भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम को लेकर ट्रंप सरकार ने अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अदालत में एक सनसनीखेज दावा किया है. जिसमें कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया युद्धविराम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता और दोनों देशों को व्यापारिक लाभ के प्रस्ताव के कारण संभव हुआ. यह दावा 23 मई 2025 को अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक सहित चार कैबिनेट अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत एक अदालती दस्तावेज में दर्ज किया गया. इस दस्तावेज में तर्क दिया गया कि ट्रम्प ने अपनी आपातकालीन आर्थिक शक्तियों का उपयोग कर दोनों देशों के व्यापारिक पहुंच की पेशकश की जिसके परिणामस्वरूप 10 मई, 2025 को युद्धविराम हुआ था.
ट्रप सरकार के इस दावे को भारत सरकार ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है. जिससे लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या अमेरिकी सरकार ने अदालत में झूठ बोला या इस युद्धविराम “सौदे” में कुछ और है जो सामने नहीं आया?
आपको बता दें कि भारत सरकार ने द्वारा 7 मई 2025 को 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब में ऑपरेशन सिंदूर किया था. भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर के आतंकी ठिकानों पर हवाई और मिसाइल हमले किए जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण सैन्य टकराव शुरू हुआ. चार दिनों तक दोनो तरफ से भारी गोलीबारी ड्रोन और मिसाइल हमले किए गए. इसमें पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ था. 10 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच सीधे संपर्क के माध्यम से युद्ध विराम की घोषणा हुई. लेकिन भारत सरकार की घोषणा से ट्रंप ने पहले कर दी थी जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था.
ट्रम्प प्रशासन ने कोर्ट में दावा है कि युद्धविराम केवल तभी संभव हुआ जब ट्रंप ने दोनों देशों को व्यापारिक लाभ की पेशकश की और युद्ध न रोकने पर व्यापार रोकने की धमकी दी. डोनाल्ड ट्रंप ने अलग-अलग जगहों पर कई बार भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम के लिए व्यापार को मुख्य कारण बताया था. इस बीच भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक बातचीत चल रही हैं.
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा, “ट्रम्प प्रशासन ने अब अमेरिकी अदालत में आधिकारिक तौर पर दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों को युद्ध विराम कराने के लिए एक व्यापारिक समझौता ऑफर किया गया था. यह अब एक आधिकारिक अदालती दस्तावेज में दर्ज है. सवाल यह है कि क्या अमेरिकी सरकार ने अदालत में शपथ के तहत झूठ बोला है, या इस युद्ध विराम ‘समझौते’ में जो दिख रहा है उससे कहीं ज्यादा है? क्या इस शोर-शराबे के बीच पूरा सच कभी सामने आएगा?”
वरिष्ठ पत्रकार सुहासिनी हैदर ने लिखा, “अमेरिकी सरकार ने पहली बार एक अदालती दस्तावेज में आधिकारिक तौर पर दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम “केवल” अमेरिकी मध्यस्थता और “व्यापारिक पहुंच” की पेशकश के कारण संभव हुआ, ताकि पूर्ण पैमाने पर युद्ध को टाला जा सके.”
पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने लिखा, “ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिकी अदालत में आधिकारिक तौर पर दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान को युद्ध विराम के बदले एक व्यापारिक सौदा पेश किया गया था, जो अब अमेरिकी अदालती दस्तावेजों में दर्ज है. बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिकी सरकार ने अदालत में शपथ के तहत झूठ बोला है? ट्रम्प ने आठ बार जिस युद्धविराम सौदे का दंभ भरा, वह वास्तव में क्या है? उच्चतम स्तर पर स्पष्टता की आवश्यकता है”
इस पूरे मामले पर विजपुनीत नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “मोदी और जयशंकर की कायरतापूर्ण चुप्पी…जबकि ट्रंप ने अमेरिकी अदालत में दावा किया कि उन्होंने व्यापार सौदों के ज़रिए भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम को मजबूर किया. आधिकारिक रिकॉर्ड व्यापार लाभ को उजागर करते हैं, जबकि भारत का कमजोर विदेश मंत्रालय इनकार करता है लेकिन कोई स्पष्टता नहीं देता क्या मोदी अपमानजनक सौदे को छिपा रहे हैं या अमेरिका शपथ लेकर झूठ बोल रहा है? अभी जवाब मांगिए. मोदी को राष्ट्र के सम्मान को बचाने के लिए बोलना चाहिए”