केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को संसद में केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने प्रोफेसरों की नियुक्ति संबंधी से संबंधित एक डाटा जारी किया जिसमें सबको चौंका दिया. केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के 80 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (ST) के 83% स्वीकृत पद खाली हैं.
राजदसे राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा के एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 30 जून 2025 तक प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति संबंधी डाटा प्रस्तुत किया.
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार OBC क्षेत्र में प्रोफेसरों के लिए स्वीकृत 423 पदों में से केवल 84 ही भरे जा गए हैं. वहीं ST श्रेणी में 144 में से केवल 24 पद भरे गए हैं. अनुसूचित जाति में (SC) में 308 में से 111 पद ही भरे गए हैं. यानी कुल स्वीकृत आवेदनों में 64% पद खाली हैं. सामान्य श्रेणी में प्रोफेसर के लिए स्वीकृत 1538 पदों में से 935 पद भरे गए हैं. यानी सामान्य श्रेणी में स्वीकृत पदों में से 39% पद रिक्त हैं.
सोशल मीडिया से आई प्रतिक्रिया
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर सुबोध कुमार मेहता ने लिखा, “उच्च शिक्षा में आरक्षण लागू 20 साल पहले हुआ था,पर आज भी OBC/ST/SC के पद खाली हैं, क्यों राजद सांसद मनोज कुमार झा द्वारा राज्यसभा में पूछे गये एक सवाल के जवाब में भारत सरकार के शिक्षा राज्य मंत्री के निम्न आंकड़े ! OBC के 84%, ST के 83% और ST के 64% सीट ख़ाली है.”
https://x.com/subodhprof01/status/1948277978665738577?s=19
राजद की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका भारती ने सरकार इस पर लिखा, “अब सभी आंकड़े आप देखिए और सोचिए आख़िर क्यों देश भर में जातिगत जनगणना होनी चाहिए और होने के साथ साथ प्राइवेट में भी आरक्षण लागू होना चाहिए. अब आरक्षण सिर्फ पब्लिक सेक्टर में बढ़ाना ज़रूरी नहीं हर सेक्टर में बढ़ाए हुए 85 प्रतिशत आरक्षण को लागू करवाना ही होगा. आख़िर कब तक हम शोषण झेलते रहे और कब तक हम 90% आबादी रोटी के एक टुकड़े पर रहें और बाक़ी तीन टुकड़ा चंद समुदाय बंट जाए!”
https://x.com/priyanka2bharti/status/1948250236809617669?s=19
कांग्रेस के नेशनल सेक्रेटरी चंदन यादव ने इस मुद्दे पर लिखा, “80 प्रतिशत ओबीसी और 83 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियों के पद खाली और मोदी जी चुनाव के समय ओबीसी बन जाते हैं. इसके बाद भूल जाते हैं. केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक पदों पर आरक्षण लागू करने का क्या फायदा जब आरक्षित पद भरना ही नहीं है?
उन्होंने आगे लिखा, “भाजपा सरकार ने देश के पिछड़े, आदिवासी और दलित जातियों के युवाओं को बर्बाद करने के लिए यह नीति अपनाई है। इनकी भर्ती ही बंद कर दो. आरक्षण मिलने का फायदा ही नहीं मिलेगा”
https://x.com/chandanjnu/status/1948266673217417271?s=19
पत्रकार दयाशंकर मिश्रा ने लिखा, “मोदी सरकार के सामाजिक न्याय की हक़ीक़त. केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी के 80% और एसटी के 83% प्रोफेसर पद रिक्त हैं। बिहार चुनाव में यह सब बातें होंगी ! सरकार को भरोसा है, यह सब बातें नहीं होगी, इसलिए भर्तियों की जगह हिन्दू-मुस्लिम पर ही फोकस है.”