महाकुंभ 2025 में हुई भगदड़ को लेकर बीसीसी ने चौंकाने वाला खुलासा किया. बीबीसी के खुलासे ने देश के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है. बीबीसी की इस रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर महाकुंभ में हुई मौतों के आंकड़े छिपाने के पहले से लग रहे आरोप सही साबित होते दिख रहे हैं. जिसके बाद देश की विपक्षी पार्टियों ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर जमकर हमला बोला है.

दरअसल बीबीसी ने महाकुंभ 2025 भगदड़ में हुई मौतों पर हताहत लोगों के परिजनों से बात एक रिपोर्ट तैयार की है. इस ग्रांउड रिपोर्ट में सबूतों के साथ दावा किया गया है कि महाकुंभ में 37 के बजाय 82 लोगों की मौत हुई थी. बीबीसी ने यह रिपोर्ट 11 राज्यों, 50 से अधिक जिलों और 100 से अधिक परिवारों से मिलने के बाद तैयार की है. इस रिपोर्ट में मृतकों के परिवार वालों को मिलने वाली सहायता राशि में हेर फेर का भी जिक्र है.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या के दिन स्नान के समय भगदड़ में कई सारे लोगों की मौत हो गई थी. सरकारी आंकड़ों में मृतकों का आंकड़ा 37 बताया गया था और 37 में से 35 लोगों के खातों में 25–25 लाख रुपए दिए जाने की बात कही गई थी.

संघ प्रचारक के भाई की मौत

महाकुंभ में हुई भगदड़ में बीजेपी के पूर्व महासचिव और संघ प्रचारक रहे के.एन. गोविंदाचार्य के भाई की मौत हुई थी.  BBC ने अपनी जांच में इस बात खुलासा किया कि संगम नोज़ पर भगदड़ में मारे गए अन्य लोगों की तरह ही के. एन वासुदेवाचार्य के प्रमाण पत्र में भी मृत्यु का स्थन वार्ड नंबर-7 फोर्ट कैंट प्रयागराज है. के.एन.  गोविंदाचार्य ने बीबीसी को फोन पर बताया कि के.एन. वासुदेवाचार्य मेरे भाई थे.

वासुदेवाचार्य के साथ पिछले करीब दो दशकों से सहायिका के तौर काम कर रही किरण ने बीबीसी को बताया कि 1990 से वाराणसी के के. एवं वसुदेवाचार्य इसी घर में रह रहे थे और वो करीब बीस सालों से उनका ध्यान रखती थी. उन्होंने शादी नहीं की थी और प्रिंसिपल पद से रिटायर हुए थे. 

वासुदेवाचार्य की सहायिका ने BBC को बताया कि प्रयागराज में पहले उनकी लाश को लावारिस में डाल दिया था. बाद में बीजेपी से जुड़े एक परिचित व्यक्ति ने उनका शव रिसीव किया और एंबुलेंस से शव को बनारस लाकर उनका अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर हुआ.

वासुदेवाचार्य के कोई वारिस न होने पर उनके किसी परिजन को सहायता राशि नहीं दी गई. 

बीबीसी की इस रिपोर्ट के बाद आम लोग, पत्रकार और विपक्षी नेता सरकार से सवाल कर रहे हैं और मृतकों के आंकड़े छुपाने का आप आरोप सरकार पर लगा रहे हैं.

अखिलेश यादव ने पूछे सवाल 

इस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट लिखकर सरकार से कई सवाल पूछे. इसे तथ्य बनाम सत्य बताया. उन्होंने कहा “सत्य की केवल पड़ताल नहीं बल्कि उसका प्रसार भी उतना ही जरूरी होता है. भाजपा आत्ममंथन करे और भाजपाई भी और साथ ही उनके समर्थक भी कि जो लोग किसी की मृत्यु के लिए झूठ बोल सकते हैं, वो झूठ के किस पाताल-पर्वत पर चढ़कर अपने को, अपने मिथ्या-साम्राज्य का मुखिया मान रहे हैं. झूठे आँकड़े देने वाले ऐसे भाजपाइयों पर विश्वास भी विश्वास नहीं करेगा.”

पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे लिखा सवाल सिर्फ़ आँकड़े छिपाने का नहीं है सदन के पटल पर असत्य बोलने का भी है. इसके बाद कई सवाल पूछे-

.महाकुंभ मृत्यु-मुआवज़े में जो राशि कैश दी गयी, वो कैश क्यों दी गयी और वो कैश कहाँ से आया? 

.जो कैश वितरित नहीं हो पाया वो कैश किसके हाथ में गया.

.कैश देने का निर्णय किस नियम के तहत हुआ? 

.कैश का वितरण किसके आदेश पर हुआ? 

.कैश के वितरण का लिखित आदेश कहाँ है? 

.कैश वितरण में क्या कोई अनियमितता हुई? ⁠

.मृत्यु के कारण को बदलवाने का दबाव किसके कहने पर बनाया गया? 

 

कांग्रेस ने क्या कहा?

कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने लिखा, “29 जनवरी यानी मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के कुंभ मेले में बहुत विलंब के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकारा था कि भगदड़ में 37 लोगों की मौत हुई. मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया गया पर BBC की जाँच में पता चला भगदड़ में कम-से-कम 82 लोगों की मौत हुई थी. BBC को ऐसे 26 परिवार मिले जिन्हें 5-5 लाख रुपए कैश के बंडल दिए गए. लेकिन मृतकों की गिनती में उनको शामिल नहीं किया गया. उनसे यह लिखवा लिया गया कि बीमारी या किन्हीं अन्य वजहों से मौतें हुईं. इस पर कितने चरणचुंबक आक्रोशित होंगे, देखते हैं आज कितने डिबेट होंगे इस पर?“

लोगों ने भी किए सवाल 

एक एक्स यूजर सौरभ ने लिखा, “BBC की 20 मिनट की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा झटका तब लगा जब 3 मिनट के बाद एक शख्स का नाम आया जिसे सरकार ने लावारिस की लिस्ट में रखा था जो बीजेपी के पूर्व महासचिव और संघ के प्रचारक रहे के एन गोविंदाचार्य के छोटे भाई के एन वासुदेवाचार्य थे. वैसे झटका हमें नहीं झटका तो ये नाम सुनकर बीजेपी के समर्थकों और संघ के लोगों को लगना चाहिए.”

पत्रकार आवेश तिवारी ने यूपी की योगी सरकार को बर्खास्त करने की मांग करते हुए लिखा, “कुंभ मेले को लेकर बीबीसी की रिपोर्ट आने के बाद यूपी सरकार को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए और गृहमंत्री अमित शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए”

 

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