवत बनाया गया है। कभी नेताओं के जरिए तो कभी टीवी चैनलों के एंकर रिपोर्टरों के जरिए।

    इसी का उदाहरण है ‘न्यूज़18 मध्य प्रदेश’ चैनल द्वारा प्रसारित किया गया स्पेशल वीडियो प्रोग्राम, जिसमें लिखा जाता है- चूड़ी तो बहाना लव जिहाद निशाना!

    23 अगस्त को प्रसारित होने वाले इस प्रोग्राम की जानकारी ट्वीट करते हुए न्यूज़ 18 मध्य प्रदेश लिखता है- “चूड़ी बहाना लव जिहाद निशाना चूड़ी वाले से मारपीट के बाद बवाल चूड़ी वाले का धर्म क्या है? लव जिहाद के लिए बदल लिया नाम?

    अंबानी के मालिकाना हक में आने वाले चैनल की करतूत को उजागर करते हुए पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर लिखते हैं- यती नरसिंहानंद जैसे लोगों में और इन न्यूज़ चैनलों में क्या फर्क रह गया है! अब आगे क्या होगा? क्या उस चूड़ी बेचने वाले पर यूएपीए लगा दिया जाएगा?

    इसी मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार रोहिणी सिंह लिखती हैं- “भारत के सबसे धनी व्यक्ति को ऐसे जहरीले न्यूज़ चैनल नेटवर्क को क्यों फंड करना चाहिए? इस देश ने अंबानी के परिवार को बहुत कुछ दिया है, वो समाज में नफरत फैलाने की ऐसे इजाजत कैसे दे सकते हैं?”

    WHY SHOULD INDIA’S RICHEST MAN FUND SUCH A VENOMOUS NETWORK? THIS COUNTRY HAS GIVEN SO MUCH TO THE AMBANI FAMILY. HOW CAN THEY ALLOW SO MUCH HATE TO BE INJECTED IN OUR SOCIETY? HTTPS://T.CO/HG3TQR4PA2

    — ROHINI SINGH (@ROHINI_SGH) AUGUST 23, 2021

    इसी मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार दीपक शर्मा लिखते हैं-“बिल्कुल सही, रिलायंस मिडल ईस्ट से तेल पाता है और रिलायंस सऊदी अरब से 25 बिलियन डॉलर की डील में भी लगा है।

    इन देशों को अगर पता चलेगा कि अंबानी का मीडिया इंडिया में क्या कर रहा है तो ये रिलायंस के व्यापार को भी प्रभावित करेगा। इसे अपनी संपादकीय नीति पर फिर से सोचना पड़ेगा।”

  • 85% ग्रामीण छात्रों के पास नहीं है इंटरनेट-कैसे पढ़ें! मोदीजी, ये डिजिटल इंडिया है या डिवाइड इंडिया

    85% ग्रामीण छात्रों के पास नहीं है इंटरनेट-कैसे पढ़ें! मोदीजी, ये डिजिटल इंडिया है या डिवाइड इंडिया

    PM मोदी का ‘डिजिटल इंडिया’ बना ‘डिजिटल डिवाइड’ 85% ग्रामीणों के पास नहीं है इंटरनेट सेवा, ऑनलाइन क्लासेज के दौरान ये कैसे करें पढ़ाई?

    भारत ने पिछले कुछ महीनों में कोरोना वायरस, लॉकडाउन, अनलॉक, मज़दूरों का पलायन और न जाने क्या क्या देखा है। कोरोना महामारी से लड़ने के साथ-साथ अब देश एक नई मुसीबत से जूझ रहा है।
    डिजिटल इंडिया में डिजिटल डिवाइड की मुसीबत।

    भारत में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 50 लाख का आंकड़ा पार करने को है। यही वजह है कि अनलॉक के बावजूद ज़िंदगी पहले जैसे पटरी पर नहीं आ पा रही है। स्कूल और कॉलेज तो अभी तक बंद है। इस सबके चलते छात्र-छात्राओं को अपना भविष्य भी खतरे में लगने लगा है। दरअसल क्लासेज ऑनलाइन चल रही हैं और अधिकतर ग्रामीण या अन्य गरीब छात्र-छात्राएं इंटरनेट की सुविधा से दूर हैं। इनमें से कुछ तो इतने मजबूर हैं कि घर मे ढंग का मोबाइल फ़ोन / स्मार्ट फ़ोन भी नहीं है।

    ऑक्सफेम इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 80% बच्चों के पैरेंट्स का मानना है कि लॉकडाउन के चलते उनके बच्चों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। वो अपनी शिक्षा और कक्षा दोनों में पिछड़ गए हैं। 5 साल पहले लॉन्च हुआ ‘डिजिटल इंडिया’ भी इन बच्चों की मुसीबत दूर नहीं कर पाया। उल्टा यही उनकी मुसीबत बढ़ा रहा है।

    दरअसल, रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के मात्र 15% ग्रामीण परिवारों के पास ही इंटरनेट की सुविधा है। यानी 85% ग्रामीण परिवार ऐसे हैं जिनके पास इंटरनेट की सुविधा का अभाव है।

