अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को बुधवार (21 मई ) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी लेकर उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से राहत देते हुए जमानत दे दी.
आपको बता दें कि प्रो. अली खान महमूदाबाद ने 8 मई 2025 सोशल मीडिया पर पोस्ट ऑपरेशन सिंदूर और महिला सैन्य अधिकारियों की प्रेस ब्रीफिंग पर एक टिप्पणी की थी. उनकी पोस्ट पर हरियाणा राज्य महिला आयोग ने उनके खिलाफ नोटिस भेजा था. भाजपा युवा मोर्चा के सदस्य योगेश जठेड़ी ने राई थाने में ने दर्ज कराई थी. 18 मई 2025 को हरियाणा पुलिस ने उन्हें कर लिया था. प्रो. खान के खिलाफ बीएनएस की धारा 152 (राष्ट्र की संप्रभुता को खतरा), धारा 196(1) (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 197(1) (देश की संप्रभुता को खतरे में डालने वाली झूठी जानकारी प्रकाशित करना) और धारा 299 (किसी धर्म को अपमानित करना) जैसी धाराओं के तरह मुकदमा दर्ज किया गया था.
कोर्ट ने कहा उनके खिलाफ जांच जारी रहेगी. साथ कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर एक विशेष जांच के दल के गठन का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी आदेश भी दिया है कि जांच दल में दिल्ली या हरियाणा से संबंध रखने वाले अधिकारी शामिल हो. इस एसआईटी जांच दल के नेतृत्व आईजी रैंक अधिकारी व 2 एसपी रैंक के अधिकारी होने चाहिए. कोर्ट ने प्रोफेसर खान को जमानत देते हुए कहा कि मामले के विषय से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में कोई भी पोस्ट या लेख लिखने ने रोक लगा दी है.
वहीं प्रो. खान की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए. सिब्बल ने प्रो. खान की टिप्पणियों को पढ़ते हुए कहा कि महमूदाबाद का बयान देशभक्ति पूर्ण हैं. प्रो. खान की जमानत याचिका की सुन सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की पीठ ने की. कपिल सिब्बल ने न्यायालय से अनुरोध किया कि प्रो. खान के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक लगाई जाए जाए तो न्यायमूर्ति ने मौखिक रूप से कहा, “कुछ नहीं होगा”. लेकिन उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का कोई लिखित फैसला नहीं दिया है.