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  • लखीमपुर: नाबालिग आदिवासी की हिरासत में हत्या! सपा बोली- जनता वोट से जवाब देगी

    लखीमपुर: नाबालिग आदिवासी की हिरासत में हत्या! सपा बोली- जनता वोट से जवाब देगी

    उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी ज़िला एक बार फिर गलत वजहों से चर्चा में है। एक 17 वर्षीय आदिवासी लड़के की पुलिस की कथित पिटाई से मौत हो गई है। ग्रामीण पुलिस कर्मियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्षी दल के नेता योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं।

    घटना ज़िला मुख्यालय से 110 किलोमीटर दूर सम्पूर्णानगर कोतवाली क्षेत्र के कमलापुरी गाँव का है। 17 जनवरी को आदिवासी समुदाय के राहुल पर उनके ही चाचा ने मोबाईल चोरी का आरोप लगाते हुए खजुरिया चौकी में शिकायत दर्ज करायी।

    पुलिस ने पूछताछ के नाम पर नाबालिग राहुल को चौकी बुलाया। राहुल की माँ के मुताबिक, पुलिस ने राहुल को बेरहमी से पीटा। वो रोता-गिड़गिड़ाता रहा, पर पुलिस ने उसे बुरी तरह मारा।

    नियम के मुताबिक, अगर पुलिस ने पूछताछ के लिए 17 जनवरी को बुलाया था। या हिरासत में लिया था तो 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना चाहिए था। लेकिन तमाम कायदों को ताक पर रखकर पुलिस ने राहुल को 19 जनवरी तक कस्टडी में रखा। इस बीच राहुल की तबीयत भी बिगड़ी। 19 तारीख़ को पुलिस ने एक समझौते पर दस्तख़त करा राहुल को छोड़ दिया।

    बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल की बहन बताती हैं कि जब राहुल की तबीयत बिगड़ी तो पहले यहीं से दवा ली। पर ज़्यादा तबीयत ख़राब हुई तो इलाज के लिए उन्हें पलिया के गुप्ता हॉस्पिटल ले जाया गया। वहाँ शनिवार-रविवार की दरमियानी रात दो बजे राहुल ने दम तोड़ दिया।

    ग्राम प्रधान के मुताबिक, घर लौटने पर राहुल और उनके चाचा के बीच झड़प भी हुई थी। सवाल उठता है कि राहुल की मौत पुलिस की कथित पिटाई से हुई या चाचा के साथ हुई झड़प से?

    क्या ये योगी सरकार की ‘ठोक दो’ नीति का दुष्परिणाम है? वैसे भी उत्तर प्रदेश की पुलिस पूरे देश में कुख्यात हो चुकी है। हिरासत में मौत के मामलों में उत्‍तर प्रदेश पहले नंबर पर है। यूपी में पिछले तीन साल में 1,318 लोगों की पुलिस और न्‍यायिक हिरासत में मौत हुई है। एनएचआरसी के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हुई हिरासत में मौत के मामलों का करीब 23% उत्तर प्रदेश के हिस्से जाता है।

    ये एक अजीब सा ट्रेंड है। योगी सरकार अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है। पुलिस को ‘ठोक दो’ का आदेश प्राप्त है। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश में अपराध लगातर बढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश हत्या, दलित उत्पीड़न, हिरासत में मौत, नागरिक अधिकारों के हनन के मामले में नंबर-1 पर है। बलात्कार के मामले में दूसरे नंबर पर है। महिलाओं के लिए देश में सबसे असुरक्षित राज्य उत्तर प्रदेश।

    अगर उत्तर प्रदेश में ‘ठोक दो’ की नीति से अपराध कम नहीं हो रहा, तो हो क्या रहा है। इसका जवाब भी एनसीआरबी के आंकड़ों में छिपा है। योगी सरकार में पुलिस को खुली छूट देने से UP में मानवाधिकार घुटने टेक चुका है।

    पिछले तीन वित्त वर्षों से 31 अक्टूबर 2021 तक आए मानवाधिकार उल्लंघन के कुल मामलों के तक़रीबन 40 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। यानी पूरे देश में सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उल्लंघन योगी शासित उत्तर प्रदेश में हो रहा है।

