Category: BH NEWS

  • BJP नेताओं की रंगभेदी मानसिकता आई सामने! काला रंग देखकर तमिल लेखक को बताया झुग्गीवासी

    BJP नेताओं की रंगभेदी मानसिकता आई सामने! काला रंग देखकर तमिल लेखक को बताया झुग्गीवासी

    उत्तर प्रदेश में विकास दिखाने के लिए कोलकाता का फ्लाईओवर और अमेरिका की फैक्ट्री इम्पोर्ट करने के बाद हाल ही में भाजपा ने चीन से पूरा का पूरा एयरपोर्ट इम्पोर्ट कर लिया था।

    अब भाजपा का एक नया पोस्टर वायरल हो रहा है जिसमें तमिल के प्रसिद्ध साहित्यकार और बुद्धिजीवी पेरुमल मुरुगन को झुग्गीवासी के रूप में दिखाया गया है।

    दरअसल अगले साल दिल्ली में नगर निगम (MCD) का चुनाव होने वाला है। लम्बे समय से MCD की सत्ता पर काबिज भाजपा इस चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार शुरू कर चुकी है।

    इसी चुनावी प्रचार का हिस्सा है भाजपा का ‘झुग्गी सम्मान यात्रा’ जिसके पोस्टर में पेरुमल मुरुगन को झुग्गीवासी के रूप में दिखाया गया है।

  • 3 दिन से जम्मू-कश्मीर में नहीं प्रकाशित हुए अख़बार, पत्रकारों के संगठन ख़ामोश क्यों?

    3 दिन से जम्मू-कश्मीर में नहीं प्रकाशित हुए अख़बार, पत्रकारों के संगठन ख़ामोश क्यों?

    अनुच्छेद 370 हटाए जाने के चार दिन बाद भी जम्मू कश्मीर लॉकडाउन का सामना कर रहा है। फोन, इंटरनेट, ब्रॉडबैंड और केबल टीवी सेवाओं पर प्रतिबंध जारी है। साथ ही पिछले तीन दिनों से राज्य में अख़बारों का प्रकाशन भी नहीं हुआ है।

    राज्य में अख़बारों का प्रकाशन सोमवार 5 अगस्त तक ही हुआ है। 6 अगस्त से अभी तक राज्य में किसी भी अख़बार का प्रकाशन नहीं हुआ है। साथ इंटरनेट और ब्रॉडबैंड पर प्रतिबंध के कारण ई-पेपर्स भी वेबसाइट्स पर पब्लिश नहीं हुए हैं। इसी तरह कश्मीर की न्यूज़ वेबसाइट्स भी पिछले तीन दिनों से बंद पड़ी हैं।

    हैरानी की बात तो यह है कि किसी भी भारतीय पत्रकारों के संगठन ने इसपर कोई चिंता व्यक्त नहीं की है। प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया, इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी, एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया जैसे सभी संगठन इसपर ख़ामोश हैं।

    हालांकि न्यूयॉर्क स्थित कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (CPJ) ने इसपर अपनी चिंता व्यक्त की। CPJ के एशिया कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता आलिया इफ्तिखार ने कहा, “कश्मीर के लिए इतने महत्वपूर्ण समय में एक बड़े पैमाने पर संचार व्यवधान एक स्वतंत्र प्रेस से सूचना के अधिकार का उल्लंघन है”।

    उन्होंने कहा, “हम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके प्रशासन से अपील करते हैं कि कश्मीर के सभी संचार प्रतिबंधक हटा दिए जाएं ताकि पत्रकार स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट कर सकें। संचार प्रतिबंध का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है”।

  • दरोगा ने भरी सभा में दिया इस्तीफा, कहा- बीजेपी वालों ने खून पी रखा है, गाली और धमकी देकर मांगते हैं वोट

    दरोगा ने भरी सभा में दिया इस्तीफा, कहा- बीजेपी वालों ने खून पी रखा है, गाली और धमकी देकर मांगते हैं वोट

