सुप्रीम कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने ED को राजनीतिक लड़ाइयों से दूर रहने की हिदायत दी है. सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी से जुड़े मामले में ED द्वारा दायर की गई अपील के बाद आई है. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी. आर गवई और जस्टिस के. चंद्रन की बेंच ने की.
क्या था मामला?
आपको बता दें कि ED ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट बोर्ड (MUDA) केस में समन भेजा था. जिसे कर्नाटक हाईकोर्ट ने मार्च में रद्द कर दिया था. ED ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है.
मुख्य न्यायाधीश ने ED को साफ शब्दों में कहा, “कृपया हमें मुँह खोलने के लिए न कहें. अन्यथा, हमें प्रवर्तन निदेशालय के बारे में कुछ कठोर टिप्पणियां करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. दुर्भाग्य से मुझे महाराष्ट्र का कुछ अनुभव है. इस तरह की हिंसा को पूरे देश में मत फैलने दीजिए. राजनीतिक लड़ाइयां मतदाताओं के सामने लड़ी जाएं आपका इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है?”
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ED को लगाई गई फटकार के बाद राजनीतिक दलों की भी इस पर टिप्पणी आई. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और AAP नेत्री आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा,
“हम पिछले कुछ वर्षों का ED-CBI का इतिहास उठाकर देखें तो पता चलता है कि ED ने विपक्षी नेताओं को निशाने पर लिया. इन जांच एजेंसियों ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार किया. बिहार, बंगाल और झारखंड समेत देशभर के तमाम विपक्षी नेताओं को टारगेट करती हैं.“
https://x.com/AamAadmiParty/status/1947251458350649779?s=19
इस मामले पर राजद की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका भारती ने सुप्रीम कोर्ट के बयान को कोट करते हुए एक्स पर लिखा, “पिछले एक दशक में, ED (ईडी) ने 5,297 मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज किए, लेकिन केवल 43 मामलों में ही ट्रायल पूरा हो पाया! भाजपा ने सरकारी तंत्रों को अपना तोता बनाकर रख दिया है!“
https://x.com/priyanka2bharti/status/1947203568869462315?s=19
पत्रकार दयाशंकर मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर लिखा कि ‘राजनीतिक लड़ाई के लिए ED का इस्तेमाल न किया जाए’, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर सख्त टिप्पणी करते हुए यह बात कही है. वैसे यह बात कई बार कही जा चुकी है लेकिन क्या केंद्र सरकार SC की बात को गंभीरता से सुन रही है?
https://x.com/DayashankarMi/status/1947210736444592356?s=19
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले को खारिज किए गए जाने के बाद विपक्षी पार्टीयों द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग किए जाने का आरोप सही साबित होता नजर आ रहा है. सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी जांच एजेंसी की स्वतंत्रता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है.