
कृष्णकांत
भारत नाम का यह जो देश है, इसके सारे नायक आंदोलनजीवी रहे हैं। एक आंदोलनजीवी भगत सिंह नाम का वह युवक था जो छोटी सी उम्र में फांसी चढ़ गया था।
उसके कुछ साथी भी आंदोलनजीवी ही थे जिन्होंने आखिरी बार भारत माता की जय का नारा लगाया तो जेल की दीवारें थर्रा गयी थीं। अशफाक, बिस्मिल, सुखदेव, राजगुरु सब आंदोलनजीवी थे।
एक आंदोलनजीवी नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे, जो देश आज़ाद कराने के पागलपन में दुनिया भर में घूम-घूम कर अंग्रेजी सत्ता से लड़े।
एक आंदोलनजीवी वह महात्मा था जिसने समूचे भारत को अंग्रेजी शासन के खिलाफ खड़ा किया था और जिसे सुभाष बाबू ने राष्ट्रपिता कहा था। जिसे टैगोर ने महात्मा की उपाधि दी थी।
एक आंदोलनजीवी मोतीलाल नेहरू का वह लड़का था जो बैरिस्टर बनकर गांधी का प्रिय शिष्य बना, नौ साल जेल में रहा और देश का पहला प्रधानमंत्री बना।
एक आंदोलनजीवी वे सरदार पटेल थे जिन्होंने किसानों के लिए सत्याग्रह किया और गांधी के प्रिय बन गए। वे देश के पहले गृहमंत्री बने। जिन्होंने 545 रियासतों को जोड़कर एक देश बनाया।
जिन लोगों ने अपने खून से इस धरती को सींचा है, वे सब आंदोलनजीवी ही तो थे।
परजीवी तो वे आतंकवादी थे जो महात्मा गांधी की हत्या का षड्यंत्र रचते रहे और अंग्रेजों से पेंशन लेते रहे। परजीवी तो वह विक्षिप्त आतंकवादी था जिसने हिंदू हित के नाम पर एक निहत्थे बूढ़े महात्मा को गोली मार दी थी।
परजीवी तो वे नेता हैं तो गांधी के भारत में सत्ता पर काबिज हैं और चुपके-चुपके गांधी के हत्यारे का महिमागान करते हैं।
अगर सत्ता में बैठा कोई शख्स आपसे कहता है कि आंदोलनजीवियों से दूरी बना लो, तो इसका मतलब है कि वह अंग्रेजों की भूमिका में है। वह आपको अपने राष्ट्रीय नायकों के पथ से विमुख करने और आपके अपने हक की लड़ाई से दूर करने की चाल चल रहा है।
जिनकी पार्टी का वजूद ही आंदोलनों के बाद सामने आया, जिनको कुर्सी फर्जी आंदोलनों से मिली, वे आंदोलन का मजाक उड़ा सकते हैं। क्योंकि अब आंदोलन उनकी कुर्सी के लिए खतरा है।
जयप्रकाश के आंदोलन से एक फर्जी सुशासन बाबू निकले थे। वे भी युवाओं से कहते हैं कि आंदोलन करोगे तो नौकरी नहीं मिलेगी।
आपको आंदोलन से नहीं, उस सियासी झूठ और छल से खतरा है जो आपके खिलाफ रचा जाता है। जनता को आंदोलनजीवियों से नहीं, छलजीवियों से सतर्क रहने की जरूरत है।
“आंदोलनजीवी टोली” ने ही भारत नाम के देश की बुनियाद रखी है। आंदोलनजीवी भारत का गौरव हैं।
(यह लेख पत्रकार कृष्णकांत की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)