अनुच्छेद 370 हटाए जाने के चार दिन बाद भी जम्मू कश्मीर लॉकडाउन का सामना कर रहा है। फोन, इंटरनेट, ब्रॉडबैंड और केबल टीवी सेवाओं पर प्रतिबंध जारी है। साथ ही पिछले तीन दिनों से राज्य में अख़बारों का प्रकाशन भी नहीं हुआ है।
राज्य में अख़बारों का प्रकाशन सोमवार 5 अगस्त तक ही हुआ है। 6 अगस्त से अभी तक राज्य में किसी भी अख़बार का प्रकाशन नहीं हुआ है। साथ इंटरनेट और ब्रॉडबैंड पर प्रतिबंध के कारण ई-पेपर्स भी वेबसाइट्स पर पब्लिश नहीं हुए हैं। इसी तरह कश्मीर की न्यूज़ वेबसाइट्स भी पिछले तीन दिनों से बंद पड़ी हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि किसी भी भारतीय पत्रकारों के संगठन ने इसपर कोई चिंता व्यक्त नहीं की है। प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया, इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी, एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया जैसे सभी संगठन इसपर ख़ामोश हैं।
हालांकि न्यूयॉर्क स्थित कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (CPJ) ने इसपर अपनी चिंता व्यक्त की। CPJ के एशिया कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता आलिया इफ्तिखार ने कहा, “कश्मीर के लिए इतने महत्वपूर्ण समय में एक बड़े पैमाने पर संचार व्यवधान एक स्वतंत्र प्रेस से सूचना के अधिकार का उल्लंघन है”।
उन्होंने कहा, “हम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके प्रशासन से अपील करते हैं कि कश्मीर के सभी संचार प्रतिबंधक हटा दिए जाएं ताकि पत्रकार स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट कर सकें। संचार प्रतिबंध का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है”।
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