    ये पहला वर्ष नहीं है जब यूपी मानवाधिकार उल्लंघन के लिए कुख्यात हुआ हो। योगी सरकार ने इस मामले में कृतिमान स्थापित कर दिया है, उत्तर प्रदेश लगातार तीन वर्षों से मानवाधिकार उल्लंघन सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहा है।

    नाबालिग आदिवासी हत्या मामले में समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है, ”भाजपा सरकार में कस्टोडियल डेथ में नंबर वन यूपी में एक और पुलिस किलिंग! “मेरे भाई को इतना मारा की उसकी जान चली गई” लखीमपुर खीरी में पुलिस की पिटाई से 17 वर्षीय युवक की मृत्यु अत्यंत दु:खद! रोते बिलखते परिजनों की फरियाद सुन उन्हें न्याय दें सीएम। जनता वोट से देगी जवाब।”

  • गृहमंत्री ने कैराना में पलायन का मुद्दा उठाया, पत्रकार बोले-शाह को शर्म आनी चाहिए, झूठ फैला रहे हैं

    गृहमंत्री ने कैराना में पलायन का मुद्दा उठाया, पत्रकार बोले-शाह को शर्म आनी चाहिए, झूठ फैला रहे हैं

    वरिष्ठ पत्रकार दिलिप मंडल ने गृह मंत्री अमित शाह के कैराना दौरे और उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा “कैराना में “पलायन” का मामला BJP सांसद हुकुम सिंह ने उठाया था। लेकिन मरने से पहले श्री हुकुम सिंह 2017 में बता गए थे कि ये सांप्रदायिक मामला नहीं है। क़ानून और व्यवस्था का मामला है। अमित शाह को शर्म आनी चाहिए कि चंद वोट के लिए अपनी पार्टी के दिवंगत सांसद की बात को झुठला रहे हैं।”

    कैराना में “पलायन” का मामला BJP सांसद हुकुम सिंह ने उठाया था। लेकिन मरने से पहले श्री हुकुम सिंह 2017 में बता गए थे कि ये सांप्रदायिक मामला नहीं है। क़ानून और व्यवस्था का मामला है। @AMITSHAH को शर्म आनी चाहिए कि चंद वोट के लिए अपनी पार्टी के दिवंगत सांसद की बात को झुठला रहे हैं। PIC.TWITTER.COM/WKDOAWSUEW

    — DILIP MANDAL (@PROFDILIPMANDAL) JANUARY 22, 2022

    गौरतलब कि 22 जनवरी 2022 को ग्रह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के कैराना में घर-घर जा कर विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार किया। इस दौरान उन्होंने कैराना से हिन्दुओं के कथित पलायन पर बयान देते हुए कहा “कैराना के लोगों ने कहा है कि हमे पलायन करना वाले खुद पलायन हो गए”

    अमित शाह के इस बयान को गलत बताते हुए और भाजपा के ही वरिष्ठ दिवंगत नेता का हवाला देते हुए दिलीप मंडल ने शाह को आईना दिखाया है।

    बता दें कि भाजपा कैराना से हिन्दुओं के कथित पलायन के लिए मुसलमानों और समाजवादी पार्टी के नेताओं को जिम्मेदार ठहराती आयी। इस चुनाव में भी समाजवादी और रालोद के गठबंधन के खिलाफ इस मुद्दे को खूब उछाला जा रहा है।

    समाजवादी पार्टी के कैराना से उम्मीदवार नाहिद हसन को भाजपा हिन्दुओं के पलायन का जिम्मेदार बताती है। समाजवादी पार्टी द्वारा नाहिद हसन को दोबारा उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा का कहना है कि सपा गुन्डों और दंगाइयों को टिकट देती है। भाजपा ने कैराना विधानसभा क्षेत्र से हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है।

  • केजरीवाल ने ED रेड की जतायी आशंका, कहा- भाजपा चुनाव हारने लगती है, तो एजेंसियां लग जाती हैं

