
सर्वोच्च अदालत ने जिस तरह से दिल्ली छावला गैंगरेप के दोषियों को रिहा कर दिया उससे देशभर में निराशा का माहौल है, इस फैसले के खिलाफ चौतरफा तल्ख प्रतिक्रिया आ रही है। जिनका दोष सिद्ध हो चुका है उन्हें छोड़ दिए जाने की बात लोगों के बीच ग़लत संदेश ले जा रही है।
पीड़िता के माता-पिता का तो और बुरा हाल है वो सुबह से फैसला सुनकर रोए जा रहे हैं। किसी तरह हिम्मत करके कुछ मीडिया वालों से बात कर रहे हैं।
इसी सिलसिले में एक निजी टीवी चैनल की पत्रकार से बात करते हुए पीड़ित परिवार ने अपना दुख दर्द साझा किया है।
मृतक पीड़िता के पिता ने न्याय के बदले मिल रहे अन्याय की इस व्यवस्था पर सवाल उठाया है।
उन्होंने कहा कि, गाड़ियों के पीछे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ लिखा रहता है। परन्तु कानून व्यवस्था इतनी कमजोर रहेगी तो बेटियों का शोषण होता रहेगा। चाहें फिर 10 साल हो जाएँ या फिर 20 साल उसे न्याय नहीं मिलेगा।
वहीं पीड़िता के पिता ने अंकिता भंडारी मामले पर सवाल उठाते हुए कहा- जब हम 10 साल से भटक रहे हैं, हमे न्याय नहीं मिला तो अंकिता को कैसे मिलेगा? कानून व्यवस्था में इतनी ढील रहेगी तो बेटी कैसे बचेगी।
बता दें कि 19 वर्षीय किरण नेगी को फरवरी 2012 में गुरुग्राम से अगवा कर लिया था। जिसके बाद दरिंदों ने उसके साथ दुष्कर्म कर उसकी आँखों और कान में तेज़ाब डाला, पेचकस से आँखे फोड़ दी, गुप्तांग में शराब की बोतल घुसाकर फोड़ दी।
इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कारियों व कातिलों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया है। 10 साल से न्याय की मांग को लेकर भटक रहे पीड़िता के माता-पिता आज हार गए।
इस फैसले के बाद से लोगो में सुप्रीम कोर्ट के प्रति गुस्सा दिख रहा है। कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नारे भी लगा रहे हैं।