एक मां जिसने अपने बेटे को तालीम लेने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) भेजा था, उसे क्या पता था कि देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में बेटे के सपने पूरे होने की बजाय बेटा ही गायब हो जाएगा. देश की राजधानी के बीचों-बीच बसे विश्वविद्यालय में जहां एडमिशन पाना बहुत मुश्किल होता है. उस विश्वविधायल में बेटे को भेजना एक बुरा सपना साबित होगा. 

उस विश्वविद्यालय से 15 अक्टूबर 2016 को 27 वर्षीय एम.एससी बायो टेक्नोलॉजी के छात्र नजीब अहमद लापता हो जाते हैं जिनको आज तक खोजा नहीं जा सका. उनकी मां फातिमा नफीस आज भी दरवाज़े पर उम्मीद लिए बैठी है. हर आती-जाती गाड़ियों में नजरें नजीब का चेहरा ढूंढती है कि शायद मेरा बेटा अब लौटेगा लेकिन हर बार उनके हाथ मायूसी लगती है. पिछले 9 सालों से नजीब की मां अपने बेटे के इंतज़ार में हैं लेकिन बदलते दिन महीने और साल के उनकी उम्मीद भी साथ टूट रही है. नजीब की मां को तब एक और बड़ा झटका तब लगा जब कोर्ट ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली है. लेकिन मां ने हार नहीं मानी है और अपनी अंतिम सांस तक बेटे की खोज जारी रखने की बात कही है.

क्या था मामला? 

आपको बता दें कि दिल्ली के JNU के छात्र नजीब अहमद रहस्यमयी तरीके से JNU कैंपस से गायब हो गए. उनको अंतिम बार 15 अक्टूबर 2016 को JNU कैंपस में देखा गया था. उनको लापता हुए 9 साल से ज्यादा हो गए लेकिन उनका अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है. देश को सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI भी उनको ढूंढने में नाकाम रही.

गायब होने से पहले ABVP के छात्रों से हुआ था विवाद

द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 अक्टूबर 2016 को JNU कैंपस से गायब होने से एक दिन पहले ABVP के छात्रों से विवाद हुआ था. जिसमें उनको चोट भी लगी थी. लेकिन झगड़े का कारण पता नहीं चल सका. नजीब के गायब होने का पीछे बहुत सारे लोगों ने ABVP के छात्रों हाथ होने की संभावना जताई, लेकिन दिल्ली पुलिस और CBI ने ABVP छात्रों के खिलाफ कोई सबूत नहीं जुटा पाई. 

CBI 2018 में बंद कर दी थी जांच

नजीब अहमद केस की जांच देश की प्रतिष्ठित जांच CBI कर रही थी. CBI ने तमाम जांच पड़ताल के बाद भी नजीब अहमद का पता लगाने में असफल रही. जिसके बाद CBI ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में 2018 में अपनी क्लोजर रिपोर्ट फाइल की थी. जिसे अब कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इसका मतलब यह हुआ कि अब नजीब अहमद की तलाशी अभियान आधिकारिक रूप से बंद कर दिया जाएगा. लेकिन कोर्ट ने कहा है कि अगर भविष्य में नजीब अहमद से संबंधित कोई ठोस जानकारी मिलती है तो सीबीआई इस मामले की जांच फिर से शुरू कर सकती है. 

कोर्ट ने क्या कहा?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राउज एवेन्यू कोर्ट की एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ज्योति माहेश्वरी ने CBI की स्वीकार करते हुए कहा, “ हॉस्टल इलेक्शन जैसे संवेदनशील माहौल और JNU जैसे कैंपस में ऐसी झाड़ पर और बाद होना आसमान में बात नहीं है लेकिन महेश इस आधार पर या मान लेना उचित नहीं होगा कि वह किसी साथी छात्र को गायब करने जैसा कदम उठा सकते हैं. खासकर जब साबित करने के लिए कोई सबूत न हो.”

कोर्ट ने कहा, “यह कोर्ट उस मां की पीड़ा को समझती है जो 2016 से अपने बेटे की तलाश कर रही हैं. लेकिन इस मामले में जांच एजेंसी (CBI) द्वारा कोई लापरवाही नहीं पाई गई है. हर आपराधिक जांच का आधार सच्चाई की तलाश होती है लेकिन कुछ मामलों में कई प्रयासों के बावजूद कोई ठोस जांच के निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सकता. 

पुलिस जांच में रही फेल 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक नजीब के गायब होने के बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 9 संदिग्ध लोगों की पहचान की गई. उनकी तलाशी के लिए आसपास की मेट्रो स्टेशन के सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई थी. कोई पुलिस ने नजीब के बारे में जानकारी देने वाले को 50 हजार का इनाम देने भी घोषणा भी की थी. 1920 दिसंबर 2016 को 500 से अधिक पुलिसकर्मियों ने जेएनयू कैंपस की तलाशी ली थी लेकिन नजीब को नहीं ढूंढ़ा जा सका था.

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने शुरू की जांच

दिल्ली पुलिस की जांच से असंतुष्ट होने पर नजीब की मां ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसके 6 महीने बाद 16 में 2017 को हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. CBI ने JNU के अधिकारियों और कर्मचारियों व नजीब के दोस्तों समेत 26 लोगों से पूछताछ की थी. 