    केजरीवाल ने ED रेड की जतायी आशंका, कहा- भाजपा चुनाव हारने लगती है, तो एजेंसियां लग जाती हैं

    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा आरोप लगाया है। केजरीवाल का आरोप है कि भाजपा अपने सत्ता का इस्तेमाल कर सरकारी एजेंसियों से रेड पड़वाएगी। गिरफ्तारी भी हो सकती है। केजरीवाल की माने तो भाजपा ये सब पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए करेगी।

    केजरीवाल ने कहा है कि, हमें अपने सूत्रों से पता चला है कि पंजाब चुनाव के पहले आने वाले कुछ दिनों में ईडी सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार करने वाली है। उनके ऊपर पहले भी केंद्र सरकार ने दो बार रेड करवाई थी लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। जब बीजेपी कही चुनाव हार रही होती है तो वो एजेंसी को छोड़ देती है।

    हमें अपने सूत्रों से पता चला है कि पंजाब चुनाव के पहले आने वाले कुछ दिनों में ईडी सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार करने वाली है। उनके ऊपर पहले भी केंद्र सरकार ने दो बार रेड करवाई थी लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। जब बीजेपी कही चुनाव हार रही होती है तो वो एजेंसी को छोड़ देती है: दिल्ली CM PIC.TWITTER.COM/JLSWJDYNYM

    — ANI_HINDINEWS (@AHINDINEWS) JANUARY 23, 2022

    उन्होंने आगे कहा, हम चन्नी जी( पंजाब के मुख्यमंत्री) की तरह रोएंगे नहीं, वो बुरी तरह से बौखलाएं हुए हैं क्योंकि उन्होंने गलत काम किया हुआ है। ईडी ने मोटे-मोटे नोट पकड़े हैं। हमें किसी तरह का डर नहीं है क्योंकि हमने कभी भी कोई गलत काम नहीं किया है।

    हम चन्नी जी( पंजाब के मुख्यमंत्री) की तरह रोएंगे नहीं, वो बुरी तरह से बौखलाएं हुए हैं क्योंकि उन्होंने गलत काम किया हुआ है। ईडी ने मोटे-मोटे नोट पकड़े हैं। हमें किसी तरह का डर नहीं है क्योंकि हमने कभी भी कोई गलत काम नहीं किया है: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

    — ANI_HINDINEWS (@AHINDINEWS) JANUARY 23, 2022

    अरविंद केजरीवाल ने सरकारी एजेंसियों को ललकारते हुए कहा है, अगर वे एजेंसियां भेजना चाहें तो भेज सकते हैं। मुझ पर, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, हमारे 21 विधायकों सब पर पहले भी रेड हो चुकी है। कुछ नहीं मिला। अब फिर ये करना चाहते हैं, तो कर लें। हम केंद्र से कहना चाहते हैं कि आप भेजिए अपनी एजेंसियां, हम तैयार हैं। मेरे यहां, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, भगवंत मान सबके यहां भेजिए, हम उनका स्वागत करेंगे, उनकी आवभगत करेंगे।

    भाजपा पर सरकारी एजेंसियों के मनमाना इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने कहा है, जब भी बीजेपी चुनाव में कहीं हारने लगती है, तो सभी एजेंसियां लग जाती हैं। लेकिन हमें डर नहीं लगता है। क्योंकि आप ईमानदारी से काम करते हैं, तो ये बाधाएं आती हैं। हमें कोई डर नहीं है। क्योंकि हमने गलत काम नहीं किया।

  • इज़्ज़त के नाम पर दिलशाद की हत्या, गिद्ध मीडिया ने उसे ही बलात्कारी और लव जिहादी बता दिया

    इज़्ज़त के नाम पर दिलशाद की हत्या, गिद्ध मीडिया ने उसे ही बलात्कारी और लव जिहादी बता दिया

    गोरखपुर कचहरी में गोली मारकर एक लड़के की सरेआम हत्या कर दी गई और मीडिया इसपर जश्न मनाने लगा क्योंकि मरने वाले का नाम दिलशाद था।

