संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को भले ही केंद्र की मोदी सरकार क्रांतिकारी कदम बता रही हो, लेकिन हक़ीक़त ये है कि इस भेदभावपूर्ण कानून से देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना कमज़ोर हुआ है। जिसपर अमेरिका ने भी चिंता ज़ाहिर की है।
एनडीटीवी की एक ख़बर के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की। इसके साथ ही उन्होंने मामले को भारतीय अधिकारियों के समक्ष उठाकर इसके समाधान पर चर्चा की।
हाल ही में भारत के दौरे पर आए अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत में जो हो रहा है वो चिंताजनक है। इस मुद्दे को लेकर मैंने भारतीय विदेश मंत्री और भारतीय राजदूत से मुलाकात से भी की थी और इसपर चिंता व्यक्त की थी।
अधिकारी के मुताबिक, अमेरिका ने इनमें से कुछ मुद्दों पर मदद करने और इन्हें मिलकर हल करने की पेशकश भी की है। अधिकारी का ये बयान ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने 27 राष्ट्र के लिए ‘इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम एलायंस’ का ऐलान किया है।
बता दें कि भारत में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ़ बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं। कानून के खिलाफ़ प्रदर्शन करने वालों का कहना है कि ये कानून धर्म की बुनियाद पर बनाया गया है, जो देश के नागरिकों के साथ भेदभाव करता है। इसके साथ ही आरोप है कि ये कानून संविधान के मूल्य सिद्धांतों को भी चुनौती देता है।
संशोधित नागरिकता कानून (CAA) में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। जबकि मुसलमानों के लिए इस कानून में कोई प्रावधान नहीं है।