CBI ने 12 शहरों के शव गृहों की जांच की लेकिन नजीब का पता नहीं लगाया जा सकी. इसके बाद 11 में 2018 को सीबीआई ने दिल्ली कोर्ट में बताया की नजीब के खिलाफ किसी भी अपराध की कोई संभावना नहीं मिले हैं इसलिए केस को बंद करने की बात कही थी. जिसे जाकर अब जाकर दिल्ली की राउज रेवेन्यू कोर्ट में स्वीकार किया है.

सवाल अब भी कायम आखिर कहां गया नजीब?

9 साल से गायब नजीब की तलाश न कर पाने पर सीबीआई की कार्य प्रमाणी पर भी सवाल उठ रहे हैं. नजीब की मां सहित तमाम लोग का सवाल कर रहे हैं कि आखिर नजीब गायब कहां हो गया? जब देश की सर्वोच्च एजेंसी उसे नहीं खोज पाई तो अब किससे उम्मीद की जाए? यह तमाम सवाल कहीं न कहीं दब जाएंगे और दब जाएगी उस मां की उम्मीद जिसे अभी भी अपने बेटे के लौटने का इंतजार है. 

नजीब की मां हुई भावुक 

CBI की क्लोजर रिपोर्ट को कोर्ट द्वारा स्वीकार करने नजीब की मां फ़ातिमा नफ़ीस भावुक हो गई. उन्होंने इसे जांच एजेंसी की बड़ी लापरवाही बताई. उन्होंने दुखी मन से कहा, “जिस लापरवाही के साथ पहले दिन से दिल्ली पुलिस और CBI ने काम किया, उसका ही नतीजा है कि आज कोर्ट ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है. आज तक न दिल्ली पुलिस, न CBI उन ABVP से जुड़े छात्रों को गिरफ्तार कर पाई, न ही कोई कार्रवाई कर सकी,जिन गुंडों ने मेरे बेटे के साथ मारपीट की और उस के बाद उसे गायब कर दिया.”

उन्होंने सवाल किया, “सालों तक मेरे बेटे के बारे में अफ़वाहें फैलाई गईं, झूठ फैलाया गया. जो कि दिल्ली की उच्च अदालत के आदेश के बाद सभी डिजिटल प्लेटफार्म और सोशल मीडिया प्लेटफार्म से हटाया गया लेकिन सच यही है. इतनी बड़ी जांच एजेंसियां और पूरी न्याय व्यवस्था आज तक यह नहीं बता सकी कि मेरा नजीब कहाँ है?”

उन्होंने इस लड़ाई को अंतिम सांस तक लड़ने की बात कही, “कई बार लगता है कि कैसे उम्मीद छोड़ दूं? कैसे ये हौसला टूटने दूँ? आख़िर वो मेरा बेटा है। मुझे मेरा बेटा चाहिए.अगर इसके लिए मुझे देश की हर अदालत तक जाना पड़े – मैं जाऊंगी. आखिरी सांस तक लड़ूंगी.”

उन्होंने इस लड़ाई को केवल अपने बेटे की लड़ाई बल्कि हर एक मां की लड़ाई बताते हुआ कहा, “मैं उम्मीद करती हूँ कि आने वाले दिनों में और लोग भी मेरे साथ जुड़ेंगे. ये लड़ाई सिर्फ मेरे बेटे की नहीं, हर उस माँ की है जो अपने बच्चे के लिए न्याय चाहती है।इसके लिए मुझे देश की सर्वोच्च अदालत जाना पड़ा तो वहाँ भी जाऊंगी”

सोशल मीडिया से उठी आवाज

कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने लिखा, “आख़िरकार देश की सबसे काबिल एजेंसी होने का दावा करने वाला CBI भी एक बूढ़ी मां के गायब बेटे नजीब को नहीं ढूंढ पाई. या यूँ कहिए कि पहले दिन से सरकार और उसका पूरा सिस्टम नजीब की माँ की चीखों से लापरवाह बना रहा.

उन्होंने आगे लिखा, “क्लोज़र रिपोर्ट का स्वीकार होना एक पूरे सिस्टम के प्रति एक बूढ़ी और बेबस माँ के भरोसे को तोड़ता है.”

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है. नजीब 2016 में जब गायब हुए थे तब कन्हैया कुमार JNU के छात्र संघ अध्यक्ष थे. उन्होंने नजीब की गुमशुदगी को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी मां के बयान कोट करते हुए लिखा कहा, “एक माँ की न्याय की इस लड़ाई में हम सब उनके साथ हैं.”

पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी मिलने पर लिखा, “इतिहास में लिखा जाएगा कि प्रधानमंत्री मोदी की भतीजा का पर्स कुछ ही घंटों में ढूंढ लाने वाली दिल्ली पुलिस, इस देश के होनहार छात्र नजीब को वर्षों में भी नहीं तलाश नहीं कर पाई थी”

गुरप्रीत गैरी वालिया नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “नजीब अहमद एक 27 साल का नौजवान, जो अपने सपनों के साथ जेएनयू आया था, 15 अक्टूबर 2016  को अचानक गायब हो गया. आज, इतने वर्षों बाद, कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली है . ना कोई जवाब है ना कोई ठोस सुराग , सिर्फ एक आवाज़ आज भी उस के परिवार और दोस्तों के दिल में चीखती है और पूछती है नजीब कहां है?” क्या नजीब सिर्फ एक केस बनकर रह गया? क्या एक माँ की उम्मीदें यूँ ही फाइलों में दफन हो गई?”

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