देश की अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर आए दिन हमलावर रहती हैं. लेकिन अब बीजेपी नेता भी देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सवाल करने लगे हैं. जिसने विपक्ष को एक बार फिर से केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है. हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने देश में प्रति व्यक्ति आय (जीडीपी) के आंकड़ों पर टिप्पणी की. पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक कार्यक्रम में उन्होंने देश में आय की असमानता और जीडीपी पर चिंता जताई.
हाल ही में RSS के 100 साल पूरा होने पर दिल्ली में मोहन भागवत ने तीन दिवसीय लेक्चर सीरीज का आयोजन किया था. जिसमें आर्थिक क्षेत्र में संघ से जुड़े 6 संगठनों के लगभग 80 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इसी कार्यक्रम में मुरली मनोहर जोशी ने आर्थिक असमानता को लेकर टिप्पणी की थी.
70 स्लाइड की जी थी- प्रेजेंटेशन
मुरली मनोहर जोशी ने लगभग 70 पेज के स्लाइड प्रेजेंटेशन में कई मुद्दों पर बात की. अपने प्रेजेंटेशन के दौरान अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को कोट करते हुए कहा, “यदि किसी राष्ट्र की आर्थिक सफलता का आकलन केवल आय से किया जाता है, तो कल्याण का महत्वपूर्ण लक्ष्य चूक जाता है.’
आय की असमानता को लेकर पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि 2021 में भारत की आबादी के सबसे धनी 10 प्रतिशत लोगों के पास कुल घरेलू संपत्ति का 65 प्रतिशत हिस्सा था. भारत का प्रति व्यक्ति GDP केवल 2,878.5 डॉलर (लगभग 2.53 लाख रुपये) था जो जापान से बहुत कम था.
भारत के हित में नहीं विदेश पर निर्भर रहना
मुरली मनोहर जोशी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि भारत की विदेश पर निर्भरता देश के हित में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि देश की शब्दावली में ‘डिग्रोथ’ शब्द को शामिल करने का अर्थ होगा- कम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और समाज को ‘शेयरिंग’, ‘सिंपलीसिटी’, ‘मिलनसारिता’ और ‘केयर’ के मूल्यों के साथ अलग ढंग से संगठित करने की दिशा में बदलाव.
उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय का हवाला देते हुए कहा कि हमारे पास जो नहीं है हम उसे पाने की योजना बनाते हैं. वहीं जो चीजें हमारे पास हैं हम उनकी रक्षा करने की योजनाएं क्यों नहीं बनाते हैं. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कृषि और स्वदेशी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित पर जोर देते हुए कहा कि कृषि और स्वदेशी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करने में विफल रहे.
मुरली मनोहर जोशी के प्रभावशाली नेता होने के साथ पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे चुके हैं. उनकी आय की असमानता और जीडीपी को लेकर चिंता के कई मायने निकाले जा रहे हैं.