    बिना मामले की जांच पड़ताल किए मीडिया उसे बलात्कारी और लव जिहादी बताने लगा क्योंकि उसके नाम के आगे टाइटल ‘हुसैन’ लिखा हुआ था। एक प्रेमी की सच्चाई जाने बिना मीडिया ने उसे दरिंदा घोषित कर दिया क्योंकि वो एक मुसलमान था।

    और इज़्ज़त के नाम पर हुई दिलशाद की मौत पर देशभर में चुप्पी छाई हुई है क्योंकि वो एक गरीब मुसलमान था। इस मुल्क़ में मुसलमान होकर बेदाग़ जीना आज के दौर में दूभर हो गया है, ये तो सबको पता है।

    मगर मरने के बाद भी किसी मुसलमान को दागदार बना देने की जो साज़िश चल रही है, क्या इसके बारे में आपको पता है?

    आइए दिखाते हैं मीडिया की इसी करतूत को, कि कैसे मज़हब देखकर पीड़ित को दरिंदा बता दिया जा रहा है। पहले इन खबरों की हेड लाइन पर नजर डालिए और समझिए दिलशाद की मौत का कैसे तमाशा बनाया जा रहा है।

    सांप्रदायिकता में सबको पीछे छोड़ देने वाला चैनल सुदर्शन न्यूज़ लिखता है-

    “पिता ने गोली मारकर बलात्कारी, लव जिहादी का लिया प्रतिशोध, जानिए क्या है पूरा मामला।”

  • ‘गरीब’ केजरीवाल ने विज्ञापन पर खर्च किए 490 करोड़, कांग्रेस नेता बोले-इनमें भी एक मोदी है

    ‘गरीब’ केजरीवाल ने विज्ञापन पर खर्च किए 490 करोड़, कांग्रेस नेता बोले-इनमें भी एक मोदी है

    ‘हम तो डोर टू डोर ही प्रचार करते हैं। ये ट्रेडिशनल तरीका होता था चुनाव लड़ने का। अब तो पैसे खर्चते हैं। बड़े-बड़े एड देते हैं। वो आम आदमी पार्टी को नहीं आता। हमारे पास पैसे नहीं है। हम ईमानदार पार्टी हैं।’’

    ये बयान है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का। केजरीवाल ने ये अतिशयोक्ति पूर्ण दावा चुनाव प्रचार के दौरान 12 जनवरी को पंजाब के मोहाली में किया था।

    केजरीवाल के बयान से हेडडलाइन तो अच्छी बन सकती है। ‘आप’ क्रांति का भ्रम पाले लोग उत्साहित भी हो सकते हैं। लेकिन दावे को जब सच्चाई के सांचे में कसा जाएगी तो आम आदमी का चरित्र भी विद्रूपित नज़र आएगा।

    दिल्ली में जब कोरोना का कहर था। लाश जलाने वाली मशीने खुद जल रही थी। श्मशानों पर लम्बी लाइन थी। उस त्रासदी के दौरान भी दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन पर हर रोज लगभग एक करोड़ रुपए खर्च किया है।

    न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा आरटीआई के जरिए पूछे गए सवाल के जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया है कि मार्च 2020 से जुलाई 2021 के दौरान सरकार ने विज्ञापन एवं प्रचार पर कुल 490 करोड़ रुपए खर्च किया है।

    केजरीवाल के बयान पर कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने लिखा है, ”कोरोना आपदा के सबसे बड़े दौर में 17 महीनों के दौरान दिल्ली सरकार ने केजरीवाल का चेहरा दिखाने वाले विज्ञापनों पर 490 करोड़ रुपए खर्च किए, अगर यही पैसा Health Infrastructure पर खर्च होता तो न जाने कितने घरों के चिराग आज भी रोशन होते । शर्मनाक!!”

