22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमले को 15 को दिन होने वाले हैं. पहलगाम हमले ने जम्मू–कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी. हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स में छपी के एक रिपोर्ट ने इस बात खुलासा किया गया है कि जम्मू–कश्मीर में 19 अप्रैल को PM मोदी के दौरे से पहले पहले सुरक्षा एजेंसियों ने जम्मू–कश्मीर के लोकल अधिकारियों को श्रीनगर और आसपास के पर्यटन स्थलों पर हमले की संभावना जताते हुए आगाह किया था.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सुरक्षा एजेंसियों ने इस बात की संभावना जताई थी की पर्यटकों को भी निशाना बनाया जा सकता है. जिसके बाद श्रीनगर और उसके आसपास सुरक्षा व्यवस्था को कड़ी कर दी गई थी. जिसमें से आसपास के होटलों, 22 दूर किलोमीटर दाचीगाम नेशनल पार्क जैसे पर्यटक स्थलों पर्यटक स्थलों की सुरक्षा गई थी.
अखबार के हवाले से यह दावा किया गया है कि खराब मौसम के का हवाला देकर प्रधानमंत्री का दौरा रद्द किया गया था. अखबार के हवाले से यह दावा किया गए है कि अधिकारियों ने यह कबूल किया है कि पहलगाम हमला बैसारन हमले का पूर्वानुमान लगाने में असमर्थता के कारण हुआ है.
अखबार ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का हवाला देते हुए कहा, “दस में से नौ बार वे हमले करने में विफल रहते हैं. लेकिन पर्यटकों के बारे में यह सही साबित हुआ. जम्मू-कश्मीर में सेना और नागरिक सुरक्षा अधिकारियों को प्रधानमंत्री की यात्रा के आसपास श्रीनगर के निकट एक पर्यटन स्थल पर हमले की तैयारी करने के लिए कहा गया था“
एचटी को पता चला है कि प्रधानमंत्री का कश्मीर दौरा रद्द होने के पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात चार दिनों तक श्रीनगर में ही रहे और श्रीनगर के आस-पास के सभी इलाकों पर नजर रखी. 22 अप्रैल को जब आतंकवादियों ने हमला किया, तो प्रभात जम्मू में उतरे ही थे और उन्हें तुरंत वापस लौटना पड़ा.
अखबार ने यह भी दावा किया कि जिन सभी अधिकारियों से हिंदुस्तान टाइम्स से बात की उन्होंने बताया कि उन्हें पहलगाम हमले को लेकर कोई विशेष इनपुट नहीं मिला था. उन्होंने यह दावा किया कि प्रधानमंत्री कश्मीर दौरा रद्द होने के बाद आतंकवादी छिपे बैठे थे और अगले अवसर की प्रतीक्षा कर रहे थे. अधिकारियों ने बताया कि यह चूक बैसारन में हमले की आशंका को भांपने में असमर्थ थी, जो पूरे साल खुला रहता है और केवल अमरनाथ यात्रा के दौरान बंद रहता है.
अखबार ने अधिकारियों का हवाला देते हुए आगे लिखा, “आतंकवादियों में 2 स्थानीय लोग भी शामिल थे. जिन्होंने पर्यटकों को एक तरफ घेर लिया. गोली दो विदेशी लोगों ने चलाई थी. चूँकि वहाँ केवल एक ही एंट्री और एक्जिट गेट था, जहां से एंट्री करने के लिए टिकट की जरूरत पड़ती थी. इसलिए पर्यटकों के लिए हमलावरों से बच पाना मुश्किल हो गया.अधिकारियों ने कहा कि चूंकि अब यह ज्ञात है कि आतंकवादी इस क्षेत्र में रह रहे थे और अब भी यहीं हैं, इसलिए सबसे बड़ी चूक स्थानीय खुफिया जानकारी की थी.
इस रिपोर्ट के आने के बाद से लोग सुरक्षा चूक पर सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने रिपोर्ट कटिंग शेयर करते हुए सवाल किया, “दो हफ़्ते पहले खबर थी कि प्रधानमंत्री मोदी की 19 अप्रैल की कश्मीर यात्रा ’मौसम ख़राब’ होने के कारण स्थगित हुई. अब अधिकारियों का कहना है कि 19 अप्रैल के आसपास पर्यटकों पर हमले की खुफिया जानकारी पहले से ही थी. फिर इस इंटेलिजेंस के बावजूद निर्दोष पर्यटकों के लिए कोई सावधानी क्यों नहीं रखी गई?“