    अब हुआ ये कि लॉकडाउन के चलते कईं स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास लेना शुरू कर दिया। इस कारण ऐसे बहुत से बच्चे ऑनलाइन क्लास नहीं ले पाए, जबकि उनके सहपाठी उनसे आगे निकल गए। इंटरनेट की सुविधा का आभाव दलित, मुस्लिम और आदिवासी घरों में और भी ज़्यादा देखने को मिला है। यानी कि डिजिटल इंडिया अगड़े-पिछड़े के भेदभाव को कम करने के बजाए और बढ़ाता दिख रहा है। इसी को “डिजिटल डिवाइड” कहते हैं।

    ऑक्सफेम इंडिया ने अपनी ये रिपोर्ट 4 सितंबर को जारी की थी जिसके लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओड़ीसा के 1,158 पेरेंट्स और 488 टीचरों का सर्वे लिया गया था।

    दरसअल,कोरोना काल और डिजिटल इंडिया में इंटरनेट की सुविधा न होने का खराब असर केवल स्कूली बच्चों पर ही नहीं पड़ा है। इसके कारण शहरी इलाकों में रहने वाले कॉलेज के छात्र-छात्राओं तक को तकलीफ़ उठानी पड़ रही है। दिल्ली विश्विद्यालय ने अगस्त महीने में ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा करवाई थी। इसमें कईं छात्र-छात्राओं को पोर्टल पर अपनी आंसर शीट अपलोड करने में खासा दिक्कत हुई। कुछ तो समय रहते अपलोड भी नहीं कर पाए।

    इसके अलावा एंट्रेंस परीक्षाओं में बैठ रहे छात्र-छात्राओं को भी इस दोहरी आपदा से गुजरना पड़ रहा है। पहला तो ये कि महामारी के इस दौर में उन्हें सफ़र करके अपने परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में दिक्कत होती है। इसके साथ-साथ उन्हें कंप्यूटर पर अपना एग्जाम देना होता है। एक्सपर्ट्स द्वारा कंप्यूटर पर परीक्षा लेना ही भविष्य बताया जाता है। लेकिन इस तरह की परीक्षा में सबसे ज़्यादा वही लोग पिछड़ जाते हैं जिन्हें इन उपकरणों के इस्तेमाल की आदत नहीं होती। छात्रों द्वारा विरोध जताने के बाद भी न तो कॉलेज की सेमेस्टर परीक्षाओं को टाला गया और न ही एंट्रेंस परीक्षाओं को।

    प्रधानमंत्री मोदी के पास किसी भी आपात स्तिथि से लड़ने के लिए डिजिटल इंडिया अहम हो सकता था मगर जब सच मे इंडिया डिजिटल हुआ होता।

    2016 में नोटबंदी करने का उद्देश्य था गलत तरीके से अर्जित किया हुआ धन

  • उत्तरप्रदेश बना हत्या प्रदेश! 8 दिन से लापता वकील को नहीं ढूंढ पाई पुलिस-मिली लाश

    उत्तरप्रदेश बना हत्या प्रदेश! 8 दिन से लापता वकील को नहीं ढूंढ पाई पुलिस-मिली लाश

    उत्तर प्रदेश या हत्या प्रदेश! बुलंदशहर में अपहरण के 8 दिन बाद वकील की हत्या

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामराज की बात कहते-कहते यूपी को ‘जंगलराज’ की तरफ ले आये हैं। आज यूपी हकीकत में हत्या, अपहरण के खतरनाक मुहाने पर खड़ा है। कानपुर और गोरखपुर में अपहरण के बाद हुई हत्या की तरह एक जघन्य अपराध बुलंदशहर में हुआ है।

    यहां आठ दिन से लापता वकील धर्मेंद्र चौधरी का शव एक फैक्ट्री से बरामद हुआ है। वकील की रुपयों के विवाद में हत्या कर शव को गढ्ढे में दबा दिया गया था। यूपी पुलिस का नाकारापन यहां भी दिखाई दिया, क्योंकि आठ दिन से लापता वकील को पुलिस ढूंढने में नाकाम साबित हुई है। अब योगी सरकार और यूपी के राज में फैले जंगलराज में आये दिन अपराध हो रहे हैं। जबकि सीएम योगी हमेशा कहते रहे हैं कि अब अपराधी यूपी छोड़कर भाग गए हैं।

    खुर्जा के मोहल्ला गुलशन विहार कॉलोनी निवासी अधिवक्ता धर्मेंद्र चौधरी 25 जुलाई को संदिग्ध हालात में लापता हो गए थे। परिजनों की तरफ से सूचना देने पर पुलिस ने खोजबीन शुरू की तो उनकी बाइक क्षेत्र के गांव खबरा के जंगल से लावारिस हालत में मिली, लेकिन पुलिस को उनका कोई सुराग नहीं मिला।

