प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिना किसी तैयारी के किया गया 21 दिनों का लॉकडाउन गरीबों – मज़दूरों पर कहर बनकर टूट रहा है। लॉकडाउन के चलते कभी पलायन करने वाले मज़दूरों की सड़क हादसे में मौत हुई, तो कोई कामगार सैकड़ों किलोमीटर बिना दाना – पानी के पैदल चलने से ज़िन्दगी की जंग हार गया।
ऐसी दर्दनाक घटनाओं का सिलसिला अभी भी जारी है। ताज़ा मामला उस वक़्त सामने आया, जब बिहार के भागलपुर से एक महिला और उसकी आठ साल की ब्लड कैंसर पीड़ित बेटी को लॉकडाउन के चलते अपने घर झारखंड के देवघर जाने के लिए चार दिनों तक पैदल चलना पड़ा। रास्ते की तमाम दुश्वारियों को झेलते हुए मां बीमार बेटी के साथ झारखंड के देवघर में एक पुलिस थाने में पहुंची। जहां उसने आप बीती सुनाई तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी भी अपने आंसू नहीं रोक सके।
बच्ची की मां ने पुलिस को बताया कि वो बच्ची के इलाज के लिए भागलपुर गई थी। लेकिन अचानक लॉकडाउन कि घोषणा हो गई। जिसके बाद वो अनजान शहर भागलपुर में फंस गई। पीड़िता ने बताया कि उसने बिहार सरकार के अधिकारियों से भी गुहार लगाई कि उसे घर पहुंचा दिया जाए, उसकी बच्ची बीमार है। लेकिन उसकी गुहार को नहीं सुना गया।
जिसके बाद मां ने बीमार बेटी साथ ही पैदल चलकर घर पहुंचने का फैसला किया। वो रास्ते की तमाम दुश्वारियों को झेलते हुए एक सौ दस किलोमीटर की दूरी तय कर किसी तरह झारखंड के देवघर पहुंच गई। लगातार पैदल चलने के बाद जब महिला देवघर पहुंची तो उसे बेटी की हालत और बिगड़ने का डर सताने लगा। जिसके चलते उसने देवघर थाने जाने का फैसला किया।
जहां मां-बेटी ने अपना दुखड़ा वहां मौजूद अधिकारियों को सुनाया। अधिकारियों ने फौरन इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों और स्थानीय प्रशासन को दी। इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने बच्ची और मां की हालत देखते हुए उनको जमशेदपुर उनके घर भेजने का इंतजाम किया।














