देश में लंबे समय से जाति जनगणना को लेकर असमंजस अब खत्म हो गया है. केंद्र सरकार ने जाति जनगणना को लेकर बड़ा फैसला किया है. बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस बड़े फैसले पर मुहर लगाई है. सरकार ने कहा कि इस बार होने वाली आम जनगणना के साथ जाति जनगणना भी होगी.

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना के अलावा अन्य अहम फैसले लिए हैं. मोदी सरकार के इस फैसले को विशेषज्ञ पूर्ण रूप से राजनीतिक फैसला बता रहे हैं. मोदी सरकार के इस फैसले को साल के अंत में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से देखा जा रहा है.

सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले को विपक्षी पार्टियों की जीत के तौर पर देखा जा रहा है. आपको बता दें कि राहुल गांधी सहित तमाम विपक्षी नेता सरकार से लंबे समय ये जाति जनगणना कराने की मांग कर रहे थे.

जातिगत जनगणना कराने के बाद फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने हमेशा से  जातिगत जनगणना कराने का विरोध किया था. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजनीतिक ताना बाना खराब न हो जिस कारण जाति जनगणना कराने का फैसला लिया गया है.

CCPA ने किया जाति जनगणना कराने का फैसला

जाति जनगणना कराने के फैसले पर मुहर राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCPA) ने लगाई है. CCPA को सुपर कैबिनेट माना कहा जाता है. जिसमें देश के कुछ मुख्य मिनिस्टिर शामिल हैं. 

सरकार के इस फैसले के बाद से विपक्षी नेताओं के बयान भी आने लगे है. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा ये फैसला लालू यादव की जीत है, और उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है जो हम पर जातिवाद फैलाने का आरोप लगा रहे थे. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में एक्स पर लिखा हम केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं. जाति जनगणना कराने की लोगों की मांग पूरी हुई है. 

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