चुनाव आयोग द्वारा बिहार में किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का कार्य पूरा हो चुका है. जिसके आंकड़े चुनाव आयोग द्वारा जारी कर दिया है. चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वोटर लिस्ट रिवीजन में कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 65 लाख वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है. यानी अब राज्य में कुल रजिस्टर्ड 7.24 करोड़ मतदाता है. जिन 65 लाख वोटरों के नाम काटे गए हैं उनमें से 22 लाख की मौत और 36 विस्थापित हो चुके हैं. वहीं 7 लाख लोग दूसरे स्थान पर रह रहे हैं.
चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट से हटाए हुआ 65 लाख मतदाताओं का औसत निकालने पर एक चौंकाने वाला फैक्ट सामने आया है. आंकड़ों का अध्ययन करने पर पता चला कि राज्य की कुल 243 सीटों विधानसभा सीटों में से हर एक विधानसभा सीट से करीब 26 हजार वोटरों के नाम हटाए गए हैं. जिसका आगामी विधानसभा चुनाव में बहुत बड़ा असर पड़ सकता हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े?
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो 243 में से 189 विधानसभा सीटों में 26 हजार 400 से कम वोटों से जीत-हार तय हुआ था. जिसमें NDA की 99 और महागठबंधन को 85 सीटों जीत मिली थी. वहीं लोजपा, बसपा और निर्दलीय ने एक–एक सीट तथा दो सीट AIMIM ने 2 सीट जीती थी.
11 ऐसी सीटें थी जहां पर हार–जीत का अंतर 1000 वोटों से भी कम था. 35 सीटों पर हार–जीत का अंतर 35 से कम तो 52 सीटों पर हार– जीत का अंतर 5000 से कम था. ऐसे में इस बात के आशंका जताई जा रही है कि चुनाव से ठीक पहले का SIR का असर से विधानसभा चुनावों में देखा जा सकता है.
वहीं चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि अगर किसी योग्य मतदाता का नाम सूची से छूटने पर 1 अगस्त से 1 सितंबर तक आपत्ति या दावा कर सकता है. जिसकी जांच के बाद उसका नाम मतदाता से जोड़ा जा सकता है.
वहीं मतदाता सूची से 65 लाख लोगों के नाम हटाए जाने पर विपक्ष ने ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और केंद्र की मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर लोगों के वोटों का अधिकार छीनने का आरोप लगाया.
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक्स पर लिखा “प्रजातंत्र का आधार वोट है. बिहार में मोदी सरकार और चुनाव आयोग मिल कर 66,00,000 (66 लाख) लोगों से ये वोट का अधिकार छीन रहे हैं. क्या देश से प्रजातंत्र खत्म करने की तैयारी है?”
https://x.com/rssurjewala/status/1949698955501002936?s=19
कांग्रेस सांसद दानिश अली ने एक्स पर तंज के लहजे में लिखा, वाह! बिहार में विशेष मतदाता पूर्णिरीक्षण कार्यक्रम के तहत 65 लाख मतदाताओं का नाम निवास प्रमाण पत्र ना होने की वजह से निकाल बाहर किया गया. वहीं कुत्ते का निवास प्रमाण पत्र बना दिया जाता है. बहरहाल, अपनों का तो सभी ख्याल रखते है. आपत्ति होनी भी नहीं चाहिए.”