भारत में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण के लिए पहचानी जाने वाली और बाबरी मस्जिद गिराने के मामलों में प्रमुख आरोपी रही साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है. 27 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में इस सम्मान से सम्मानित किया. मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित दूसरे चरण के पुरस्कार समारोह में कुल 68 लोगों को सम्मानित किया गया. साध्वी ऋतंभरा को बीते 25 जनवरी को पद्म भूषण पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी.
कौन हैं साध्वी ऋतंभरा?
साध्वी ऋतंभरा का जन्म 31 दिसंबर 1963 को पंजाब के लुधियाना में के कस्बे में हुआ था. साध्वी ने मात्र 16 वर्ष की आयु में घर छोड़कर हरिद्वार में स्वामी परमानंद से दीक्षा ली. उनका मूल नाम ‘निशा’ था. बाद में इसका नाम साध्वी ऋतंभरा पड़ा और अब बहुत से लोग उन्हें दादी मां बुलाते हैं.
मुस्लिमों के खिलाफ जहर उगलने का इतिहास
1990 के दशक में साध्वी ऋतंभरा बाबरी मस्जिद गिराने वाले मुख्य आरोपियों में से एक थी. उनको सांप्रदायिक तनाव भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट में उन्हें 68 आरोपियों में शामिल किया गया था. लेकिन 2020 में सीबीआई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. इसके बावजूद, उनके भाषणों को लेकर कुछ लोग आज भी सवाल उठाते हैं.
साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने पर लोगों ने इस पत्रकारों और विपक्षी नेताओं ने नाराजगी व्यक्त की.
पत्रकार आरफा खानम शेरवानी तंज कसते हुए लिखा, “शाबाश, भारत! साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण..क्योंकि बाबरी मस्जिद गिराए जाने से पहले मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने वाले को पुरस्कृत करने से बेहतर ‘राष्ट्रीय सम्मान’ कुछ नहीं हो सकता. भीड़ को भड़काने से लेकर पदक प्राप्त करने तक क्या यात्रा रही. सच में, नफरत का फल मिलता है!”
साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण से सम्मानित करने पर त्रिणमुल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने आलोचना करते हुए लिखा, “पद्म भूषण से सम्मानित साध्वी ऋतंभरा बाबरी विध्वंस के समय भारत में सबसे मुखर मुस्लिम विरोधी महिला आवाज़ थीं . उन्होंने मुसलमानों की तुलना दूध में नींबू और मक्खियों के झुंड से की थी.भारत का सिर शर्म से झुक गया है.”
सियाराम सोनी नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “साध्वी ऋतम्भरा जिसने नफरत भरे अपने विवादित बयानों के माध्यम से पाया पद्म भूषण पुरुष्कार। ऐसी सोच और विचार को पोषित करने वाली बीजेपी की सरकार ने 2014 से देश में नफरत की जड़ें फ़ैलाने का काम सत्ता के माध्यम से किया है“
एक ट्विटर यूजर अमीर खान ने लिखा, “इस समय भाजपा सरकार से कुछ भी सही करने की उम्मीद करना बेवकूफी होगी. जब प्रधानमंत्री ही बेशर्मी से देश के सामने खड़े होकर नस्लवादी, युद्धोन्मादी और हिंसक गुंडे की तरह बोलते हैं, तो उनकी टीम केवल उनकी विचारधारा का पालन करेगी. उन्होंने बार-बार साबित किया है कि उन्होंने कभी भी भारत के प्रधानमंत्री की तरह काम नहीं किया, वे हमेशा भाजपा के प्रधानमंत्री ही रहे हैं.”