बिहार में चुनाव आयोग द्वारा कराए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बड़ा झटका देते हुए सभी छूटे हुए 65 लाख वोटरों के नाम वेबसाइट डालने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि जिन लोगों के नाम काटे गए हैं. उस लिस्ट में नाम काटे जाने का कारण भी लिखा जाए. विपक्ष की तरफ से लगातार इन नामों को वेबसाइट पर डाले जाने की मांग उठाई जा रही थी.
जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने SIR के मुद्दे पर लगातार तीसरे दिन सुनवाई की. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने आवेदन फॉर्म जमा किया है. वो मतदाता सूची में शामिल माने जाएंगे. जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस ने SIR के मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “SIR की प्रक्रिया नागरिकों को मतदान से वंचित करने जैसी गंभीर परिणाम का सकती है. इसलिए पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद जरूरी है.”
वहीं मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बागची ने सवाल पूछते हुआ कहा, “जब नाम बोर्ड पर चिपकाए जा सकते हैं तो वेबसाइट पर क्यों नहीं डाले जा सकते हैं”
बिहार SIR मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा कही गई अहम बातें
1.सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि बिहार में SIR की प्रक्रिया के बाद से हटाए गए 65 लाख लोगों के नामों की सूची को हटाए जाने के कारण सहित जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर सार्वजनिक करे.
2.सुप्रीम कोर्ट ने हर जिला स्तर पर सूची प्रकाशित करने की समय सीमा 19 अगस्त शाम 5 बजे तक तय की है.
- सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सूची के व्यापक प्रचार–प्रसार के लिए अखबार, टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचाने का निर्देश दिया.
4.मृत और प्रवासी और डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम भी सार्वजनिक करने पर विचार करने को कहा है.
सुप्रीम के इस आदेश के बाद कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने एक्स पर चुनाव आयोग को लेकर तंज कसते हुए लिखा, “कल राहुल गांधी जी ने मृत लोगों के साथ चाय पी. आज सुप्रीम कोर्ट ने सभी 65 लाख लोगों के नाम काटे जाने के कारण सहित सार्वजनिक करने का फरमान सुना दिया.
साहेब के प्यार में वोट चोर आयोग बुरा फंस गया.”