
मायावती की मूर्ति तोड़ने वाले, कन्हैया को गोली मारने की धमकी देने वाले और यति नरसिंहानंद से अतिवाद की प्रेरणा लेने वाले अमित जानी को कांग्रेस में शामिल करने पर बवाल मच गया है। अब कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई ने इस मामले पर अपना स्पष्टीकरण दिया है।
अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कांग्रेस ने लिखा, “कांग्रेस पार्टी अपनी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध है। किसी भी उन्मादी, अतिवादी एवं कट्टरपंथी तत्व की कांग्रेस में कोई जगह नहीं है। ऐसे किसी भी व्यक्ति को कांग्रेस में सदस्यता नहीं दिलाई गई है। यदि कोई भी इस चाल-चरित्र का व्यक्ति ऐसा दावा कर रहा है, वह सिर्फ भ्रमित कर रहा है।”
अब इससे सवाल उठने लगे हैं कि कांग्रेस में आचार्य प्रमोद कृष्णम और राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह की क्या भूमिका है? क्योंकि 14 जनवरी को आचार्य प्रमोद कृष्णम एक फेसबुक पोस्ट डालते हुए तस्वीर शेयर करते हैं और लिखते हैं-
“प्रगतिशील समाजवादी पार्टी युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जानी ने ओढ़ा कांग्रेस का तिरंगा। प्रियंका गांधी के राजनीतिक सलाहकार श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम जी ने कांग्रेस के राज्यसभा एवं बिहार कैंपेन कमेटी के चेयरमैन श्री अखिलेश प्रसाद सिंह की उपस्थिति में दिया कांग्रेस में शामिल होने का आशीर्वाद।”
प्रियंका गांधी के राजनीतिक सलाहकार होने का दावा करने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम अगर किसी नेता को शामिल करते हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट डालते हैं तब उन पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया जाता? तब कांग्रेस पार्टी द्वारा किसी तरह की सफाई क्यों नहीं दी जाती?
खबरों में आ जाने के बाद, सब तरफ से फजीहत होने पर, ठीक 2 दिन बाद स्पष्टीकरण का ट्वीट करना दिखाता है कि बदनामी से बचने के लिए कांग्रेस ने बाद में ये कदम उठाया है!
बता दें कि अमित जानी साल 2012 में मायावती की मूर्ति तोड़ने की वजह से चर्चा में आए थे। तब अमित यूपी नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष और सपा के करीबी हुआ करते थे। मयावती की मूर्ति को तोड़ने की घटना अमित जानी को महिला और दलित विरोधी साबित करने के लिए काफी है। केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद से अमित जानी कई तरह के नफरती कार्यक्रम में भी नज़र आते रहे हैं।