22 अप्रैल की दिन भारतीयों के लिए किसी काले अध्याय से कम नहीं हैं. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में ने पूरे देश को गम में डाल दिया है. इस हमले में 28 लोगों ने अपनी जान गवां दी. इस हमले में यूएई और नेपाल सहित 2 विदेशी सैलानी भी मारे गए. अमेरिका और रूस के राष्ट्रपति समेत दुनिया भर के तमाम नेताओं ने इस पर शोक व्यक्त किया है.
जिस तरह से लोगों के नाम पूछकर उनपर गोलियां चलाई गई है यह बहुत ही दर्दनाक और भयावह है. इस भयावह घटना के बाद लोगों के मन में हमले को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं. लोग यह भी सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर इस तरह की घटना हुई कैसे? और उस समय सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही थी और उन्हें इस हमले की भनक कैसी नहीं लगी? आज हम इन्हीं पहलुओं पर पर चर्चा करेंगे.
अगर हम पिछले 30 सालों की बात करें तो इतना बड़ा हमला आम पर्यटकों पर नहीं देखने को मिला था. 2019 में पुलवामा में आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए थे.लेकिन यह एक सैनिक हमला था. जिस तरह से 2019 में भाजपा सरकार ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से कश्मीर में हालात सुधर जाएंगे. भाजपा का यह दावा पूरी तरह से फेल होता नजर आता है. अगर हम मंगलवार को हुए हमले पर गौर से विचार करते हैं तो हमारे मन में कई सवाल उभर कर आते हैं.
सरकार दावे कर रही है कश्मीर में सब नॉर्मल है तो ये हमला कैसे हो गया?
कश्मीर में देश और दुनिया भर से पर्टयक आ रहे थे तो उनकी सुरक्षा का पुख्ता इंतेजाम क्यों नहीं किया गया?
हमले के वक्त करीब 2 से 3 हजार पर्यटक थे और हमला दिन के उजाले में हुआ था सुरक्षा एजेंसियों को हमले की भनक कैसे नहीं लगी?
हमला उस समय हुआ जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति भारत में मौजूद थे.
इन सवालों के जवाब आने अभी बाकी हैं या पुलवामा हमले की तरह कुछ सवालों के जवाब कभी नहीं मिल पाएंगे?
पहलगाम के कायराना हमले विरोध में कश्मीर की सभी पार्टियों में बंद ऐलान किया था. जहां एक तरफ पूरा देश गम में डूबा है वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप प्रत्यारोप जारी है.