    भाजपा से परेशान जनता द्वारा नेताओं को भगाए जाने के बाद, अब भाजपा नेताओं से परेशान दरोगा ने भरी सभा में अपना त्यागपत्र दे दिया है। घटना मेरठ की है। रविवार को वन दरोगा अजीत भड़ाना ने हस्तिनापुर से सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी योगेश वर्मा की सभा में भाजपा नेताओं पर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया।

    वन दरोगा अजीत भड़ाना ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी वालों ने खून पी रखा है। मंत्री, विधायक धमकाकर वोट मांगते हैं। उनसे परेशान होकर नौकरी छोड़ रहा हूँ। समाज के लिए त्यागपत्र दे रहा हूँ। अपने विभाग को भी पत्र भेज दिया है।

    जन सभा मे वन विभाग के दरोगा ने दिया त्यागपत्र, भाजपा के विधायक संगीत सोम पर लगाया आरोप, कहा खून पी रखा है, संगीत सोम फोन पर धमकी देते है PIC.TWITTER.COM/JHDW4HXHBI

    — MOHAMMAD IMRAN (@IMRANTG1) JANUARY 30, 2022

    भड़ाना ने भाजपा नेता दिनेश खटिक और संगीत सोम पर धमकी देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, विधायक गाली देते हैं, उनकी गाली सुनें और वोट भी दें। बता दें कि संगीत सोम सरधना से विधायक हैं, वहीं दिनेश खटीक हस्तिनापुर से विधायक हैं। दिनेश खटीक भाजपा के राज्यमंत्री भी हैं।

    वन दरोगा ने भाजपा नेता अशोक कटियार पर आरोप लगाते हुए कहा, वह मेरे समाज के सम्मानित मंत्री हैं, नौकरी देने के बजाय ले रहे हैं। भी बालक को नौकरी दी हो तो बताएं।

    बुलंदशहर के वन विभाग में तैनात अजीत भड़ाना ने भाजपा पर तमाम आरोप लगाने बाद सभा में भी सपा में शामिल हो गए।

  • बुल्ली बाई ऐप मामले में दिल्ली कोर्ट ने खारिज की नीरज बिश्नोई की जमानत याचिका

    बुल्ली बाई ऐप मामले में दिल्ली कोर्ट ने खारिज की नीरज बिश्नोई की जमानत याचिका

    ‘बुली बाई’ ऐप मामल में दिल्ली की एक अदालत ने नीरज बिश्नोई की जमानत याचिका खारिज कर दी है। नीरज बिश्नोई पर बुल्ली बाई ऐप को बनाने का आरोप है। अदालत ने नीरज को सांप्रदायिक सद्भाव खराब करने वाला बताया है।

    मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने नीरज बिश्नोई की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, अपराध की प्रकृति, आरोपों की गंभीरता और जांच के शुरुआती चरण को देखते हुए मुझे आवेदन में कोई योग्यता नहीं मिलती है और उसी के अनुसार याचिका को खारिज किया जाता है।

    साथ ही अदालत ने समुदाय विशेष की विभिन्न महिला पत्रकारों को एक सार्वजनिक मंच पर गाली देने और अपमानित करने के कृत्य को सांप्रदायिक सद्भाव पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला माना है।

    अदालत में अपनी टिप्पणी में कहा यह काम निश्चित रूप से उस समाज के सांप्रदायिक सद्भाव पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है, जहां प्राचीन काल से महिलाओं को देवी माना जाता रहा है और उनका अपमान करने का कोई भी प्रयास निश्चित रूप से बड़े पैमाने पर समुदाय से जोरदार प्रतिरोध को आमंत्रित करने वाला है।

  • योगी आदित्यनाथ को है क्षत्रिय होने का गर्व, क्या इसलिए वो दलितों के घर पत्तल में खाते हैं?

    योगी आदित्यनाथ को है क्षत्रिय होने का गर्व, क्या इसलिए वो दलितों के घर पत्तल में खाते हैं?

    हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उन्हें क्षत्रिय होने पर गर्व है। भगवान भी इसी जाति के थे।

    दरअसल, उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर हिंदुस्तान टाइम्स ने सीएम योगी का एक इंटरव्यू किया है। इस इंटरव्यू के दौरान पत्रकार ने सीएम योगी से पूछा ‘जब आपसे ये कहा जाता है कि आप सिर्फ राजपूतों की राजनीति करते हैं, तो क्या आपको दुख होता है?

    इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा- मुझे कोई दुख नहीं होता। क्षत्रिय जाति में पैदा होना कोई अपराध नहीं है। मुझे क्षत्रिय होने पर गर्व है। इस जाति में भगवान ने बार-बार जन्म लिया है। अपनी जाति पर स्वाभिमान हर व्यक्ति को होना चाहिए।

    सवाल : आप सिर्फ राजपूत की राजनीति करते हैं, आपको दुख नहीं होता ?
    योगी : कोई दुख नहीं होता ..राजपूतों में पैदा हुआ…!

    जब यूपी में ब्राह्मणों का एक बड़ा वर्ग अजय सिंह बिष्ट यानि योगीजी से नाराज हो तब चुनावों के बीचोंबीच ये क्या कह गये मुख्यमंत्री !

    सुना है चाणक्य बेहद नाराज है । PIC.TWITTER.COM/YVMQVFRW8Z

    — DEEPAK SHARMA (@DEEPAKSEDITOR) JANUARY 29, 2022

    इस बयान के बाद के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को योगी आदित्यनाथ की जगह अजय सिंह बिष्ट कहना भी अनुचित नहीं है। क्योंकि सिर्फ भगवा चोला पहनने से कोई संत नहीं हो जाता। संत जाति में विश्वास तक नहीं करते लेकिन आदित्यनाथ तो अपनी पर जाति गर्व कर रहे हैं। ऐसे में इन्हें अजय सिंह बिष्ट कहना ज्यादा उचित होगा।

    एक संवैधानिक पद पर होने के बावजूद अपनी जाति पर गर्व का खुलेआम इजहार बताता है कि अजय सिंह बिष्ट जातिवादी मानसिकता के हैं। अगर अजय सिंह बिष्ट को अपनी जाति पर गर्व है तो जाहिर है कि अपनी जाति के लिए सॉफ्ट कॉर्नर भी रखते होंगे। उन्हें अधिक फायदा पहुंचाते होंगे, मुश्किलों से बचाते होंगे। तो क्या ये जातिवाद नहीं है?

    बहुत साधारण सा फॉर्मूला है कि अगर किसी समांती जाति में पैदा हुए व्यक्ति को अपनी जाति पर गर्व है तो वो निश्चित ही जातिवादी है।

    अजय सिंह बिष्ट को अपनी जाति पर गर्व है। यानी उन्हें वर्ण व्यवस्था में विश्वास है। अगर वर्ण व्यवस्था में यकीन है तो जाहिर है वो दलितों को नीच, गंदा, अशुद्ध और अछूत समझते होंगे। जानवरों से भी बदतर समझते होंगे। तो क्या यही वजह है कि जब वो अपने पसंद के भाजपायी दलित के घर भी खाना खाने जाते हैं तो उनके बर्तन में ना खाकर पत्तल में खाते हैं।

    अगर अजय सिंह बिष्ट को केवल राजपूतों की राजनीति के आरोप पर कोई दुख नहीं है, तो क्या इसका मतलब ये नहीं समझा जाना चाहिए कि विपक्षी दलों के ठाकुरवाद के आरोप सही हैं? उत्तर प्रदेश में ठाकुरवाद एक सच्चाई है?

