चुनाव आयोग ने चुनावों के दौरान खींची गई फोटो, CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग के स्टोरेज पर अहम फैसला लिया है. निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव के समय रिकॉर्ड कोई भी डाटा अब केवल 45 दिन कर सुरक्षित रखा जाएगा. 45 दिन बाद इस डाटा को डिलीट कर दिया जाएगा.
देश के सभी राज्यों के चुनाव अधिकारियों को 30 मई को भेजे गए पत्र में निर्देशित किया गया है कि उन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में जहां के चुनाव नतीजों को कोर्ट में चुनौती नहीं गई वहां के डेटा को 45 दिन बाद नष्ट कर दिया जाए. चुनाव आयोग ने कहा है कि ये फैसला फुटेज के दुरुपयोग और सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही गलत जानकारियों को रोकने के लिए लिया है.
आपको बता दें कि इससे पहले चुनावों के दौरान खींची गई फोटो, CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग को एक साल तक स्टोर करके रखा जाता था. कोई भी कोई व्यक्ति 45 दिनों के भीतर चुनाव परिणाम के खिलाफ कोर्ट में चुनाव याचिका दायर कर सकता है. आयोग की सिफारिश पर सरकार ने दिसंबर 2024 में सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ उम्मीदवारों के वीडियो रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक जांच रोकने के लिए चुनाव नियम, 1961 के नियम 93 में संशोधन किया था.
वहीं चुनाव आयोग के इस फैसले की नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जमकर आलोचना की है. आपको बता दें कि राहुल गांधी ने इससे पहले चुनाव आयोग पर अखबारों में लेख के माध्यम से महाराष्ट्र में 2024 में हुए चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करने की मांग थी. राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की इस मांग को निजता का उल्लंघन बताते हुए इसे सार्वजनिक करने से मना कर दिया.
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के इस फैसले की आलोचना करते हुए लिखा,, “वोटर लिस्ट? मशीन रीडेबल फॉर्मेट नहीं देंगे. CCTV फुटेज? कानून बदलकर छिपा दी. चुनाव की फोटो-वीडियो? अब 1 साल नहीं, 45 दिनों में ही मिटा देंगे. जिससे जवाब चाहिए था. वही सबूत मिटा रहा है. साफ़ दिख रहा है मैच फिक्स है और फिक्स किया गया चुनाव लोकतंत्र के लिए जहर है.”
समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग के फैसले की आलोचना करते हुए लिखा, “दुरुपयोग का बहाना बनाकर चुनाव आयोग धीरे धीरे भाजपा के इशारे पर निष्पक्ष चुनाव की जनता की मांग को ठुकराते हुए अब 45 दिन फुटेज वाला नया नियम ले आया है.जनता और विपक्षी दलों के चुनाव से संबंधित सूचना प्राप्ति के रस्ते बंद किए जा रहे हैं और ऐसा करके चुनाव आयोग जवाबदेही से बच रहा है और बेईमानी को बढ़ावा दे रहा है. चुनाव आयोग किसी भी सवाल उठाने पर नोटिस तो तत्काल जारी करता है लेकिन सबूत देने पर भी कार्यवाही नहीं करता ना खुद कोई जवाब देता है.”
सपा ने आगे लिखा, “भारत में चुनावी बेईमानी की सरगना भाजपा है और चुनाव आयोग भाजपा का पिछलग्गू बनकर काम कर रहा है। निष्पक्ष चुनाव और स्वच्छ जनादेश ही लोकतंत्र की स्थापना का सबसे बड़ा संवैधानिक अधिकार जनता को संविधान ने दिया था और जनता का ये अधिकार भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर छीन रहे हैं”