  • डोर टू डोर कैंपने के नाम पर शाह ने निकाला रोड शो, बघेल का तंज- इन्हें EC का ब्रांड एम्बेसडर बना दो

    डोर टू डोर कैंपने के नाम पर शाह ने निकाला रोड शो, बघेल का तंज- इन्हें EC का ब्रांड एम्बेसडर बना दो

    उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आचार सहिंता का उल्लंधन जारी है। कहीं वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में सैकड़ों लोग जुटाए जा रहे हैं, तो कहीं डोर टू डोर कैम्पेन के नाम पर रोड शो निकाला जा रहा है।

    आज ही गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिमी यूपी के कैराना सीट पर कथित डोर टू डोर कैम्पेन किया है। अमित शाह के डोर टू डोर कैम्पेन में जहां तक आँखें देख सकती हैं, वहां तक सिर्फ लोग ही लोग नज़र आ रहे थे। ज्यादातर लोग बिना मास्क थे। खुद अमित शाह भी बिना मास्क ही लोगों से मिल रहे थे। हाथ मिला रहे थे। पर्चा बांट रहे थे। गमछा ले रहे थे। सबका अभिवादन कर रहे थे।

    उत्तर प्रदेश में “ COVID PROTOCOL “ की धज्जियाँ उड़ाता सत्ताधारी पार्टी का ये “ DOOR TO DOOR CAMPAIGN” @ECISVEEP PIC.TWITTER.COM/VVTPTBO3SK

    — ALOK PANDEY (@ALOK_PANDEY) JANUARY 22, 2022

    इतना ही नहीं कैराना की तंग गलियों में अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ अमित शाह छोटे-छोटे बच्चें से माला और गमछा पहनते नज़र आए, तो कहीं कही बच्चों को मिठाई खिलाते नजर आए। बुगुर्गों से भी मिलना जुलना खूब हुआ।

    कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि अमित शाह जितने लोगों की जिंदगी खतरे में डाल सकते थे। डाल दिया। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर चुनाव आयोग के नियम-कायदों की धज्जियां भी उड़ा दी।

    अमित शाह ने जिस डोर टू डोर कैम्पने के नाम पर ये सब किया है, उस डोर टू डोर कैम्पने को सिर्फ पांच लोगों के साथ करना था। लेकिन अमित शाह की सुरक्षा में ही 10 से ज्यादा लोग मौजूद थे। ऐसे में अमित शाह ये भी नहीं कह सकते कि वो तो डोर टू डोर कैम्पेन ही कर रहे थे, लेकिन लोग अपने आप साथ चलने लगे।

    आज पश्चिम उत्तर प्रदेश के कैराना में घर-घर जाकर संपर्क किया और भाजपा को पुनः प्रचंड बहुमत के साथ चुनने की अपील की।

    कभी पलायान के डर से सहमी इन आँखों में आज सुरक्षा का भाव और आत्मसम्मान का गौरव देखकर मन को बहुत खुशी हुई। #हर_घर_भाजपा PIC.TWITTER.COM/9CUR1EHKI2

    — AMIT SHAH (@AMITSHAH) JANUARY 22, 2022

    अमित शाह के कथित डोर टू डोर कैम्पने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। विपक्षी दलों के तमाम नेता चुनाव आयोग से सवाल पूछ रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग चुप्पी निष्पक्ष चुनाव के दावे को मुंह चिढ़ा रहा है।

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने ट्विटर पर तंज करते हुए सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा है, माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी “5 लोग” के साथ डोर-टू-डोर अभियान कर रहे हैं। चुनाव आयोग को उन्हें “डोर-टू-डोर” अभियान का ब्रांड एम्बेसडर घोषित कर उनके वीडियो को DEMO बना देना चाहिए। वरना चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल जारी रहेंगे। FIR सिर्फ कांग्रेस के ही मुख्यमंत्री पर क्यों?

