दिल्ली हाई कोर्ट में तब्लीगी जमात की बड़ी जीत हुई है. हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमात से जुड़े 70 भारतीय नागरिकों को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों को रद्द कर दिया है. तब्लीगी जमात के लोगों पर 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान वायरस फैलाने का आरोप लगाया गया था.
क्या था पूरा मामला?
मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी ने भारत में धीरे–धीरे पूरे देश में पांव पसारना शुरू कर दिया था. मार्च के महीने में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात का एक धार्मिक आयोजन किया गया था. उसी धार्मिक आयोजन में देश-विदेश से सैकड़ों लोग शामिल हुए थे. उस समय तत्कालीन पुलिस प्रशासन ने आरोप लगाया था कि इस धार्मिक आयोजन और विदेशी नागरिकों को शरण देने के कारण देश में कोरोना वायरस का प्रसार तेजी से हुआ.
इसके बाद तब्लीगी जमात के सदस्यों 70 सदस्यों पर लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन और महामारी फैलाने के आरोप में 16 मुकदमे दर्ज किए गए थे. माडिया में तब्लीगी जमात के खिलाफ कई सारी फेक खबरें चलाई गई थी. तब्लीगी जमात के सदस्यों पर कोरोना को देश भर फैलाने का आरोप लगाया गया था. मीडिया ने तब्लीगी जमात के सदस्यों को ’कोरोना बम’, ‘कोराना जिहाद’ जैसे शब्दों से नवाजा गया गया.
लेकिन मीडिया और प्रशासन द्वारा लगाए गए तब्लीगी जमात के सदस्यों के खिलाफ सारे आरोप फर्जी पाए गए. दिल्ली हाईकोर्ट ने 70 सदस्यों पर सभी 16 मामलों को निरस्त कर दिया.
तब्लीगी जमात के पक्ष में कोर्ट ने दिया फैसला
इस मामले की दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने की. सुनवाई के दौरान कोई दौरान तब्लीगी जमात के खिलाफ कोई ठोस सबूत न मिलने पर सभी 70 आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जो यह साबित करे कि उन्होंने जानबूझकर या लापरवाही से कोविड-19 फैलाने में कोई भूमिका निभाई थी. कोर्ट ने यह भी माना कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप आधारहीन थे और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया.
तब्लीगी जमात ने जाहिर खुशी
तब्लीगी जमात के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय न केवल उनके सदस्यों के लिए बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक बड़ी जीत है.
सोशल मीडिया पर आम लोगों और पत्रकारों ने दी प्रतिक्रिया
वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्रा ने इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “तब्लीग़ी जमात पर कोरोना मामले में सभी FIR रद्द करने की ख़बर कितने अख़बारों की सुर्ख़ियों में है। कितने चैनलों पर यह ब्रेकिंग न्यूज़ बनी? तब्लीग़ी जमात पर कोरोना के दौरान किया गया दुष्प्रचार भारतीय मीडिया के ‘हिंदू’ मीडिया होने की सबसे बड़ी गवाही है।कितने चैनलों,अखबारों ने इसके लिए माफी मांगी! इस मामले के घृणित कवरेज को नोएडा की फैक्ट्री में सत्ता प्रतिष्ठानों के दरबार में प्रवेश का ‘वाइल्ड’ कार्ड बना लिया था.“
https://x.com/DayashankarMi/status/1946101832629240009?s=19
पत्रकार नरेन्द्र नाथ मिश्रा ने मीडिया को माफी मांगने की हिदायत देते हुए लिखा, “तब्लीगी जमात पर कोविड के दौरान दर्ज सारे केस रद्द. देश खासकर हम मीडिया वालों को तबलीगी जमात वालों से सॉरी तो कहना ही चाहिए. मीडिया ने कोरोना के समय जो अपराध किया है, वह कभी माफ तो नहीं हो सकेगा. बीमार लोगों पर जुल्म किया था. महामारी में हिंदू मुस्लिम किया था. वह सबसे शर्मनाक था!“
https://x.com/iamnarendranath/status/1946072055067349142?s=19
वरिष्ठ पत्रकार और नवभारत टाइम्स के पूर्व पॉलिटिकल एडिटर शकील अख़्तर ने लिखा, जिस झूठ पर पूरे अखबार रंग दिए थे, टीवी चैनलों ने आग बरसा दी थी, पत्रकार खुद आगे बढ़ बढ़ कर कह रहे थे कि हमने देखा थूकते हुए वे सब अब खामोश हैं.कहीं कहीं इस तरह की छोटी दबा कर खबरें लगा दी हैं. कोरोना के रोज जारी किए जाने वाले आंकड़ों में तब्लीगी जमात के आंकड़े अलग से जारी करके यह बताने की कोशिश की थी कि कोरोना के पीछे सबसे बड़ा कारण यही है. उस समय भी यह झूठ था.“
https://x.com/shakeelNBT/status/1946039765368709251?s=19
TV 9 भारतवर्ष के वरिष्ठ पत्रकार समीर अब्बास ने लिखा, “याद है ना, कोरोना के दौर में कैसे-कैसे बदनाम किया गया तब्लीगी जमात को, दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ कर दिए सारे दाग. सारे आरोप निराधार पाए गए.”
https://x.com/TheSamirAbbas/status/1946054063046402246?s=19
दिल्ली हाई कोर्ट का यह फैसला न केवल तब्लीगी जमात के 70 सदस्यों के लिए राहत देने वाला है बल्कि उन तमाम मीडिया संस्थाओं के मुंह पर तमाचा है जिन्होंने महामारी जैसे समय में भी देश को एकजुट करने की बजाय इसे हिंदू–मुस्लिम एंगल देने की कोशिश की.