    वैसे बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जिस नाथ परम्परा से आते हैं उसमें जाति व्यवस्था, वर्णाश्रम व्यवस्था और ऊंच-नीच निषेध है। कभी नाथपंथियों में वर्णाश्रम व्यवस्था से विद्रोह करने वाले सबसे अधिक लोग हुआ करते थे। यही वजह है कि गोरखनाथ का प्रभाव कबीर, दादू, जायसी और मुल्ला दाऊद जैसे अस्पृश्य और गैर-हिन्दू कवियों पर भी माना जाता है।

    लेकिन नाथपंथ के वर्तमान अगुआ ‘योगी आदित्यनाथ’ अपनी जाति की जड़ को छोड़ नहीं पाए हैं। जाति पर गर्व करने वाला उनका बयान बतात है कि वो योगी आदित्यनाथ के खोल में अजय सिंह बिष्ट हैं। जाति के इसी जंजाल की तरफ उत्तर प्रदेश में उच्च पदों पर हुई नियुक्तियां भी इशारा करती हैं।

    यूपी में 26% डीएम योगी आदित्यनाथ की जाति के यानी ठाकुर हैं। यूपी में कुल 75 जिले हैं, इनमें से 61 ज़िलों में एसपी और डीएम में से एक पद पर ठाकुर या ब्राह्मण हैं। कई जगहों पर दोनों पदों पर इन्हीं जातियों से अफ़सर हैं। यूपी के कुल जिलाधिकारियों में से 40% सवर्ण हैं। 26% ठाकुरों के बाद सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण जिलाधिकारियों (11%) की है। SSP/SP की बात करें तो 75 में से 18 जिलों की कमान ठाकुरों के पास हैं और 18 ब्राह्मणों के पास।

  • SBI ने गर्भवती महिलाओं के काम पर लगायी रोक! स्वाति बोलीं- इस महिला विरोधी नियम को वापस ले बैंक

    SBI ने गर्भवती महिलाओं के काम पर लगायी रोक! स्वाति बोलीं- इस महिला विरोधी नियम को वापस ले बैंक

    भारतीय स्टेट बैंक ने 28 जनवरी को एक दिशानिर्देश जारी किया है। इस दिशानिर्देश के अनुसार तीन महीने से अधिक गर्भवती महिला कर्मियों को ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’ माना जाएगा। ऐसी महिला डिलवरी होने के बाद 4 महीने के भीतर बैंक में काम करने के लिए शामिल हो सकती है।

    एसबीआई ने नई भर्तियों या पदोन्नत लोगों के लिए अपने नवीनतम मेडिकल फिटनेस दिशानिर्देशों में कहा कि जो महिला तीन महीने से कम गर्भवती होगी वो महिला उम्मीदवारों के लिए फिट मानी जाएगी ।

    बता दें कि इससे पहले छह महीने की गर्भवती महिलाओं को भी बैंक में कई शर्तों के साथ काम करने की अनुमति थी। कर्मी को एक स्त्री रोग विशेषज्ञ का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक होता था, जिसमें इस बात पुष्ट होती हो कि उस दौरान बैंक में नौकरी करने से महिला के गर्भावस्था या भ्रूण के सामान्य विकास में कोई परेशानी नहीं होगी। ना ही उसका गर्भपात होगा ।

    इस नियम पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालिवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ऐसा लगता है कि भारतीय स्टेट बैंक ने 3 महीने से अधिक गर्भवती महिलाओं को सेवा में शामिल होने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं और उन्हें ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’ करार दिया है। यह भेदभावपूर्ण और अवैध दोनों है।क्योंकि यह कानून के तहत प्रदान किए जाने वाले मातृत्व लाभों को प्रभावित कर सकती है। ​हमने उन्हें नोटिस जारी कर इस महिला विरोधी नियम को वापस लेने की मांग की है।

    स्वाति मालीवाल द्वारा ट्वीट किए गए नोटिस में, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने कहा है कि एसबीआई ने 31 दिसंबर को एक सर्कुलर में उन महिलाओं को काम में शामिल होने से रोक दिया है, जो नियत प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाने के बावजूद तीन महीने से अधिक की गर्भवती हैं।

    भारतीय स्टेट बैंक ने अभी इस मामले पर कोई जवाब नहीं दिया है।डीसीडब्ल्यू ने एसबीआई को नोटिस का जवाब मंगलवार तक देने को कहा है।

  • योगी ने राजपूत होने पर किया गर्व, सपा बोली-घोर जतिवादी हैं योगी, अब यूपी में ये नहीं चलेगा

