बीजेपी दिल्ली का किला फतह करने तीखे, जहरीले और गाली-गोली, गद्दार जैसे भड़काऊ और संप्रदायिक मुद्दों पर निकली थी लेकिन जनता इस नफरत को मिट्टी में मिलाकर बीजेपी को अपनी जुवान को मीठा और नम्र करने की हिदायत दे डाली।
अब अमित शाह को भी ऐसी बयानवाजी पर चुनाव के दौरान रोक ना लगाने का पछतावा हो रहा है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘देश के गद्दारों को गोली मारो’ और दिल्ली के चुनाव को ‘हिन्दुस्तान और पाकिस्तान का मैच’ जैसे बयान देना गलत था। ऐसा नहीं कहना चाहिए।
दिल्ली की जनता ने प्यार, भाईचारा और एकता का ऐसा मसाल जलाया कि अब अमित शाह भी अपने नेताओं के बयान पर शर्मिंदा हो गए। उन्होंने कहा कि बीजेपी की अपनी एक विचारधारा है, लेकिन किसी को गद्दार और देशद्रोही कहना कतई ठीक नहीं है।
इसके अलावा उन्होंने कहा- पार्टी में बहुत सारे नेता होते है, कई ऐसे छोटे कार्यकर्ता है जो कुछ भी कह देते है, लेकिन उनकी बातों को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। क्या अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा छोटे नेता है? इसपर अमित शाह ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा, ‘नहीं’ इन्हें बिल्कुल इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए।
दरअसल अमित शाह टाइम्स नाउ के विजन 2020 कार्यक्रम में बोल रहे थे। जहां उनसे एक सवाल पूछा गया। जो दिल्ली चुनाव के दौरान खूब चर्चे में रहा था। अमित शाह ने एक सभा कहा था, बटन इतने गुस्से में दबाना की करेंट शाहीन बाग में लगें। इस पर उन्होंने जवाब देते हुए, ये जनता को समझाने का एक तरीका था, इसका मतलब ये नहीं था कि वहां के लोगों को करेंट लगें।
शायद देर ही सही पर अमित शाह को इस बात का एहसास हो गया है, चुनाव नफरत फैला कर नहीं जीता जा सकता. भारत की सभ्यता और संस्कृति एक साथ रहने की रही है।