नेता विपक्ष राहुल गांधी द्वारा केंद्र की मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर वोट चोरी को लेकर लगाए गए गंभीर आरोपों पर अब उन्हें देश के 3 पूर्व चुनाव आयुक्तों का साथ मिलता दिख रहा है. राहुल ही नहीं देश के तमाम विपक्षी पार्टियां लगातार देश में वोट चोरी का मुद्दा उठा रही हैं. वोट चोरी और SIR के मुद्दे पर हाल ही में राहुल गांधी ने बिहार में वोटर अधिकार यात्रा भी निकाली थी.
राहुल गांधी ने मीडिया के सामने एक पीपीटी प्रेजेंटेशन देकर चुनाव आयोग पर वोट चोरी के कई गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को झूठा बताया था और राहुल गांधी से 7 दिन के अंदर एफिडेविट देने को कहा था. नहीं तो राहुल गांधी से देश से माफी मांगने की बात कही थी.
वहीं राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए गंभीर आरोपों पर उन्हें देश के पूर्व चुनाव आयुक्तों का साथ मिलता दिख रहा है. तीनों पूर्व चुनाव आयुक्तों ने राहुल गांधी की बात का समर्थन किया है. राहुल गांधी को यह समर्थक India Today के कॉन्क्लेव के दौरान दिया. आइए जानते हैं पूर्व चुनाव आयुक्तों ने क्या कहा.
पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कहा India Today के कॉन्क्लेव में कहा “किसी को भी एफिडेविट जमा करने को जरूरत नहीं है. अगर कोई गंभीर शिकायत है तो चुनाव आयोग को जरूर इसे देखना चाहिए. मुझे लगता है राहुल गांधी की प्रेजेंटेशन एक एनालिसिस था. उन्होंने ने दावा किया गया कि यह चुनाव आयोग का डाटा है. भारतीय चुनाव आयोग मतदाता सूची का संरक्षक है. अगर इस तरह के गंभीर आरोप लगाए जाते हैं तो यह किसी पब्लिक संस्थान (न केवल चुनाव आयोग) जिम्मेदारी होती है कि इसकी जांच करवाए.
अशोक लवासा ने आगे कहा, “आप किसी भी तरह के संदेह को ऐसे हवा में छोड़ नहीं सकते. क्योंकि ये संदेह मतदाता सूची की अखंडता को लेकर उठाए गए हैं जो कि जो कि इलेक्शन कमीशन की निगरानी में तैयार की गई. मुझे लगता है इसकी जांच करनी चाहिए और जो फैक्ट है वह लोगों को बताना चाहिए.
वहीं पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने भी राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग को गंभीरता से लेने की बात कही. उन्होंने कहा, “जब भी चुनाव के समक्ष को संदेह जताया जाता है चाहे वह एक आम वोटर ही क्यों न हो. चुनाव आयोग को इसे हमेशा गंभीरता से लेना चाहिए, चुनाव आयोग को तुरंत जांच के आदेश का आदेश देना चाहिए. और जो है रिजल्ट बताना उसे व्यक्ति और जनता रखना चाहिए और इससे कोई संदेह नहीं पनपेगा.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने भी राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा, “हमें नहीं भूलना चाहिए कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं. वह केवल अपनी बात नहीं कह रहे वह करोड़ों लोगों की बात कर रहे हैं. जब राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया तो चुनाव आयोग गुस्से से भर गया. जिसकी जरूरत नहीं थी. अगर मैं होता तो इसे गंभीरता से लेता और जांच के आदेश देता.
चुनाव आयोग द्वारा एफिडेविट की मांग की आलोचना करते हुए कुरैशी ने आगे कहा, “राहुल गांधी से एफिडेविट की मांग करना गलत है. अगर राहुल गांधी चुनाव आयोग से एफिडेविट की मांग करने लगे कि आपने जो 65 लाख लोगों के नाम काटे हैं इसका एफिडेविट दीजिए? अगर एक भी आंकड़े गलत होते थे या क्रिमिनल केस होगा. नेता प्रतिपक्ष से इस तरह से बात करना सही नहीं है.
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर तीनों पूर्व चुनाव आयुक्त के बयान को शेयर करते हुए लिखा, “इंडिया टुडे के कार्यक्रम में तीन पूर्व चुनाव आयुक्तों ने खुलकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के रवैये को गलत बताया. पूर्व चुनाव आयुक्त – एसवाई कुरैशी जी, अशोक लवासा जी और ओपी रावत जी ने कहा कि नेता विपक्ष राहुल गांधी जी से एफिडेविट मांगना सरासर गलत है.”
कांग्रेस ने चुनाव की गणेश कुमार से अपनी जिम्मेदारी से भागने का आरोप लगाते हुए आगे लिखा, “अगर चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत हुई है, तो उसकी जांच होनी चाहिए. यही चुनाव आयोग का कर्तव्य है, जो ज्ञानेश कुमार नहीं निभा रहे हैं. ज्ञानेश कुमार को अब मोदी सरकार का पक्ष लेना बंद करना चाहिए, ‘वोट चोरी’ बंद करनी चाहिए. देश उन्हें देख रहा है और उनको कभी माफ नहीं करेगा.””