देश में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद से पूरा देश स्तब्ध है. अपने अटपटे बयान के लिए अक्सर चर्चे में रहने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दुबे कभी देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को जिम्मेदार ठहरा देते हैं तो कभी पूर्व चुनाव आयुक्त को मुस्लिम आयुक्त बता देते हैं. पहलगाम में हुए हमले के बाद उनका एक ट्वीट तेजी से वायरल हुआ. जिसमें उन्होंने लिखा था कि मैं कलमा सीख रहा हूं क्या पता कब इसकी जरूरत पड़ जाए. जिसके बाद से लोगों ने इनको जमकर ट्रोल किया.
गुलमर्ग में की थी प्राइवेट पार्टी
अंग्रेजी दैनिक अखबार इंडियन एक्सप्रेस में 25 अप्रैल 2025 को एक खबर छपती है जिसमें बताया गया है कि पहलगाम हमले से 10 दिन पहले निशिकांत दुबे ने भारी सुरक्षा के बीच गुलमर्ग में एक प्राइवेट पार्टी की थी. इस खबर की कटिंग सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल है जिसके बाद लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार गुलमर्ग में 10 दिन पहले भाजपा के लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे की एक हाई-प्रोफाइल पारिवारिक कार्यक्रम की चर्चा भाजपा के अंदर और बाहर हो रही है. दुबे ने गुलमर्ग में अपनी 25वीं शादी की सालगिरह मनाई और इसमें सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था. हालांकि कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे. इस खबर के सामने आने के बाद से लोग भाजपा नेता को मिले वीआईपी ट्रीटमेंट पर सवाल उठा रहे हैं.
लोगों ने उठाए सवाल
इस खबर की कटिंग को शेयर करते हुए जाने माने पत्रकार डॉ. मुकेश कुमार सरकार से सवाल करते हुए लिखा, “निशिकांत दुबे गुलमर्ग में शादी की सालगिरह मनाते हैं. ढेरों वीआईपी इकट्ठे करते हैं. जश्न को पूरी सुरक्षा दी जाती है. मगर आम नागरिकों को आतंकवादियों का शिकार बनने के लिए छोड़ दिया जाता है. ये है इस सरकार का चरित्र. मगर पाखंड में कोई कमी नहीं रहती. मधुबनी जाकर जनसभा में अंग्रेजी में बताते हैं कि वे अब क्या करने वाले हैं”.
इसी न्यूज पेपर की कटिंग को शेयर करते हुए पत्रकार कृष्ण कांत ने एक्स पर लिखा, “कलमा पढ़ने वाले डिग्री दुबे आतंकी हमले से कुछ दिन पहले महंगे रिसॉर्ट में आलीशान पार्टी कर रहे थे. हमारे सुरक्षा बलों को उनकी प्राइवेट पार्टी में तैनात किया गया था. जब हमला हुआ तो वहां एक सिपाही तक नहीं था”.
इस तरह की खबरें न केवल मोदी सरकार के दोहरे चरित्र को दर्शाती हैं साथ ही सरकार के उन तमाम दावों की पोल खोलती हैं कश्मीर में कड़ी सुरक्षा की बात की जाती है. जहां किसी सांसद की प्राइवेट पार्टी के लिए वीआईपी सुरक्षा का इंतजाम किया जाता है वहीं आम लोगों को आतंकवादी गोली मारकर चले जाते हैं और सुरक्षा बल नहीं पहुंच पाते हैं.