    योगी ने राजपूत होने पर किया गर्व, सपा बोली-घोर जतिवादी हैं योगी, अब यूपी में ये नहीं चलेगा

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़ी एक खबर को साझा करते हुए समाजवादी पार्टी ने लिखा है, हमने आज तक बस यही सुना था कि योगी, संत, महात्मा की कोई जाति नहीं होती, वो सबको एक नजर से देखता है, लेकिन यूपी के घोर जातिवादी सीएम अदित्यनाथ जी ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में अपने जातिवादी रवैये को स्वीकार किया और उस पर गर्व भी किया, ये जातिवाद अब और नहीं चलेगा अदित्यनाथ जी!

    हमने आज तक बस यही सुना था कि योगी ,संत ,महात्मा की कोई जाति नहीं होती ,वो सबको एक नजर से देखता है ,

    लेकिन यूपी के घोर जातिवादी सीएम अदित्यनाथ जी ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में अपने जातिवादी रवैये को स्वीकार किया और उस पर गर्व भी किया ,

    ये जातिवाद अब और नहीं चलेगा अदित्यनाथ जी! PIC.TWITTER.COM/P6IIU4OA0M

    — SAMAJWADIPARTYMEDIA (@MEDIACELLSP) JANUARY 29, 2022

    दरअसल, उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर हिंदुस्तान टाइम्स ने सीएम योगी का एक इंटरव्यू किया है। इस इंटरव्यू के दौरान पत्रकार ने सीएम योगी से पूछा ‘जब आपसे ये कहा जाता है कि आप सिर्फ राजपूतों की राजनीति करते हैं, तो क्या आपको दुख होता है?

    इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा- मुझे कोई दुख नहीं होता। क्षत्रिय जाति में पैदा होना कोई अपराध नहीं है। मुझे क्षत्रिय होने पर गर्व है। इस जाति में भगवान ने बार-बार जन्म लिया है। अपनी जाति पर स्वाभिमान हर व्यक्ति को होना चाहिए।

    सवाल : आप सिर्फ राजपूत की राजनीति करते हैं, आपको दुख नहीं होता ?
    योगी : कोई दुख नहीं होता ..राजपूतों में पैदा हुआ…!

    जब यूपी में ब्राह्मणों का एक बड़ा वर्ग अजय सिंह बिष्ट यानि योगीजी से नाराज हो तब चुनावों के बीचोंबीच ये क्या कह गये मुख्यमंत्री !

    सुना है चाणक्य बेहद नाराज है । PIC.TWITTER.COM/YVMQVFRW8Z

    — DEEPAK SHARMA (@DEEPAKSEDITOR) JANUARY 29, 2022

    बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जिस नाथ परम्परा से आते हैं उसमें जाति व्यवस्था, वर्णाश्रम व्यवस्था और ऊंच-नीच निषेध है। कभी नाथपंथियों में वर्णाश्रम व्यवस्था से विद्रोह करने वाले सबसे अधिक लोग हुआ करते थे। यही वजह है कि गोरखनाथ का प्रभाव कबीर, दादू, जायसी और मुल्ला दाऊद जैसे अस्पृश्य और गैर-हिन्दू कवियों पर भी माना जाता है।

    लेकिन नाथपंथ के वर्तमान अगुआ ‘योगी आदित्यनाथ’ अपनी जाति की जड़ को छोड़ नहीं पाए हैं। जाति पर गर्व करने वाला उनका बयान बतात है कि वो योगी आदित्यनाथ के खोल में अजय सिंह बिष्ट हैं। जाति के इसी जंजाल की तरफ उत्तर प्रदेश में उच्च पदों पर हुई नियुक्तियां भी इशारा करती हैं।