  • टाइम्स नाऊ चैनल के चुनावी रथ को भाजपा प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, उठे सवाल

    टाइम्स नाऊ चैनल के चुनावी रथ को भाजपा प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, उठे सवाल

    सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा जो ये साबित कर रहा है कि भाजपा और मीडिया का गठबंधन हो गया है।

    वायरल वीडियो में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक टेलीविजन संस्थान के बस को झंडी दिखाकर रवाना कर रहे हैं। जो पूरे उत्तर प्रदेश में चुनावी कवरेज करने जा रहा है।

    टाइम्स नाउ नवभारत टीवी चैनल की चुनावी रथ (बस) को झंडी दिखाकर यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रवाना किया साथ में चैनल की चीफ नाविका कुमार भी थीं।

    एक टीवी चैनल की बस को भाजपा के नेता द्वारा झंडी दिखाकर रवाना करने से लोगों ने सोशल मीडिया पर भाजपा और मीडिया की घनिष्ठता को लेकर कई तरह की बातें कर रहे हैं।

    फिल्म मेकर अविनास दास ने ट्वीटर पर लिखा कि “अपने चैनल की चुनावी बस को पार्टी का प्रचार करने के लिए रवाना करते हुए महंत योगी आदित्यनाथ।”

    अपने चैनल की चुनावी बस को पार्टी का प्रचार करने के लिए रवाना करते हुए महंथ योगी आदित्यनाथ! PIC.TWITTER.COM/JBL5Y43AKH

    — AVINASH DAS (@AVINASHONLY) JANUARY 21, 2022

    वहीं लेखक अशोक कुमार पाण्डेय ने वीडियो को रिट्वीट करते हुए लिखा कि अपने मीडिया सेल को हरी झंडी दिखाते आदित्यनाथ।

    हालांकि चैनल द्वारा वीडियो में कहा जा रहा है कि अभी तक चुनाव की खबरें जो सूत्रों के हवाले से दर्शकों तक पहुंचती थी वो अब ग्राउंड से दिखाने का दावा कर रहा है।

    लेकिन भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ के हाथों से एक चैनल की चुनावी बस को झंडा दिखाकर रवाना करने से चैनल की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा होना लाजमी है।

  • योगी के मंत्री कपिल अग्रवाल बोले-जिसे वैक्सीन नहीं लगवानी, वो ज़हर खा ले

    योगी के मंत्री कपिल अग्रवाल बोले-जिसे वैक्सीन नहीं लगवानी, वो ज़हर खा ले

    आज कोविड-19 की डरावनी रफ्तार देखने को मिली है। पिछले 24 घंटे में देश में 3 लाख 47 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज पाए गए हैं। एक्टिव केस की संख्या 20 लाख के पार हो गयी है। 24 घंटे में 703 लोगों की मौत ने एक बार फिर कोविड के भय को बढ़ा दिया।

    कोरोना टीकाकरण भी अपनी रफ्तार से जारी है। देश में अबतक 160.43 करोड़ वैक्सीन लग चुकी हैं। कोविड की इस भयावहता के बीच योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्यमंत्री और मुजफ्फरनगर सीट से भाजपा प्रत्याशी कपिल देव अग्रवाल का एक बहुत ही असंवेदनशील बयान सामने आया है।

    कविल देव अग्रवाल का कहना है कि जिसे वैक्सीन नहीं लगवानी है, वो जाकर जहर खा ले। दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कपिल देव अग्रवाल अपने क्षेत्र में डोर-टू-डोर कैम्पेन कर रहे थे। कैम्पेन के दौरान ही उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा,

    ”देश मे डेढ़ सौ करोड़ लोगों को वैक्सीन लग गई है, जिसको लगवानी नहीं, वो तो खा ले जहर, कोई दिक्क्त नहीं….एक बात बताओ अगर अखिलेश यादव मुख्यमंत्री होते या कोई और मुख्यमंत्री होता तो वैक्सीन लग जाती क्या? अब सुनो मेरी बात प्रदेश में दंगे हो जाते, कत्लेआम हो जाता, (क्योंकि) जब लोग मर रहे थे तो वो कहते कि पहले मैं लगवाऊंगा-पहले मैं लगवाऊंगा। लेकिन (मोदी के चलते) देश में कोई दंगा नहीं हुआ और डेढ़ सौ करोड़ लोगों को वैक्सीन भी लग गई…”

    बता दें कि उत्तर प्रदेश चुनाव का बिगुल बज चुका है। यहां 10 फरवरी से सात चरणों में चुनाव होना है। परिणाम 10 मार्च को आएंगे।

