उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा कम छात्रों वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय की मंजूरी दिए जाने के बाद इस पर अमल शुरू हो गया है. इस विलय प्रक्रिया की शुरुआत गोरखपुर के एक प्राथमिक विद्यालय से की गई है. मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार 20 से कम छात्रों वाले स्कूल का विलय किया जाएगा.

वहीं योगी सरकार के स्कूलों के विलय के फैसले का विरोध भी और तेज हो गया है. सोशल मीडिया पर इस फैसले के विरोध में शिक्षक संगठनों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र ‘सेव विलेज स्कूल’ से नाम से कैंपेन चला रहे हैं. योगी सरकार के इस फैसले के विरोध में 1.25 लाख से अधिक ने ट्वीट किए जा चुके हैं.

बीटीसी, डीएलएड और जूनियर शिक्षक संघों ने उत्तर प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर ये फैसला वापस नहीं लिया गया तो राज्य भर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा. इस संबंध में सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को स्कूलों का विस्तृत डाटा तैयार करने के आदेश दिया गया है.

सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों के विलय के निर्णय को तमाम शिक्षक और लोग गलत बता रहे हैं. वहीं बहुत से लोग सरकार पर प्राइवेट स्कूलों को मदद करने का भी आरोप लगा रहे हैं.

पत्रकार प्रभाकर कुमार मिश्रा सरकार को इस फैसले पर गंभीरता से विचार करने की सलाह देते हुए लिखा, “स्कूलों में बच्चे कम हैं तो सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे स्कूल आएं! विलय करना समाधान नहीं है! आज विलय होगा, कल स्कूल बंद किए जाएंगे! अभी भी इस देश की बड़ी आबादी के बच्चों की शिक्षा सरकारी स्कूलों के भरोसे है! प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना सबके बस की बात नहीं है! सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

चंदन मिश्र नाम के एक ट्विटर यूजर ने यूपी सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए लिखा, “एक तरफ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का दंभ भरते हैं. दूसरी ओर इस तरह के फैसले! स्कूल विलय से सबसे ज्यादा दिक्कत बालिकाओं को होगी वो दूर दराज के विद्यालयों में नहीं जा सकेंगी.”

अश्वनी यादव नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “इस फैसले पर हम सरकार के ख़िलाफ़ हैं और प्रदेश के बच्चों के साथ खड़े हैं.आज नहीं बोलोगे तो ये लाखों फॉलोअर्स लेकर किस मुँह से ख़ुद को जनता का हितैषी बताओगे? बोलो हर एक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है. ये समाज के लिए ज़रूरी है.”

राजेंद्र देव नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, “विरोध के बीच विलय शुरू हो गया है. सवाल ये है कि इसका हासिल क्या है! क्या सरकार पैसे बचाना चाहती है? क्या प्राथमिक शिक्षा को बेहतर करना चाहती है? क्या इस क्षेत्र में नई नौकरी नहीं देना चाहती? क्या प्राइवेट स्कूलों की मदद करना चाहती है? स्पष्ट होना चाहिए!

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