कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महिलाओं को लेकर दिए एक आपत्तिजनक बयान पर घिरते है नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग उनको लोग जमकर ट्रोल कर रहे हैं. अनिरुद्धाचार्य अक्सर अपनी टिप्पणियों के कारण सोशल मीडिया पर चर्चा में रहते हैं.

अभी अखिलेश यादव साथ उनकी 2 साल पुरानी वीडियो की चर्चा रुकी भी नहीं थी कि अनिरुद्धाचार्य एक नए विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं.

दरअसल सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह महिलाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी करते हुए साफ सुने जा सकते हैं. अनिरुद्धाचार्य शादी को लेकर उपदेश में कह रहे हैं कि, “अब लोग 25 साल में लड़कियां लाते हैं. और 25 साल में लड़कियां चार जगह मुंह मार चुकी होती हैं. वह 25 साल में पूरी जवान होकर आती है. 25 साल में उसकी जवानी कहीं ना कहीं फिसल जाएगी.”

इसके बाद अनिरुद्धाचार्य एक हाल ही में हुए राजा हत्याकांड और उत्तर प्रदेश में ड्रम मर्डर केस का उदाहरण साफ सुने जा सकते हैं. अनिरुद्धाचार्य का इस तरह का बयान पहली बार नहीं आया है. वह इससे पहले भी लड़कियों के कपड़ों को लेकर आपत्तजनक बयान दे चुके हैं.

उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होर रहा है. जिसके बाद लोग उनको खूब ट्रोल कर रहे हैं.

पत्रकार शोभना यादव ने अनिरुद्धाचार्य के बयान को वाहियात बताते हुए लिखा, “वाहियात बकवास ..महिलाओं के लिए इस तरह की भाषा. उफ़्फ़.. पर करें क्या जब पब्लिक ही बेवक़ूफ़ी की बातें सुन रही हैं.“

https://x.com/ShobhnaYadava/status/1946491901659803880?s=19

संजय त्रिपाठी नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा, “बेबाक़ी और बदतमीजी में बहुत बारीक लाइन होती है. इसकी मर्यादा रखना बेहद ज़रूरी होता है, खासकर तब जब आप समाज में श्रेष्ठ माने जाते हों!”

https://x.com/sanjayjourno/status/1946486057731821824?s=19

चंद्रशेखर नाम के एक्सीडेंट लिखा, “इस पर कोई टिप्पणी आपकी. मुझे नहीं लगता है कि एक कथावाचक को ऐसी अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए ?
मैं इस कथावाचक का घोर निंदा करता हूं, क्योंकि मुझे मां ने सिखाया है लड़कियों को सम्मान देना.”

https://x.com/CHANDRA01286620/status/1946552794275828217?s=19

आनंद यादव नाम के एक एक यूजर ने लिखा, “क्या यही धर्म की मर्यादा है? कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का बयान – ’25 साल की लड़की 4 जगह मुँह मार चुकी होती है’ महिलाओं के बारे में इस तरह की बातें करना न तो धर्म है, न ही समाज सेवा. ऐसी सोच का विरोध जरूरी है.

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