हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP के मामले में दुनिया कीू चौथी अर्थव्यवस्था बन गया है.

इसकी जानकारी नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने शनिवार को दी. IMF द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत की जीडीपी 4.19 ट्रिलियन डॉलर की हो गई है. वहीं भारत से पीछे छूटने वाले जापान की अर्थव्यवस्था 4.18 ट्रिलियन की रह गई है. बीवीआर सुब्रमण्यम के अनुसार अगर भारत की विकास दर इसी तरह रही तो भारत 2 से 3 सालों में जर्मनी को छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.

IMF की ताजा रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका 30.51 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की नंबर वन अर्थव्यवस्था है. वहीं चीन 19.23 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरी तो जर्मनी 4.74 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. वहीं फ्रांस दुनिया की सातवीं और ब्राजील दुनिया की 10 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. 2014 में भारत विश्व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, लेकिन 2021 में यह पाँचवें स्थान पर पहुँच गई और अब 2025 में दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.

ये आंकड़े देखने सुनने मैं तो सही लगते है लेकिन हम इस रिपोर्ट में इन आंकड़ों की इसकी जमीनी हक़ीक़त के बारे में जानेंगे.

भारत दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बनना देश के लिए बड़ी उपलब्धि है. लेकिन किसी भी देश का असल विकास देश के नागरिकों की होने वाली कमाई और हेल्थ सुविधाओं से होता है. जिस देश के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय ज्यादा होगी वहां के लोगों का रहन-सहन खान भी अच्छा होगा. वहीं जिस देश के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय कम होगी वहां के लोगों की रहन–सहन भी उसी तरह होता है.

2025 में भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,880 डॉलर (लगभग 2.4 लाख रुपये) है, जो 2024 के 2,500 डॉलर और 2023 के 2,236 डॉलर से अधिक है. फिर भी, वैश्विक स्तर पर भारत इस मामले में जो दुनिया के टॉप 100 देशों में भी नहीं आता है. भारत इस मामले में जो कई छोटे देशों से भी पीछे है.

इन आंकड़ों की तुलना की जाए अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय लगभग 70 लाख रुपए सालाना से भी अधिक है. चीन में प्रति व्यक्ति आय 11 लाख से अधिक है. जर्मनी में प्रति 45 लाख से अधिक, जापान में प्रति व्यक्ति आय 28 लाख से अधिक है. भारत में प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 40 हजार से अधिक है.  यह दर्शाता है भारत और बाकी दुनिया में प्रति व्यक्ति आय में कितनी भिन्नता है.

देश में आर्थिक असमानता भी एक बड़ी समस्या है. वर्ल्ड हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में शीर्ष 1% के पास देश की 41% संपत्ति है, जबकि 90% भारतीयों की मासिक आय 25,000 रुपये से कम है. यह असमानता दिखाती है कि भारत के बारे में दिखाए जाने वाले आंकड़े न केवल कुछ लोगों के विकास को दर्शाते हैं बल्कि देश में अमीरी और गरीबी की खाई को भी दिखाते हैं. यह असमानता आर्थिक विकास के लाभ को समाज के निचले तबके तक पहुँचने से रोकती है. भारत भले ही 4 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन गई हो लेकिन देश में अभी भी लगभग 80 करोड़ लोगों को 5 किलो राशन दिया जाता है. ये देश आंकड़े की चौथी अर्थव्यवस्था के बनने के दावों की पोल खोलते हैं.

इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय ने लिखा, “सुबह से जापान को पीछे छोड़ने की बात चल रही है. भारत की जनसंख्या है 140 करोड़ और जापान की 12.4 करोड़ है. भारत का क्षेत्रफल है 3.287 million km² और जनसंख्या घनत्व 427, जापान केवल 377,974 km² और जनसंख्या घनत्व 340 है. भारत की प्रति व्यक्ति आय है- $2,481 USD, जापान की $33,845.48 USD है. मतलब यह हुआ कि हमसे बहुत छोटी, लगभग समान जनसंख्या घनत्व वाली अर्थव्यवस्था का औसत व्यक्ति हमसे हर महीने दस गुने से भी ज्यादा कमा रहा है. वज़न ज़्यादा होने का मतलब स्वस्थ होना नहीं होता.”

पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेई ने दुनिया की टॉप अर्थव्यवस्थाओं के बीच के बीच प्रति व्यक्ति आय के कुछ आंकड़े लिखे हैं., “IMF के मुताबिक़ प्रति व्यक्ति आय में अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय ₹75,89,604 सालाना है. चीन में प्रति व्यक्ति आय ₹11,65,993 सालाना है, जर्मनी में प्रति व्यक्ति आय ₹47,61,920 सालाना, भारत प्रति व्यक्ति आय ₹2,45,293 सालाना, जापान प्रति व्यक्ति आय ₹ 28,92,413 सालाना है.” उन्होंने आगे आगे लिखा भारत दुनिया की चौथी बड़ी इकोनॉमी है लेकिन भारत प्रति व्यक्ति आय में 143 वें नंबर पर है.

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने इन आंकड़ों पर सवालिया अंदाज में लिखा, “भारत अर्थव्यवस्था के मामले में वैश्विक स्तर पर चौथे पायदान पर पहुंच गया है, पैसा तो भारत का है लेकिन जा किसके पास रहा है? आज शीर्ष के 20 कॉर्पोरेट्स की संपत्तियां देख लीजिए, 2014 से अब तक सैकड़ों गुना बढ़ गई है. अब सवाल इस बात का है कि यदि हम विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था हैं तो मनरेगा बंद क्यों है? तेंदूपत्ता क्यों नहीं खरीदा जा रहा है? रोजगार क्यों छीने जा रहे हैं? रेलवे में भर्ती क्यों नहीं हो रही है? PSU बंद क्यों हो रहे हैं, उनका निजीकरण क्यों हो रहा है?”

 ellems नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “भारत  की GDP तो रॉकेट की स्पीड से भाग रही है, बस जनता की जेब अब भी पैदल चल रही है. बढ़िया काम, अब थोड़ा ध्यान महंगाई और बेरोजगारी के एक्सेल शीट पर भी डाल दो वहीं असली मैच बाकी है”

वहीं दिनेश पुरोहित नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, “भारत आज भले ही दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया हो. लेकिन इस आर्थिक ऊंचाई का आम आदमी की जेब और जीवन पर अभी तक वो असर नहीं दिखा है. GDP की चमक के पीछे अब भी करोड़ों लोग हैं, जिनकी थाली अधूरी है और सपने महंगे. जब तक विकास का लाभ हर नागरिक तक नहीं पहुंचे, तब तक यह तरक्की अधूरी ही मानी जाएगी”

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