भारत के पूर्वी राज्य मणिपुर में हिंसा के 2 साल से अधिक बीत जाने के बाद पहली बार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर पहुंचे.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मणिपुर के चुराचांदपुर और इंफाल पहुंचे में कई सारी विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी. पीएम ने चुराचांदपुर में ₹7,300 करोड़ और इंफाल में ₹1,200 करोड़ से ज्यादा की विकास परियोजनाओं की शिलान्यास और उद्घाटन किया. मणिपुर में मई 2023 भड़की थी जिसके बाद पीएम मोदी ने पहली बार मणिपुर का दौरा किया. 

मणिपुर में पीएम मोदी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा,  “मणिपुर की ये धरती हौसलों और हिम्मत की धरती है। ये हिल्स प्रकृति का अनमोल उपहार हैं और साथ ही ये हिल्स आप सभी लोगों की निरंतर मेहनत का भी प्रतीक हैं. मैं मणिपुर के लोगों के जज्बे को सैल्यूट करता हूं. इतनी भरी बारिश में भी आप इतनी बड़ी संख्या में यहां आए, मैं आपके इस प्यार के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं.”

पीएम मोदी द्वारा मणिपुर में कही गई कुछ प्रमुख बातें 

मणिपुर के नाम में ही मणि है, ये वो मणि है जो आने वाले समय में पूरे नॉर्थ-ईस्ट की चमक को बढ़ाने वाली है. भारत सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि मणिपुर को विकास के रास्ते पर तेजी से आगे ले जाएं। इसी कड़ी में मैं आज यहां आप सभी के बीच आया हूं. थोड़ी देर पहले इसी मंच से करीब 7 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास हुआ है. ये प्रोजेक्ट्स मणिपुर के लोगों की, यहां हिल्स पर रहने वाले ट्राइबल समाज की जिंदगी को और बेहतर बनाएंगे.

मणिपुर में जनजीवन को पटरी पर लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.विस्थापित परिवारों के लिए, हमारी सरकार सात हज़ार नए घर बनाने हेतु सहायता प्रदान कर रही है. हाल ही में, लगभग ₹3,000 करोड़ के विशेष पैकेज को मंजूरी दी गई है. इसके अतिरिक्त, विस्थापित लोगों की सहायता के लिए ₹500 करोड़ विशेष रूप से आवंटित किए गए हैं. मणिपुर में जनजीवन को पटरी पर लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. विस्थापित परिवारों के लिए, हमारी सरकार सात हज़ार नए घर बनाने हेतु सहायता प्रदान कर रही है. हाल ही में, लगभग ₹3,000 करोड़ के विशेष पैकेज को मंजूरी दी गई है. इसके अतिरिक्त, विस्थापित लोगों की सहायता के लिए ₹500 करोड़ विशेष रूप से आवंटित किए गए हैं.

हमारी सरकार पूरी संवेदनशीलता से आपके जीवन की मुश्किलों को कम करने का पूरा प्रयास कर रही है. मैं जानता हूं कि मणिपुर के कई हिस्सों में बाढ़ से भी बहुत परेशानी होती है. इस समस्या को कम करने के लिए भी सरकार कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है.

21वीं सदी का ये समय east का है, northeast का है. इसलिए मणिपुर के विकास को भारत सरकार ने निरंतर प्राथमिकता दी है. इसी का परिणाम है कि मणिपुर की विकास दर लगातार बढ़ रही है. 2014 से पहले मणिपुर की विकास दर 1% से भी कम थी, अब मणिपुर पहले से कहीं ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रहा है. वहीं पीएम मोदी के मणिपुर दौरे को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं. विपक्ष खासकर कांग्रेस पीएम मोदी पर हमलावर है. 

 

कांग्रेस ने पीएम में से माफी मांगने की उम्मीद की

 कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “हिंसा भड़कने के ढाई साल बाद आखिरकार इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मणिपुर जा रहे हैं. वो आज भी वहां पर लोगों के आंसू पोंछने, विस्थापितों से मिलने, जिन महिलाओं को नोचा गया- उनका हाल जानने या शांति की अपील करने के लिए नहीं. बल्कि रेलवे प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने जा रहे हैं और शायद इसीलिए मणिपुर में उनके आगमन का विरोध हो रहा है. 

सुप्रिया श्रीनेत ने आगे  कहा, “भला कौन भूल सकता है जलते हुए मणिपुर को उसके हाल पर छोड़ कर मोदी जी दुनिया नाप रहे थे.कौन भूल सकता है कि जब तक अपनी सरकार पर नहीं आ गई, तब तक मणिपुर में राष्ट्रपति शासन तक नहीं लगाया. कौन भूल सकता है कि मोदी जी मणिपुर के प्रतिनिधियों तक से नहीं मिले. कौन भूल सकता है आदमखोरों की भीड़ ने महिलाओं के साथ क्या किया और कैसे प्रधानमंत्री 78 दिन बाद महज 36 सेकंड बोल पाए थे.कौन भूल सकता है कि विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा. वरना मोदी जी सदन में मणिपुर पर बोलने के लिए तैयार ना थे. आशा है आज प्रधानमंत्री फीता काटने के बाद वहां खड़े होकर मणिपुर से हाथ जोड़कर माफी मांगेंगे.”

वहीं पीएम मोदी के मणिपुर दौरे को लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा था, “मणिपुर में बहुत समय से परेशानियां चल रही हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी अब वहां जा रहे हैं.आज देश में सबसे जरूरी मुद्दा ‘वोट चोरी’ है. हरियाणा और महाराष्ट्र का चुनाव चोरी किया गया है.आज पूरा देश नरेंद्र मोदी को ‘वोट चोर’ कह रहा है.”

पत्रकार सुमित चौहान ने PM मोदी के मणिपुर दौरे पर लिखा, “जब मणिपुर जल रहा था. लोगों के घर राख हो रहे थे. बच्चे अपने माता-पिता से बिछुड़ रहे थे और औरतें बेघर होकर असुरक्षा में जी रही थीं. इंसानों की ज़िंदगियाँ टूट रही थी. और उस वक़्त देश का प्रधानमंत्री वहाँ नहीं पहुँचा. आज पूरे दो साल बाद, जब दर्द की लकीरें चेहरों पर स्थायी हो चुकी है  जब लोगों ने मजबूरी में अपने जख़्मों के साथ जीना सीख लिया है. तब प्रधानमंत्री का जाना किस काम का?  मणिपुर ने हमें याद दिलाया है कि सत्ता की राजनीति इंसानियत से बड़ी नहीं हो सकती। लेकिन अफ़सोस, हमारे प्रधानमंत्री ने इंसानियत से मुँह मोड़कर यही साबित किया है कि उनके लिए दर्द केवल आँकड़े हैं, न कि इंसानों की सिसकियाँ.”

https://x.com/Sumitchauhaan/status/1966722698459181521

 

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