हिंदू–मुस्लिम, जाति–धर्म और भारत–पाकिस्तान जैसे टीआरपी वाली खबरों के बीच देश के असल मुद्दे कहीं न कहीं दब जाते हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य और किसानों के मुद्दे शायद ही मीडिया स्क्रीन पर जगह बना पाते हैं. किसी भी देश के विकास और उन्नति में किसानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है.

अपनी उगाए हुए अनाजों से पूरे देश का पेट भरने वाले किसान आज सुसाइड करने को मजबूर हैं. हाल ही में महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने किसानों से संबंधित एक डेटा जारी किया है. जिसने पूरे देश को हैरान कर दिया. महाराष्ट्र सरकार के दिए गए डाटा के अनुसार जनवरी 2025 से मार्च द्वारा 2025 के बीच सिर्फ तीन महीने में 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली. ज्यादा सुसाइड करने वाले किसान विदर्भ क्षेत्र से हैं.

साथ ही कांग्रेस विधायकों ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही मदद की भी जानकारी मांगी. जिसके जवाब में महाराष्ट्र के राहत एवं पुनर्वास विभाग मंत्री मकरंद पाटिल ने विधान परिषद में जवाब देते हुए बताया कि जनवरी 2025 से मार्च 2025 के बीच सिर्फ 3 महीने में कुल 767 किसानों ने आत्महत्या की है.

वहीं इसमें से 376 किसानों को मुआवजे का पात्र मानते हुए एक-एक लाख की मदद की गई. जबकि 200 किसानों को मापदंड पूरा न होने के कारण सहायता नहीं मिली. 194 के मामलों में जांच जारी है. महाराष्ट्र के पश्चिमी विधायक क्षेत्र यवतमाल, अमरावती, अकोला, बुलढाणा और वसीम जिले में 257 किसानों ने आत्महत्या की. जिसमें से केवल 76 मृतक किसानों के परिवारों को मदद दी गई जबकि 74 आवेदन को खारिज कर दिया गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2024 में महाराष्ट्र में लगभग 2635 किसानों ने आत्महत्या की थी. वही 2023 में लगभग 2851 किसानों ने आत्महत्या की थी.

ये मौतें केवल किसानों की बद से बदतर स्थिति का प्रमाण है. बल्कि ये मौतें महाराष्ट्र और केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के तमाम दावों की पोल भी खोलती हैं जिसमें किसानों के हितों की बात कही जाती है. किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या प्रधानमंत्री के उस वादे की भी पोल खोलता है जिसमें उन्होंने कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जायेगी.

महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के बाद सोशल मीडिया पर कई विपक्षी पार्टियों समेत बुद्धिजीवी और पत्रकार सरकार से सवाल कर रहे हैं.

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, “2025 के शुरुआती 3 महीनों में महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली. ये आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है, जो मोदी सरकार में किसानों की बदहाली बयां कर रहा है. BJP सरकार में किसान भारी कर्ज से दबे हैं. वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. खेती के सामान पर GST लगी है. उन्हें फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा.

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री की आलोचना करते है लिखा, “नरेंद्र मोदी ने वादा किया था. 2022 तक ‘किसानों की आय’ दोगुनी हो जाएगी, लेकिन आज ‘किसानों की आयु’ आधी हो गई है.
चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था का ढोल पीटने वाले नरेंद्र मोदी देश के पूंजीपतियों का लाखों-करोड़ का कर्ज तो माफ कर देते हैं, लेकिन किसानों का एक रुपया माफ नहीं करते. कुल मिलाकर- नरेंद्र मोदी देश के अन्नदाताओं को तबाह करने पर तुले हैं.

वरिष्ठ पत्रकार डॉ मुकेश कुमार ने किसानों की आत्महत्या की खबर पर लिखा, “महाराष्ट्र में तीन इंजन की सरकार है. मोदी, फडणवीस और अदाणी इन इंजनों को चला रहे हैं. शायद इसलिए इस साल के शुरुआती तीन महीनों में ही 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली. ये आँकड़े महाराष्ट्र सरकार ने ही दिए हैं. अधिकांश आत्महत्याएं विदर्भ के इलाक़े में ही हुई हैं. पहले भी इसी इलाक़े में किसानों ने जानें दी हैं. सोचिए ये तीनों मिलकर महाराष्ट्र को कैसे चला रहे हैं. ये भी न भूलें कि इसी राज्य में, बल्कि विदर्भ में ही आरएसएस का हेडक्वार्टर भी है। यानी भागवत भी एक ड्राइवर हैं.”

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