भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का आज यानी 13 मई 2025 को कार्यकाल समाप्त हो रहा है. जस्टिस खन्ना ने 10 नवंबर 2024 को देश के 51 वें मुख्य न्यायाधीश बने थे. उनका कार्यकाल लगभग 6 महीने का था. जस्टिस खन्ना के सीजेआई रहते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कई अहम फैसले सुनाए. आइए जानते हैं जस्टिस खन्ना के मुख्य न्यायाधीश बनने तक के सफर के बारे में और उनके कार्यकाल में लिए गए कुछ अहम फैसलों के बारे में.
जस्टिस संजीव खन्ना का परिचय
14 में 1960 को जन्मे जस्टिस संजय खन्ना जजों के खानदान से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता जस्टिस देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे हैं. उनके चाचा हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज रहे हैं. जस्टिस खन्ना की शुरुआती शिक्षा दिल्ली के बाराखंबा स्थित मॉडर्न स्कूल में हुई थी. उन्होंने साल 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज स्नातक किया और दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉस सेंटर से लॉ किया.
वकालत की शुरुआत
साल 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकृत कराया. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत दिल्ली के तीस हजारी में स्थित जिला न्यायालय से की. बाद में उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत की. जहां जस्टिस खन्ना ने प्रत्यक्ष कराधान, संवैधानिक कानून, मध्यस्थता आदि क्षेत्रों में वकालत की. उन्हें 2004 में दिल्ली सरकार के लिए स्थायी वकील बनाया गया.
2005 में पहली बार बने जज
जस्टिस खन्ना को 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया और 2006 में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र, जिला न्यायालय मध्यस्थता केंद्र दिल्ली न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष व प्रभारी न्यायाधीश का पद भी संभाला.
18 जनवरी 2019 को जस्टिस ने संजीव खन्ना ने भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. और 10 में 2024 को को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली.
जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा लिए गया फैसले
किसी भी न्यायाधीश को उसके द्वारा लिए गए निर्णयों से परखा जाता है. जस्टिस संजीव भारत के सुप्रीम के जज और CJI रहते हुए कई बड़े फैसले किए. आइए कुछ महत्वपूर्ण फैसलों पर नजर डालते हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना धारा 370 को निरस्त करने वाली याचिका को खारिज करने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच का हिस्सा थे. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म बनाम भारतीय चुनाव आयोग 2024 में, जस्टिस संजय खन्ना की अगुवाई में एडीआर की याचिका खारिज कर दी.
संजय खन्ना का एक और महत्वपूर्ण फैसला 2024 में 5 जजों की बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड की स्कीम को असंवैधानिक घोषित कर दिया. जिसमें जस्टिस खन्ना भी शामिल थे.