    यूपी में 26% डीएम योगी आदित्यनाथ की जाति के यानी ठाकुर हैं। यूपी में कुल 75 जिले हैं, इनमें से 61 ज़िलों में एसपी और डीएम में से एक पद पर ठाकुर या ब्राह्मण हैं। कई जगहों पर दोनों पदों पर इन्हीं जातियों से अफ़सर हैं। यूपी के कुल जिलाधिकारियों में से 40% सवर्ण हैं। 26% ठाकुरों के बाद सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण जिलाधिकारियों (11%) की है। SSP/SP की बात करें तो 75 में से 18 जिलों की कमान ठाकुरों के पास हैं और 18 ब्राह्मणों के पास।

  • लखीमपुर: नाबालिग आदिवासी की हिरासत में हत्या! सपा बोली- जनता वोट से जवाब देगी

    लखीमपुर: नाबालिग आदिवासी की हिरासत में हत्या! सपा बोली- जनता वोट से जवाब देगी

    उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी ज़िला एक बार फिर गलत वजहों से चर्चा में है। एक 17 वर्षीय आदिवासी लड़के की पुलिस की कथित पिटाई से मौत हो गई है। ग्रामीण पुलिस कर्मियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्षी दल के नेता योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं।

    घटना ज़िला मुख्यालय से 110 किलोमीटर दूर सम्पूर्णानगर कोतवाली क्षेत्र के कमलापुरी गाँव का है। 17 जनवरी को आदिवासी समुदाय के राहुल पर उनके ही चाचा ने मोबाईल चोरी का आरोप लगाते हुए खजुरिया चौकी में शिकायत दर्ज करायी।

    पुलिस ने पूछताछ के नाम पर नाबालिग राहुल को चौकी बुलाया। राहुल की माँ के मुताबिक, पुलिस ने राहुल को बेरहमी से पीटा। वो रोता-गिड़गिड़ाता रहा, पर पुलिस ने उसे बुरी तरह मारा।

    नियम के मुताबिक, अगर पुलिस ने पूछताछ के लिए 17 जनवरी को बुलाया था। या हिरासत में लिया था तो 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना चाहिए था। लेकिन तमाम कायदों को ताक पर रखकर पुलिस ने राहुल को 19 जनवरी तक कस्टडी में रखा। इस बीच राहुल की तबीयत भी बिगड़ी। 19 तारीख़ को पुलिस ने एक समझौते पर दस्तख़त करा राहुल को छोड़ दिया।

    बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल की बहन बताती हैं कि जब राहुल की तबीयत बिगड़ी तो पहले यहीं से दवा ली। पर ज़्यादा तबीयत ख़राब हुई तो इलाज के लिए उन्हें पलिया के गुप्ता हॉस्पिटल ले जाया गया। वहाँ शनिवार-रविवार की दरमियानी रात दो बजे राहुल ने दम तोड़ दिया।

    ग्राम प्रधान के मुताबिक, घर लौटने पर राहुल और उनके चाचा के बीच झड़प भी हुई थी। सवाल उठता है कि राहुल की मौत पुलिस की कथित पिटाई से हुई या चाचा के साथ हुई झड़प से?

    क्या ये योगी सरकार की ‘ठोक दो’ नीति का दुष्परिणाम है? वैसे भी उत्तर प्रदेश की पुलिस पूरे देश में कुख्यात हो चुकी है। हिरासत में मौत के मामलों में उत्‍तर प्रदेश पहले नंबर पर है। यूपी में पिछले तीन साल में 1,318 लोगों की पुलिस और न्‍यायिक हिरासत में मौत हुई है। एनएचआरसी के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हुई हिरासत में मौत के मामलों का करीब 23% उत्तर प्रदेश के हिस्से जाता है।

    ये एक अजीब सा ट्रेंड है। योगी सरकार अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है। पुलिस को ‘ठोक दो’ का आदेश प्राप्त है। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश में अपराध लगातर बढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश हत्या, दलित उत्पीड़न, हिरासत में मौत, नागरिक अधिकारों के हनन के मामले में नंबर-1 पर है। बलात्कार के मामले में दूसरे नंबर पर है। महिलाओं के लिए देश में सबसे असुरक्षित राज्य उत्तर प्रदेश।