    शुक्रवार देर रात पुलिस ने खुर्जा निवासी एक व्यापारी की टाइल्स फैक्ट्री में एक स्थान पर खुदाई कराकर अधिवक्ता का शव बरामद किया। इसके साथ ही एक बार फिर से यूपी की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में है।

    पुलिस के मुताबिक अधिवक्ता का खुर्जा निवासी एक टाइल्स फैक्ट्री के संचालक के साथ रुपयों के लेनदेन को लेकर विवाद था। हालांकि बुलंदशहर एसएसपी के अनुसार अधिवक्ता के शव को बरामद कर लिया गया है। मामले में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

  • दंगों के बाद भी नफ़रत फैलाने में जुटा ज़ी न्यूज़, कहा- देश को तोड़ने के लिए मुसलमान कर रहे ‘ज़मीन जेहाद’

    दंगों के बाद भी नफ़रत फैलाने में जुटा ज़ी न्यूज़, कहा- देश को तोड़ने के लिए मुसलमान कर रहे ‘ज़मीन जेहाद’

    दिल्ली हिंसा का मुख्य कारण भड़काऊ बयानबाज़ी को बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ बयानों की वजह से ही दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा फैली, जिसने आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 53 लोगों की जान ले ली और हज़ारों लोगों को बेघर कर दिया।

    इसी के मद्देनज़र भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग भी की जा रही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या दिल्ली में हुई हिंसा के लिए क्या सिर्फ भड़काऊ बयान देने वाले नेता ही ज़िम्मेदार हैं। क्या इन दंगों में उन न्यूज़ चैनलों की कोई भूमिका नहीं है, जो दिन-रात हिंदू-मुस्लिम डिबेट कर समाज में ज़हर घोलने का काम कर रहे हैं? क्या वह न्यूज़ चैनल इन दंगों के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं, जो देश के तमाम अहम मुद्दों को दरकिनार कर तथाकथित ‘जेहाद’ पर चर्चा कर लोगों में डर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

    ऐसा ही एक चैनल है ज़ी न्यूज़, जो दिल्ली दंगों के बाद भी सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने में एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाता नज़र आ रहा है। चैनल को दंगों के बाद अमन की तरफ़ लौट रही दिल्ली का सुकून खटक रहा है! इसीलिए वह अर्थव्यवस्था की सुस्ती से लेकर येस बैंक संकट और कोरोनो वायरस जैसी महामारी पर चर्चा करने के बजाए कथित जेहाद पर चर्चा करता दिखाई दे रहा है।

    दरअसल, ज़ी न्यूज़ ने 11 मार्च को अपने प्राइम शो ‘DNA’ में ख़ुद से बनाए एक शब्द ‘ज़मीन जेहाद’ पर चर्चा की। इस दौरान शो के एंकर सुधीर चौधरी ने दर्शकों को ये समझाने की कोशिश की कि दुनिया में कितने तरह के जेहाद हैं, जिससे सतर्क रहने की ज़रूरत है। उन्होंने शो में दावा किया कि भारत में लव जेहाद की तरह ही ज़मीन जेहाद भी हो रहा है।

    सुधीर ने बताया कि जम्मू कश्मीर में किस तरह से इस ज़मीन जेहाद को अंजाम दिया गया। उन्होंने दावा किया कि रोशनी एक्ट नाम के एक कानून के तहत सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्ज़ा करने वाले मुसलमानों को ही ज़मीन का असली मालिक बना दिया गया। एंकर ने दावा किया कि इसी जेहाद के दम पर पाकिस्तान भारत को तोड़ने का सपना देख रहा है।

    सुधीर ने अपने शो में जेहाद को लेकर कई बड़े दावे किए। उन्होंने एक चार्ट के ज़रिए दर्शकों को बताने की कोशिश की कि देश को तोड़ने के लिए किस तरह से मुसलमान हर स्तर पर जेहाद कर रहे हैं। शो में एंकर ने जेहाद की उन किस्मों पर बात तो की, जो उसने ख़ुद बनाई है, लेकिन पूरे शो में उन्होंने ये नहीं बताया कि जेहाद आख़िर है क्या?

    काल्पनिक चार्ट को बनाने वाली शो की टीम ने रोशनी एक्ट से जुड़े मामलों की फाइलें तो निकाल लीं, लेकिन चर्चा के मुद्दे (जेहाद) पर ही रिसर्च नहीं की। टीम ने जेहाद से जुड़ी दो-तीन किताबें भी पढ़ ली होतीं, तो उसे पता चलता कि जिस जेहाद का वो प्रोपेगेंडा चला रहे हैं, वह तो मौजूद ही नहीं।

    चैनल अपने दर्शकों को जेहाद के वही मायने बता रहा है जो अल क़ायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों ने दुनिया को बताया है। अब इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ख़ुद को ज़िम्मेदार कहने वाले ज़ी न्यूज़ की जानकारी का सोर्स किताबें नहीं बल्कि आतंकी संगठन हैं! क्या चैनल का मक़सद भी आतंकी संगठनों की तरह लोगों में डर बैठाना और समाज में नफ़रत फैलाना है?