देशभर में बैलेट पेपर और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर जारी बहस के बीच कर्नाटक राज्य चुनाव आयुक्त जी.एस. संग्रेशी ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने का समर्थन किया है. उन्होंने इसे लोकतंत्र की सर्वोत्तम और पारदर्शी प्रथा बताया.
संग्रेशी का यह बयान कर्नाटक सरकार द्वारा आगामी निकाय चुनाव ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से कराने के प्रस्ताव के एक दिन बाद आया है. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि बैलेट पेपर से चुनाव कराना किसी भी तरह की चुनौती नहीं है. इसमें केवल वोटों की गिनती के दौरान थोड़ा अतिरिक्त समय लग सकता है, लगभग दो से तीन घंटे अधिक.
उन्होंने स्पष्ट किया, “लोकतंत्र की सबसे अच्छी प्रथाओं में से एक बैलेट पेपर है। इसमें क्या समस्या है? बीस साल पहले तक इसका इस्तेमाल होता था और आज भी अमेरिका जैसे कई विकसित देश इसी पद्धति का प्रयोग करते हैं। यदि सरकार आवश्यक कानूनी संशोधन करती है और पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराती है, तो राज्य चुनाव आयोग बैलेट पेपर पर स्विच करने के लिए पूरी तरह तैयार है.”
मतदाता सूची तैयार करने में लगेगा 2–3 महीने
चुनाव आयुक्त ने कहा कि यदि अधिनियमों में संशोधन हो जाता है और राज्यपाल अध्यादेश को मंजूरी देते हैं, तो राज्य चुनाव आयोग नई मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर देगा. इस काम में दो से तीन महीने का समय लग सकता है.
उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पहले जीबीए में करीब 9,000 बूथ स्तरीय अधिकारी (BLO) थे. अब उनकी संख्या दोगुनी करनी होगी ताकि प्रक्रिया अधिक प्रभावी और व्यापक हो सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि वित्त विभाग आवश्यक धनराशि के लिए अपनी मंजूरी जल्द देगा.
संग्रेशी ने कहा, “हमारा प्रयास होगा कि तय समय पर एक पारदर्शी, विवेकपूर्ण और मजबूत मतदाता सूची तैयार की जाए, जिससे चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और भरोसेमंद हो.”