    अगर उत्तर प्रदेश में ‘ठोक दो’ की नीति से अपराध कम नहीं हो रहा, तो हो क्या रहा है। इसका जवाब भी एनसीआरबी के आंकड़ों में छिपा है। योगी सरकार में पुलिस को खुली छूट देने से UP में मानवाधिकार घुटने टेक चुका है।

    पिछले तीन वित्त वर्षों से 31 अक्टूबर 2021 तक आए मानवाधिकार उल्लंघन के कुल मामलों के तक़रीबन 40 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। यानी पूरे देश में सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उल्लंघन योगी शासित उत्तर प्रदेश में हो रहा है।

    ये पहला वर्ष नहीं है जब यूपी मानवाधिकार उल्लंघन के लिए कुख्यात हुआ हो। योगी सरकार ने इस मामले में कृतिमान स्थापित कर दिया है, उत्तर प्रदेश लगातार तीन वर्षों से मानवाधिकार उल्लंघन सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहा है।

    नाबालिग आदिवासी हत्या मामले में समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है, ”भाजपा सरकार में कस्टोडियल डेथ में नंबर वन यूपी में एक और पुलिस किलिंग! “मेरे भाई को इतना मारा की उसकी जान चली गई” लखीमपुर खीरी में पुलिस की पिटाई से 17 वर्षीय युवक की मृत्यु अत्यंत दु:खद! रोते बिलखते परिजनों की फरियाद सुन उन्हें न्याय दें सीएम। जनता वोट से देगी जवाब।”

  • गृहमंत्री ने कैराना में पलायन का मुद्दा उठाया, पत्रकार बोले-शाह को शर्म आनी चाहिए, झूठ फैला रहे हैं

    गृहमंत्री ने कैराना में पलायन का मुद्दा उठाया, पत्रकार बोले-शाह को शर्म आनी चाहिए, झूठ फैला रहे हैं

    वरिष्ठ पत्रकार दिलिप मंडल ने गृह मंत्री अमित शाह के कैराना दौरे और उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा “कैराना में “पलायन” का मामला BJP सांसद हुकुम सिंह ने उठाया था। लेकिन मरने से पहले श्री हुकुम सिंह 2017 में बता गए थे कि ये सांप्रदायिक मामला नहीं है। क़ानून और व्यवस्था का मामला है। अमित शाह को शर्म आनी चाहिए कि चंद वोट के लिए अपनी पार्टी के दिवंगत सांसद की बात को झुठला रहे हैं।”

    कैराना में “पलायन” का मामला BJP सांसद हुकुम सिंह ने उठाया था। लेकिन मरने से पहले श्री हुकुम सिंह 2017 में बता गए थे कि ये सांप्रदायिक मामला नहीं है। क़ानून और व्यवस्था का मामला है। @AMITSHAH को शर्म आनी चाहिए कि चंद वोट के लिए अपनी पार्टी के दिवंगत सांसद की बात को झुठला रहे हैं। PIC.TWITTER.COM/WKDOAWSUEW

    — DILIP MANDAL (@PROFDILIPMANDAL) JANUARY 22, 2022

    गौरतलब कि 22 जनवरी 2022 को ग्रह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के कैराना में घर-घर जा कर विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार किया। इस दौरान उन्होंने कैराना से हिन्दुओं के कथित पलायन पर बयान देते हुए कहा “कैराना के लोगों ने कहा है कि हमे पलायन करना वाले खुद पलायन हो गए”

    अमित शाह के इस बयान को गलत बताते हुए और भाजपा के ही वरिष्ठ दिवंगत नेता का हवाला देते हुए दिलीप मंडल ने शाह को आईना दिखाया है।

    बता दें कि भाजपा कैराना से हिन्दुओं के कथित पलायन के लिए मुसलमानों और समाजवादी पार्टी के नेताओं को जिम्मेदार ठहराती आयी। इस चुनाव में भी समाजवादी और रालोद के गठबंधन के खिलाफ इस मुद्दे को खूब उछाला जा रहा है।

