इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से चुनाव का लंबे समय से विरोध हो रहा है. EVM की विश्वसनीयता को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार सवाल कर उठाती रही हैं. हाल ही में कर्नाटक सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में वोटिंग कराने का प्रस्ताव दिया है. कर्नाटक सरकार का यह फैसला हाल में राहुल गांधी की बिहार में S.I.R और चुनावों में ‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर की गई ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बाद आया है.
बीजेपी ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. आपको बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की सरकार है. कर्नाटक सरकार के इस प्रस्वात का विरोध बीजेपी ने इसलिए भी शुरू कर दिया है कि उसे डर है कि कहीं कर्नाटक में निकाय चुनाव बैलेट पेपर से हुए तो दूसरे राज्य भी इसी तरह का कदम उठा सकते हैं.
स्थानीय निकाय चुनाव को बैलेट पेपर से कराने को लेकर कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने इस पर एक निर्णय लेते हुए राज्य चुनाव आयोग से सिफारिश की है. प्रस्ताव में कहा गया है कि मतदाता सूची को संशोधित किया जाए और कर्नाटक में आगामी स्थानीय निकाय चुनाव EVM की जगह बैलेट पेपर से कराए जाएं.
मीडिया से बात करते हुए कर्नाटक के कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने दावा किया कि
लोगों में EVM की विश्वसनीयता को लेकर कमी आई है. मंत्रिमंडल ने मौजूदा कानूनों में संशोधन करके आवश्यक कानून बनाने का निर्णय लिया है. साथ ही संशोधित कानून 15 दिनों में मंत्रिमंडल के सामने पेश किए जाएंगे और फिर राज्यपाल के पास लिए भेजा जाएगा.
राज्य चुनाव आयुक्त का आया बयान
वहीं इस पूरे मुद्दे पर राज्य चुनाव आयुक्त का भी बयान आया है. उन्होंने इसके़ लिए तैयार होने की बात भी कही है. राज्य चुनाव आयुक्त जी.एस. संग्रेशी ने कहा “राज्य चुनाव आयोग एक संवैधानिक और स्वतंत्र निकाय है. यदि मौजूदा कानूनों और नियमों में संशोधन होता है, तो हमें नए नियमों के अनुसार काम करना होगा. अगर हमें अपनी संशोधित मतदाता सूची बनाने की अनुमति दी जाती है, तो हम इसके लिए भी तैयार हैं.”
बीजेपी ने विरोध
कर्नाटक सरकार के इस प्रस्ताव से बीजेपी खुलकर विरोध शुरू कर दिया है. कर्नाटक बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस पुराने तरीके से बूथों पर हेराफेरी करके चुनाव जीतना चाहती है.