मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करना उनको भारी पड़ सकता है. दरअसल विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पड़ी करते हुए ‘आतंकवादियों की बहन’ बता दिया था. इसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 14 मई को स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ चार घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था. इसके बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक डीजीपी ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
आपको बता दें कि भाजपा मंत्री मंत्री विजय शाह ने एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के संदर्भ में कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर एक आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा कहा था कि, “उन्होंने कपड़े उतार–उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा. मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करके हमारे जहाज से उनके घर भेजा. मोदी जी कपड़े उतार नहीं सकते थे इसलिए उनके समाज की बहन की हे भेजा. तुमने हमारी बहनों को अगर विधवा किया है तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुमको नंगा करके छोड़ेगी. देश का सम्मान और हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी समाज की बहनों को पाकिस्तान भेज कर लिया.“
उनकी टिप्पणी के बाद देश भर में काफी हंगामा हुआ. देशभर के तमाम लोग और राजनीतिक पार्टियां उनको तुरंत पद से बर्खास्त करने और गिरफ्तार करने की मांग कर रही हैं. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर एफआईआर होने के बाद उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.
मंत्री विजय शाह ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है. उन्होंने याचिका में एफआईआर रद्द करने मांग की है. इसके बाद उनको सुप्रीम कोर्ट से भी फटकार लगी. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस बिहार गवाही की पीठ के सामने उनका मामला पेश किया गया. जिस पर मुख्य न्यायाधीश बिहार गवाही ने फटकार लगाते हुए कहा, “आप किस तरह का बयान दे रहे हैं ऐसे संवैधानिक पद संभालने वाले से मर्यादा की अपेक्षा की जाती है. जब देश इतनी गंभीर स्थिति से गुजर रहा हो तो आपको हर शब्द जिम्मेदारी के साथ बोलना चाहिए“ सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई शुक्रवार 16 को होगी.
वही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मामले को और गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ हाईकोर्ट के जजों की निगरानी में जांच के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट में शाह के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने नाराजगी जताते है कहा कि, “FIR की ड्राफ्टिंग में अभियुक्त के करतूत का साफ जिक्र नहीं है. यह इतनी कमजोर है कि इसको चुनौती देकर रद्द कराया जा सकता है.
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस श्रीधर ने कहा, “ इस तरह के गंभीर मामलों में इस तरह के FIR तैयार करना कानूनी प्रक्रिया के साथ मजाक है. इस तरह का बयान देश की सेना और महिला अधिकारी के सम्मान के साथ खिलवाड़ है.” कोर्ट ने FIR में तत्काल सुधार किए जाने का आदेश दिया. जिसके बाद से उनके मंत्री जी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है.