जवानों की सुविधा को लेकर बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाली मोदी सरकार एक बार फिर एक्सपोज होती दिख रही है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरे देश में सेना के पराक्रम को लेकर मोदी सरकार ने खूब सारे कैंपेन चलाए. सेना से जुड़ा एक ऐसा वाकया सामने आया है जिसने मोदी सरकार की कथनी और करनी के अंतर को जगजाहिर कर दिया है.
दरअसल त्रिपुरा फ्रंटियर बीएसएफ, गुहावटी फ्रंटियर, एम एंड सी फ्रंटियर के 1200 जवानों को अमरनाथ यात्रा में तैनाती के लिए ट्रेन से रवाना होना था. जवानों को जिस ट्रेन में जाना था उस ट्रेन की हालत बहुत ही जर्जर थी. ट्रेन की सीटें टूटी थी, टॉयलेट खराब था, ट्रेन में गंदगी थी, बैठने और सोने वाली सीटों की हालत जर्जर थी. जिसको देखकर जवानों ने उस ट्रेन से जाने से मना कर दिया था. जिसके 4 दिन बाद दूसरी ट्रेन से उन्हें अमरनाथ ड्यूटी के लिए भेजा गया. खस्ताहाल ट्रेन के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हैं.
आपको बता दे की ऑपरेशन सिंदूर में बीएसएफ की अहम भूमिका थी जिसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह ने की थी. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान द्वारा हमारे रिहायशी इलाकों पर हमले किए जाने के बाद बीएसएफ की जम्मू कश्मीर फ्रंटियर ने 118 पाकिस्तानी पोस्ट को तबाह कर दिया था.
खस्ताहाल ट्रेन की खबर सामने आने के बाद तमाम लोगों और पार्टियों ने मोदी सरकार की आलोचना कर दी है. कई पत्रकारों ने भी सरकार की जमकर आलोचना की है. लोग सरकार से सवाल पूछ रहे हैं.
मध्य प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम टी. एस. सिंहदेव ने इसे शर्मनाक बताते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हर मंच से सेना के सम्मान देने का झूठा दावा करते नहीं थकते. लेकिन हकीकत यह है की अमरनाथ यात्रा के मौके पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए ड्यूटी जा रहे बीएसएफ जवानों को टूटी-फूटी सीटें, गंदे शौचालय, खराब खिड़कियां-दरवाजे और कॉकरोचों से भरी ट्रेन में भेज रही थी. यह घटना केवल रेलवे की नाकामी नहीं, बल्कि मोदी सरकार की प्राथमिकताओं का पर्दाफाश करती है. देश की सुरक्षा के लिए जान न्योछावर करने वाले जवानों के साथ ऐसा व्यवहार शर्मनाक है”
आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इसे जवानों का अपमान बताते हुए लिखा, “भाजपा का राष्ट्रवाद सिर्फ भाषणों तक सीमित है. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की 118 चौकियां तबाह करने वाले बीएसएफ जवानों को भारतीय रेलवे ने जर्जर ट्रेन थमा दी! शर्मनाक और चिंताजनक है. यही वह BSF है जिसकी वीरता पर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने खुद गर्व जताया था. फिर भी उन्हीं जवानों को यात्रा के नाम पर सजा जैसे हालात में भेजा जा रहा था! मैं प्रधानमंत्री मोदी से पूछना चाहता हूँ क्या यही है जय जवान का असली मतलब? क्या यही है “राष्ट्र सेवा” का इनाम?”
इस पूरे मामले पर रवीश कुमार ने लिखा, “वंदे भारत की कोई कमी है जो जर्जर ट्रेन से भेजा जा रहा था? मना कर दिया ये बड़ी बात है.”
पत्रकार रणविजय सिंह ने सरकार की आलोचना करते हुए लिखा, “BSF के जवानों को त्रिपुरा से कश्मीर जाना था. सरकार ने हमारे BSF के जवानों के लिए ऐसी गंदी ट्रेन भेजी दी. सोचिए. क्या कोई सरकार का मंत्री ऐसी ट्रेन में सफर करेगा? खुद महंगा मशरूम खा रहे हैं, हमारे जवानों का ऐसे सफर करवा रहे हैं.”