    समाजवादी पार्टी के कैराना से उम्मीदवार नाहिद हसन को भाजपा हिन्दुओं के पलायन का जिम्मेदार बताती है। समाजवादी पार्टी द्वारा नाहिद हसन को दोबारा उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा का कहना है कि सपा गुन्डों और दंगाइयों को टिकट देती है। भाजपा ने कैराना विधानसभा क्षेत्र से हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है।

  • केजरीवाल ने ED रेड की जतायी आशंका, कहा- भाजपा चुनाव हारने लगती है, तो एजेंसियां लग जाती हैं

    केजरीवाल ने ED रेड की जतायी आशंका, कहा- भाजपा चुनाव हारने लगती है, तो एजेंसियां लग जाती हैं

    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा आरोप लगाया है। केजरीवाल का आरोप है कि भाजपा अपने सत्ता का इस्तेमाल कर सरकारी एजेंसियों से रेड पड़वाएगी। गिरफ्तारी भी हो सकती है। केजरीवाल की माने तो भाजपा ये सब पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए करेगी।

    केजरीवाल ने कहा है कि, हमें अपने सूत्रों से पता चला है कि पंजाब चुनाव के पहले आने वाले कुछ दिनों में ईडी सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार करने वाली है। उनके ऊपर पहले भी केंद्र सरकार ने दो बार रेड करवाई थी लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। जब बीजेपी कही चुनाव हार रही होती है तो वो एजेंसी को छोड़ देती है।

    हमें अपने सूत्रों से पता चला है कि पंजाब चुनाव के पहले आने वाले कुछ दिनों में ईडी सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार करने वाली है। उनके ऊपर पहले भी केंद्र सरकार ने दो बार रेड करवाई थी लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। जब बीजेपी कही चुनाव हार रही होती है तो वो एजेंसी को छोड़ देती है: दिल्ली CM PIC.TWITTER.COM/JLSWJDYNYM

    — ANI_HINDINEWS (@AHINDINEWS) JANUARY 23, 2022

    उन्होंने आगे कहा, हम चन्नी जी( पंजाब के मुख्यमंत्री) की तरह रोएंगे नहीं, वो बुरी तरह से बौखलाएं हुए हैं क्योंकि उन्होंने गलत काम किया हुआ है। ईडी ने मोटे-मोटे नोट पकड़े हैं। हमें किसी तरह का डर नहीं है क्योंकि हमने कभी भी कोई गलत काम नहीं किया है।

    हम चन्नी जी( पंजाब के मुख्यमंत्री) की तरह रोएंगे नहीं, वो बुरी तरह से बौखलाएं हुए हैं क्योंकि उन्होंने गलत काम किया हुआ है। ईडी ने मोटे-मोटे नोट पकड़े हैं। हमें किसी तरह का डर नहीं है क्योंकि हमने कभी भी कोई गलत काम नहीं किया है: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

    — ANI_HINDINEWS (@AHINDINEWS) JANUARY 23, 2022

    अरविंद केजरीवाल ने सरकारी एजेंसियों को ललकारते हुए कहा है, अगर वे एजेंसियां भेजना चाहें तो भेज सकते हैं। मुझ पर, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, हमारे 21 विधायकों सब पर पहले भी रेड हो चुकी है। कुछ नहीं मिला। अब फिर ये करना चाहते हैं, तो कर लें। हम केंद्र से कहना चाहते हैं कि आप भेजिए अपनी एजेंसियां, हम तैयार हैं। मेरे यहां, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, भगवंत मान सबके यहां भेजिए, हम उनका स्वागत करेंगे, उनकी आवभगत करेंगे।

    भाजपा पर सरकारी एजेंसियों के मनमाना इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने कहा है, जब भी बीजेपी चुनाव में कहीं हारने लगती है, तो सभी एजेंसियां लग जाती हैं। लेकिन हमें डर नहीं लगता है। क्योंकि आप ईमानदारी से काम करते हैं, तो ये बाधाएं आती हैं। हमें कोई डर नहीं है। क्योंकि हमने गलत काम नहीं किया।