कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने ईरान और इजरायल की युद्ध में कांग्रेस पार्टी स्टैंड करते हुए ईरान का समर्थक किया है और इजरायल की आलोचना की है. सोनिया गांधी ने द हिंदू में लिखे एक लेख में इजरायल द्वारा ईरान पर हमले को उसका दोहरा रवैया बताया है. 

सोनिया गांधी ने अपने लेख में ईरान को भारत का पुराना दोस्त बताया. उन्होंने इस पूरे मामले पर भारत सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा अभी भी देर नहीं हुई है भारत को स्पष्ट, जिम्मेदार और मजबूत आवाज में बोलने की जरूरत है.

द हिन्दू में लिखे अपने लेख में सोनिया गांधी ने 13 जून 2025 को इजरायल द्वारा ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों के हमले को एकतरफा और ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया. उन्होंने लिखा कि इजरायल ने ईरान पर हमला तब किया जब ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता अपने अंतिम दौर में था. 2003 के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामनेई ने इसे दोबारा शुरू करने की अनुमति नहीं दी है.

सोनिया गांधी ने इजरायली प्रधानमंत्री पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उनके हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. मिसेज गांधी ने आगे लिखा बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा नफरत को हवा देने के कारण इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री यित्झाक रॉबिन हत्या हुई थी. इससे इसरायली और फिलिस्तीनों के बीच शांति की उम्मीद खत्म हो गई थी. उनका रिकॉर्ड बताता है कि वह बातचीत नहीं बल्कि मामले को आगे बढ़ना चाहते हैं.

सोनिया गांधी ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बातचीत से मुकरने को भी अफसोसजनक बताया. ट्रंप ने 17 जून को अपनी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट को नकारते हुए दावा किया कि ईरान परमाणु हथियार हासिल करने की बहुत नजदीक है, जो बेहद निराशाजनक है. 

सोनिया गांधी ने कहा इजरायल खुद परमाणु शक्ति संपन्न देश है. लेकिन ईरान के पास परमाणु हथियार न होने पर भी उसको टारगेट किया जा रहा है. यह इजरायल का दोहरा मापदंड है. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. उन्होंने ईरान भारत का पुराना दोस्त बताया और कहा कि ईरान और भारत की सभ्यताओं का गहरा रिश्ता है. ईरान ने कई मौके पर भारत का साथ दिया है 1994 में ईरान ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव ब्लॉक करने में मदद की थी.

वहीं उन्होंने यह भी कहा कि अभी बहुत देर नहीं हुई है. भारत को ईरान के समर्थन में बोलना चाहिए. मोदी सरकार ने भारत की टू–स्टेट सॉल्यूशन की प्रतिबद्धता को लगभग छोड़ दिया है. 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोनिया के लेख को शेयर करते हुए उनका समर्थन किया. 

सोनिया गांधी के इस लेख को कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने समर्थन करते हुए लिखा, “वास्तव में इस्लामी गणतंत्र ईरान अपने पूर्ववर्ती, शाही ईरान राज्य की तुलना में भारत के साथ कहीं अधिक सहयोगी रहा है, जो 1965 और 1971 के युद्धों में पाकिस्तान की ओर झुका था. श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा लिखा गया एक शानदार लेख जो हमें इतिहास से सबक और मानवतावाद को विदेश नीति के मजबूत स्तंभों के रूप में बताता है.”

पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने सोनिया गांधी के लेख को शेयर करते कहा इसे जरूर पढ़ना चाहिए. उन्होंने लिखा,  “ईरान पर इजरायल का हमला क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा है. सोनिया गांधी ने भारत की चुप्पी की आलोचना करते हुए इसे नैतिक कूटनीति के साथ विश्वासघात बताया. उन्होंने कहा कि अभी भी देर नहीं हुई है. भारत को स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए. निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए और पश्चिम एशिया में शांति के लिए खड़ा होना चाहिए”

 

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