  • बुलंदशहर: मुसलमानों को दंगाई बताने वाले BJP प्रत्याशी को मिली नोटिस, RO ने 2 दिन में मांगा जवाब

    बुलंदशहर: मुसलमानों को दंगाई बताने वाले BJP प्रत्याशी को मिली नोटिस, RO ने 2 दिन में मांगा जवाब

    चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में आचार सहिंता लागू है। कोविड के कारण कुछ अतिरिक्त प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। जैस- रैली, पदयात्रा आदि पर रोक।

    लेकिन चिंताजनक बात ये है कि राजनीतिक दलों द्वारा अतिरिक्त प्रतिबंधों को तो छोड़ ही दीजिए, सामान्य आदर्श आचार संहिता का भी पालन नहीं किया जा रहा है। ताजा मामला बुलंदशहर का है। यहां भाजपा प्रत्याशियों व उनके समर्थकों द्वारा लगातार नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।

    बुलंदशहर के सदर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं प्रदीप चौधरी। सोशल मीडिया पर इनके प्रचार के लिए एक पोस्टर शेयर किया गया था। इस पोस्टर में लिखे वाक्य से पता चलता है कि भाजपा प्रत्याशी मुसलमानों को दंगाई बताकर वोट मांग रहे हैं। पोस्टर पर लिखा है- ”छोटा पजामा, कुर्ता लम्बा। चाहिए शांति या फिर दंगा। शांति और विकास के लिए भाजपा को वोट करें।”

    पोस्टर को शेयर करने का आरोप भाजपा के प्रचार प्रमुख आनंद कुमार पर है। इस मामले में बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट की रिटर्निंग ऑफिसर मोनिका सिंह ने संज्ञान लेते हुए भाजपा नेता आनंद कुमार को नोटिस जारी किया है। भाजपा नेता को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया गया है।

    नोटिस में कहा गया है कि पोस्टर में भड़काऊ शब्दों का प्रयोग कर आचार संहिता का उल्लंघन किया गया है। आप पर आदर्श आचार सहिंता के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई क्यों ना की जाए। यदि आपका उत्तर निश्चित अवधि में प्राप्त नहीं होता है तो यह समझा जाएगा कि आपको इस संबंध में कुछ नहीं कहना। और तद्नुसार कार्यवाही अमल में लायी जाएगी, जिसके लिए आप स्वंय उत्तरदायी होंगे।

    इसके अलावा खुर्जा नगर क्षेत्र के कबाड़ी बाजार चौराहे के निकट राजनारायण की कोठी में बिना मास्क के कार्यक्रम करने पर खुर्जा की भाजपा प्रत्याशी मीनाक्षी सिंह सहित 300 लोगों खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शरजील इमाम को दी जमानत, कहा- उसके भाषण में न हथियार उठाने की बात हुई न हिंसा की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शरजील इमाम को राजद्रोह के एक मामले में जमानत दे दी।

    शनिवार को कोर्ट ने जमानत देते हुए साफ कहा कि, ”अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शरजील इमाम के भाषण ने ना तो किसी को हथियार उठाने का आह्वान किया और न ही उनके भाषण से कोई हिंसा भड़की।”

    न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने शरजील को ये जमानत 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर दी।

    ये मामला 16 जनवरी, 2020 का है। सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिसर में शरजील इमाम ने एक भाषण दिया था।

    जिसके बाद अलीगढ़ जिले के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में शरजील के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए (धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना)

    153बी (आरोप, राष्ट्रीय-एकता के लिए पूर्वाग्रही दावे) और 505(2) के तहत कुल चार मामले दर्ज किए गए थे।

    18 सितंबर, 2020 को शरजील इमाम को जेल हुई थी। वो अभी भी तिहाड़ जेल में बंद हैं।

    बता दें कि बिहार के जहानाबाद के काको गांव निवासी शरजील इमाम ने आईआईटी बॉम्बे से बीटेक और एमटेक किया है। फिलहाल दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रहे हैं।