देश भर में EVM और वोट चोरी को विपक्ष का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है. इसी बीच हरियाणा में हुए पंचायत चुनाव में EVM मशीन में काउंटिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बड़ी धांधली का खुलासा हुआ है. इस खबर ने सबको चौंका है. इस धांधली के खुलासे के बाद विपक्ष ने सवाल पूछा है.

क्या है पूरा मामला?

2 नवम्बर 2022 को हरियाणा में हुए पंचायत चुनाव में पानीपत जिले के बुआना लाखू गांव के पंचायत प्रत्याशी  मोहित कुमार 1,051 वोटों के साथ विजयी हुए थे. लेकिन नतीजों में उन्हें हारा हुआ घोषित कर दिया गया था. जबकि हारे हुए प्रत्याशी कुलदीप सिंह जिन्हें 1000 वोट मिले थे उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया था. पंचायत चुनाव में अपनी हार से असंतुष्ट मोहित कुमार ने नतीजे को चुनौती देते हुए अतिरिक्त सिविल जज सह इलेक्शन ट्रिब्यूनल पानीपत में याचिका दायर की थी. 

जिसके बाद 22 अप्रैल को ने बूथ नंबर 69 की मतगणना करने का आदेश दिया था. लेकिन 1 जुलाई 2025 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द कर दिया था. इसके बाद मोहित कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

21 जुलाई 2025 को जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस, दीपंकर दत्ता जस्टिस और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने सभी बूथों पर पुनर्गणना का आदेश देते हुए मतगणना की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग के भी आदेश दिए थे. 6 अगस्त को EVM की पुनर्गणना हुई जिसमें कुल 3767 वोट पड़े थे. जिसमें मोहित कुमार को 1051 वोट और कुलदीप सिंह को 1000 वोट मिले. बाकी वोट अन्य उम्मीदवारों के थे. 3 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में मिले द्वारा दिए गए इस फैसले के बाद विपक्ष द्वारा EVM में धांधली को लेकर उठाए जा रहे सवालों को और मजबूत कर दिया है.

इस खबर पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक पोस्ट में एक अंग्रेजी अखबार की कटिंग शेयर करते हुए लिखा, “ये खबर आपको हिंदी अखबारों में नहीं मिलेगी? हरियाणा के एक पंचायत चुनाव में EVM काउंटिंग में एक बूथ में उम्मीदवार को जबरन हरा दिया.  हारा हुआ प्रत्याशी सुप्रीम कोर्ट पहुँचा.  सुप्रीम कोर्ट में वीडियोग्राफी के साथ सभी बूथों की EVM की गिनती हुई. हारा हुआ प्रत्याशी जीत गया लेकिन उसके कार्यकाल के तीन साल EVM की कृपा से कोई और फर्जी सरपंच रहा.

तेजस्वी यादव आगे लिखा, “एक बूथ की ईवीएम का यह हाल है. चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कैसे धांधली करके बीजेपी ने बीजेपी को जिताया जिसे बाद में कोर्ट ने खारिज किया. उसके बाद बीजेपी सरकार ने वीडियो रिकॉर्डिंग रखने के नियम बदल दिए. अब 45 दिन के बाद चुनाव आयोग आपको गिनती का वीडियो नहीं देगा. जब बीजेपी चुनाव आयोग के साथ मिलकर साक्ष्य को खत्म कर देगी तो आप कोर्ट में सबूत क्या रखेंगे? ये लोग लोकतंत्र के ख़िलाफ़ है इसलिए लोकतंत्र में ये दो लोग पारदर्शिता नहीं चाहते.

तेजस्वी यादव ने बिहार को लोकतन्त्र की जन्मस्थली बताते हुए लिखा, “बिहार लोकतंत्र की जन्मस्थली है. चाहे जो भी हो, हम संविधान और लोकतंत्र को मोदी-शाह के जूतों तले कुचलने नहीं दे सकते. आप सभी लोग सतर्क, सावधान और जागरूक रहें.”

https://x.com/yadavtejashwi/status/1955901689514361049?s=19  

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