पैगम्बर मो. को लेकर आपत्तिजनक बयान देकर सुर्खियों में आने वाली लॉ स्टूडेंट व सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है.वहीं कोर्ट ने उन्हें देश से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी. हाल ही में कोलकाता पुलिस ने शर्मिष्ठा को दिल्ली से सटे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था. दो पहले पहले मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था.

कोर्ट ने 3 जून को सुनवाई करते हुए शर्मिष्ठा के खिलाफ गार्डेनरीच थाने में दर्ज हुई केस डायरी अदालत में जमा करने का निर्देश दिया था. कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी ने उनको कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था. लेकिन आज शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता की वेकेशन बेंच ने अंतरिम बेल देते हुए 10 हजार का जुर्माना और पासपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है.

3 जून को शर्मिष्ठा को बेल देने से इनकार करने वाले जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी को जान से मारने की धमकियां मिली थी. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उन्हें जान से मारने तक की धमकियां दी थी. वहीं कुछ लोग उनकी जाति को लेकर भी टिप्पणी की थी. जस्टिस पार्थ सारथी को जान से मारने की धमकियां देने वाले कौन लोग थे. इसको लेकर बहुत लोगों के मन तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं.

बोलता हिंदुस्तान की टीम ने जब इन अकाउंट को पर गौर किया तो इनमें से ज्यादातर अकाउंट गुमनाम दिखे. इनमें से बहुत से अकाउंट हाल फिलहाल में बनाए गए थे. इन ज्यादातर अकाउंट्स में प्रोफाइल फोटो तक नहीं है. इनमें एनिमेटेड कैरेक्टर, सिक्कों आदि की प्रोफाइल पर लगा रखा है.

ToastNInja नाम के एक ट्विटर यूजर ने जान से मारने की धमकी देते हुए लिखा, “पार्थ सारथी चटर्जी को मार दो”

एक यूजर ने जज डिग्री पर सवाल करते है लिखा, “भ्रष्ट पार्थ सारथी चटर्जी ने 1998 में हुगली मोहसिन कॉलेज से एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की थी. है न? 2009 तक वकालत करते रहे? लगता है पश्चिम बंगाल बार काउंसिल भी लंबे समय तक उस विशेषज्ञता को संभाल नहीं पाई.”

Toshali नाम के एक्स यूजर ने जज के लिए अपशब्दों का प्रयोग करते है हुए लिखा, “यह आदमी पार्थ सारथी चटर्जी कम्बल कुटाई का हकदार है. या कुछ अज्ञात बंदूकधारियों का. हिन्दुओं को भारत में अपने अज्ञात बंदूकधारियों की जरूरत है. ताकि यह डर ऐसे मूर्ख न्यायाधीशों में समा जाए.”

इस तरह की धमकियां लगातार सोशल मीडिया पर मिल रही हैं. कुछ लोग इनके घर का पता मांग रहे हैं. ये बहुत ही चिंता का विषय है. अगर देश के जज डर कर फैसले देंगे तो न्यायपालिका स्वतंत्र होकर काम नहीं कर पाएगी.

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