एक देश अपना संबंध सभी देशों से बेहतर करने के लिए कूटनीतिक विचार मंथन करता है और उस प्रक्रिया से निरंतर बेहतर से बेहतर संबंध बनाने में प्रयासरत रहता है। जिससे देश के व्यापारिक आदान-प्रदान चलता रहे और अर्थव्यवस्था बढ़ती रहे।
लेकिन देश की मीडिया कूटनीतिक स्तर पर ऐसा नैरेटिव सेट कर रही है जिससे विदेशी रिश्ते खराब हो सकते हैं। अभी हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर चीनी दौरे पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की, द्विपक्षी संबंधों को बेहतर कैसे किया जाए इसको लेकर अपने समकक्ष वांग यी से भी मुलाकात की।
इस मुलाकात के बाद विदेश मंत्री ने अपने सोशल मीडिया पर शी जिनपिंग से मुलाकात करते हुए तस्वीर साझा की थी। उस द्विपक्षी मुलाकात और तस्वीर के हवाले से देश का मीडिया मानो विघटनकरी के रूप में काम कर रहा है।
एक तरफ भारत अपने रिश्ते चीन से बेहतर करने के लिए खुद पहल करते हुए चीन की धरती पर पहुंचकर द्विपक्षीय वार्ता कर रहा है। दूसरी तरफ भारत का मीडिया टी. आर. पी. के लिए जिस तरह से वीडियो थंबनेल और न्यूज हेडिंग दे रहा है। इसको देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत सरकार के कूटनीति संबंधों के मामले मीडिया ज़हर घोलने का काम कर रही है।
अनिल अंबानी के न्यूज चैनल न्यूज 18 ने शी जिनपिंग से मुलाकात वाली जो वीडियो थंबनेल बनाया है उसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर की जो तस्वीर लगाई है उसमे उनकी आंख से आग निकल रही है। ऐसे थंबनेल से न्यूज 18 अपने दर्शक तो बटोर सकता है लेकिन भारत सरकार के संबंधों और विदेश मंत्री की शख्सियत में इजाफा बिलकुल नहीं कर सकता बल्कि ऐसे संबंधों को जरूर खराब कर सकता है।
न्यूज 18 के थंबनेल को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों ने भी आलोचना की है। वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लिखा कि भारत चीन से बेहतर संबंध करने की कोशिश कर रहा है, खुद प्रधानमंत्री अगले कुछ महीनों में चीन जा सकते हैं। लेकिन हमारी मीडिया को देखें, पिछले कुछ सालों में मीडिया ने डिप्लोमेसी के स्तर पर ऐसी जबरन मार धाड़ वाली नैरेटिव बनाई कि इससे कई देशों से हमारे संबंध को खराब करने में अहम भूमिका निभाई। और उनका ये योगदान जारी है।
https://x.com/iamnarendranath/status/1945708087840837963
साथ ही एनडीटीवी के विदेश मामलों के पत्रकार उमाशंकर सिंह ने लिखा कि इसमें न सिर्फ़ चीन के राष्ट्रपति बल्कि विदेश मंत्री जयशंकर का भी मज़ाक़ बनाया गया है। इस तरह के थंबनेल के लिए मंत्रालय को संज्ञान लेना चाहिए। देखा देखी के इस दौर में एक चैनल या उसके यूट्यूब पर कुछ चलता है, टीआरपी/हिट्स की ताक में बैठे संपादक भी अपनी टीम को इस तरफ़ लपकने को कहते हैं।
https://x.com/umashankarsingh/status/1945702686369722611
इसी क्रम में पूर्व में नेटवर्क 18 के पत्रकार रहे और लेखक दयाशंकर मिश्रा ने लिखा कि जबतक गोदी मीडिया है भारत को चीन से डरने की जरूरत नहीं, इसीलिए संपूर्ण शक्ति मीडिया के पोषण में लग रही है। विदेश नीति में नहीं।
https://x.com/DayashankarMi/status/1945708293076176925
पीत पत्रकारिता की आधारशिला में भारतीय मीडिया का कोई आयाम नहीं रहा जहां परचम नहीं लहरा रहा हो। इसी आधार पर गोदी मीडिया जैसी संज्ञा का तमगा मेनस्ट्रीम मीडिया को प्राप्त है।