हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उन्हें क्षत्रिय होने पर गर्व है। भगवान भी इसी जाति के थे।
दरअसल, उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर हिंदुस्तान टाइम्स ने सीएम योगी का एक इंटरव्यू किया है। इस इंटरव्यू के दौरान पत्रकार ने सीएम योगी से पूछा ‘जब आपसे ये कहा जाता है कि आप सिर्फ राजपूतों की राजनीति करते हैं, तो क्या आपको दुख होता है?
इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा- मुझे कोई दुख नहीं होता। क्षत्रिय जाति में पैदा होना कोई अपराध नहीं है। मुझे क्षत्रिय होने पर गर्व है। इस जाति में भगवान ने बार-बार जन्म लिया है। अपनी जाति पर स्वाभिमान हर व्यक्ति को होना चाहिए।
सवाल : आप सिर्फ राजपूत की राजनीति करते हैं, आपको दुख नहीं होता ?
योगी : कोई दुख नहीं होता ..राजपूतों में पैदा हुआ…!
जब यूपी में ब्राह्मणों का एक बड़ा वर्ग अजय सिंह बिष्ट यानि योगीजी से नाराज हो तब चुनावों के बीचोंबीच ये क्या कह गये मुख्यमंत्री !
सुना है चाणक्य बेहद नाराज है । PIC.TWITTER.COM/YVMQVFRW8Z
— DEEPAK SHARMA (@DEEPAKSEDITOR) JANUARY 29, 2022
इस बयान के बाद के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को योगी आदित्यनाथ की जगह अजय सिंह बिष्ट कहना भी अनुचित नहीं है। क्योंकि सिर्फ भगवा चोला पहनने से कोई संत नहीं हो जाता। संत जाति में विश्वास तक नहीं करते लेकिन आदित्यनाथ तो अपनी पर जाति गर्व कर रहे हैं। ऐसे में इन्हें अजय सिंह बिष्ट कहना ज्यादा उचित होगा।
एक संवैधानिक पद पर होने के बावजूद अपनी जाति पर गर्व का खुलेआम इजहार बताता है कि अजय सिंह बिष्ट जातिवादी मानसिकता के हैं। अगर अजय सिंह बिष्ट को अपनी जाति पर गर्व है तो जाहिर है कि अपनी जाति के लिए सॉफ्ट कॉर्नर भी रखते होंगे। उन्हें अधिक फायदा पहुंचाते होंगे, मुश्किलों से बचाते होंगे। तो क्या ये जातिवाद नहीं है?
बहुत साधारण सा फॉर्मूला है कि अगर किसी समांती जाति में पैदा हुए व्यक्ति को अपनी जाति पर गर्व है तो वो निश्चित ही जातिवादी है।
अजय सिंह बिष्ट को अपनी जाति पर गर्व है। यानी उन्हें वर्ण व्यवस्था में विश्वास है। अगर वर्ण व्यवस्था में यकीन है तो जाहिर है वो दलितों को नीच, गंदा, अशुद्ध और अछूत समझते होंगे। जानवरों से भी बदतर समझते होंगे। तो क्या यही वजह है कि जब वो अपने पसंद के भाजपायी दलित के घर भी खाना खाने जाते हैं तो उनके बर्तन में ना खाकर पत्तल में खाते हैं।
अगर अजय सिंह बिष्ट को केवल राजपूतों की राजनीति के आरोप पर कोई दुख नहीं है, तो क्या इसका मतलब ये नहीं समझा जाना चाहिए कि विपक्षी दलों के ठाकुरवाद के आरोप सही हैं? उत्तर प्रदेश में ठाकुरवाद एक सच्चाई है?
वैसे बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जिस नाथ परम्परा से आते हैं उसमें जाति व्यवस्था, वर्णाश्रम व्यवस्था और ऊंच-नीच निषेध है। कभी नाथपंथियों में वर्णाश्रम व्यवस्था से विद्रोह करने वाले सबसे अधिक लोग हुआ करते थे। यही वजह है कि गोरखनाथ का प्रभाव कबीर, दादू, जायसी और मुल्ला दाऊद जैसे अस्पृश्य और गैर-हिन्दू कवियों पर भी माना जाता है।
लेकिन नाथपंथ के वर्तमान अगुआ ‘योगी आदित्यनाथ’ अपनी जाति की जड़ को छोड़ नहीं पाए हैं। जाति पर गर्व करने वाला उनका बयान बतात है कि वो योगी आदित्यनाथ के खोल में अजय सिंह बिष्ट हैं। जाति के इसी जंजाल की तरफ उत्तर प्रदेश में उच्च पदों पर हुई नियुक्तियां भी इशारा करती हैं।
यूपी में 26% डीएम योगी आदित्यनाथ की जाति के यानी ठाकुर हैं। यूपी में कुल 75 जिले हैं, इनमें से 61 ज़िलों में एसपी और डीएम में से एक पद पर ठाकुर या ब्राह्मण हैं। कई जगहों पर दोनों पदों पर इन्हीं जातियों से अफ़सर हैं। यूपी के कुल जिलाधिकारियों में से 40% सवर्ण हैं। 26% ठाकुरों के बाद सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण जिलाधिकारियों (11%) की है। SSP/SP की बात करें तो 75 में से 18 जिलों की कमान ठाकुरों के पास हैं और 18 ब्राह्मणों के पास।