सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ जज बेला एम त्रिवेदी का आज रिटायर हो गईं. उनके रिटायरमेंट से ज्यादा चर्चा उनको फेयरवेल पार्टी ना देने की हो रही है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनके रिटायर होने पर विदाई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया. जिसको लेकर खूब चर्चा हो रही है. आपको बता दें कि जस्टिस बेला त्रिवेदी पर सरकार के पक्ष में फैसले देने के आरोप लगते रहे है. उनके द्वारा दिए गए फैसलों की बहुत बार आलोचना होती रही है. उमर खालिद की जमानत याचिका को वह खारिज कर दिया. जस्टिस बेला को लेकर ऐसी भी चर्चाएं रही हैं कि बहुत से छात्र अपनी जमानत याचिका जस्टिस बेला की बेंच के पास जाने पर वह उसे स्वत: ही वापस लेते थे.
सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस बीआर गवई ने जस्टिस बेला त्रिवेदी का विदाई समारोह ना आयोजित करने पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन आलोचना की है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) द्वारा सुप्रीम कोर्ट के जजों के रिटायरमेंट होने पर विदाई समारोह आयोजित करने की परंपरा रही है.
आपको बता दें कि जस्टिस बेला त्रिवेदी के रिटायर होने की आधिकारिक तारीख 9 जून थी लेकिन 16 मई को उन्होंने अपना आखिरी वर्किंग डे चुना. जस्टिस त्रिवेदी कई हाई-प्रोफाइल केसों का हिस्सा रह चुकी हैं. जिनमें बिलकिस बानो, उमर खालिद, और हेमंत सोरेन से जुड़े मामले प्रमुख हैं. उन्होंने 2022 में बिलकिस बानो मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया जिसमें गुजरात दंगों के दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई थी. इस निर्णय के पीछे कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया, बहुत से लोगों ने इसे उनके गुजरात सरकार के साथ पूर्व संबंधों से जोड़कर देखा था.
जस्टिस बेला त्रिवेदी ने 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई को कई बार स्थगित किया. 2024 में उनकी पीठ ने इस मामले की सुनवाई 14वीं बार स्थगित की जिसके लिए उनकी आलोचना हुई. इसलिए उनके रिटायर होने के बाद उमर खालिद को जमानत मिलने की उम्मीद कर रहे हैं.
न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी का सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल उपलब्धियों और विवादों का से घिरा रहा. अब उनके रिटायर होने पर SCBA द्वारा विदाई समारोह न आयोजित करना उनके और SCBA के बीच कड़वाहट को भी दर्शाता है. जस्टिस बेला गुजरात की पहली महिला जज हैं जो सीधे प्रमोशन पाकर सुप्रीम कोर्ट आई. जस्टिस बेला त्रिवेदी गुजरात की मोदी सरकार में लॉ सेक्रेटरी भी रह चुकी हैं. जस्टिस बेला के रिटायरमेंट पर सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने अपनी राय दी. आइए जानते हैं सोशल मीडिया पर उनके रिटायरमेंट को लेकर लोगों ने क्या-क्या बोला.
पत्रकार प्रकाश टंडन ने तंज करते हुए लिखा, “चीफ जस्टिस ठीक नाराज़ हो रहे हैं कि बार एसोसिएशन ने बेला त्रिवेदी के रिटायरमेंट पर विदाई समारोह न आयोजित करना गलत है. जस्टिस बेला त्रिवेदी के रिटायरमेंट पर तो बड़ी पार्टी करनी चाहिए थी. गाजे बाजे के साथ इन्हें घर तक छोड़ कर आना चाहिए. ऐसे खुशी के पल रोज़ कहां आते हैं.
एक ट्विटर यूजर NItin Meshram ने लिखा, “अनुसूचित जाति के वर्गीकरण के विरोध में फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट जज बेला त्रिवेदी को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने फेयरवेल नहीं दिया है। उनके कार्यकाल का आज आखिरी दिन था। वर्तमान में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि जज को फेयरवेल नहीं दिया गया है.“
सत्यम शशि ने कहा, “वहीं एक अन्य एक्स यूजर ने लिखा, “एक सरकार के जज के तौर पर इन्होंने नागरिक के अधिकार को कम करने उसको संकीर्ण करने तथा संविधान के उलट काम करने के तौर पर. इन्होंने अपने जजमेंट से लोगों में संविधान के प्रति विश्वास को कम किया है सुप्रीम कोर्ट का भी छवि धूमिल हुई है ऐसे जज के कारण”
एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, “जस्टिस बेला त्रिवेदी आज रिटायर हो रही हैं. आशा करते हैं इनके स्थान पर कोई ऐसा जस्टिस आयेगा, जो वास्तव में जस्टिस करेगा!”