‘हम तो डोर टू डोर ही प्रचार करते हैं। ये ट्रेडिशनल तरीका होता था चुनाव लड़ने का। अब तो पैसे खर्चते हैं। बड़े-बड़े एड देते हैं। वो आम आदमी पार्टी को नहीं आता। हमारे पास पैसे नहीं है। हम ईमानदार पार्टी हैं।’’
ये बयान है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का। केजरीवाल ने ये अतिशयोक्ति पूर्ण दावा चुनाव प्रचार के दौरान 12 जनवरी को पंजाब के मोहाली में किया था।
केजरीवाल के बयान से हेडडलाइन तो अच्छी बन सकती है। ‘आप’ क्रांति का भ्रम पाले लोग उत्साहित भी हो सकते हैं। लेकिन दावे को जब सच्चाई के सांचे में कसा जाएगी तो आम आदमी का चरित्र भी विद्रूपित नज़र आएगा।
दिल्ली में जब कोरोना का कहर था। लाश जलाने वाली मशीने खुद जल रही थी। श्मशानों पर लम्बी लाइन थी। उस त्रासदी के दौरान भी दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन पर हर रोज लगभग एक करोड़ रुपए खर्च किया है।
न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा आरटीआई के जरिए पूछे गए सवाल के जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया है कि मार्च 2020 से जुलाई 2021 के दौरान सरकार ने विज्ञापन एवं प्रचार पर कुल 490 करोड़ रुपए खर्च किया है।
केजरीवाल के बयान पर कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने लिखा है, ”कोरोना आपदा के सबसे बड़े दौर में 17 महीनों के दौरान दिल्ली सरकार ने केजरीवाल का चेहरा दिखाने वाले विज्ञापनों पर 490 करोड़ रुपए खर्च किए, अगर यही पैसा Health Infrastructure पर खर्च होता तो न जाने कितने घरों के चिराग आज भी रोशन होते । शर्मनाक!!”
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